भगवान श्री कृष्ण का चरित्र सबके मन मे चलने वाली अबाध प्रक्रिया- आचार्य रवि शंकर शास्त्री
भगवान कृष्ण की गोवर्धन धारण की झांकी रही आकर्षण का केन्द्र

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : अनिल शर्मा
शिमला : मर्यादा पुरूषोतम भगवान श्रीराम का चरित्र हर युग में प्राणी मात्र के लिए आदर्श चरित्र है। जबकि भगवान श्री कृष्ण का चरित्र सबके मन मे चलने वाली अबाध प्रक्रिया है। भागवत मे जो कंस है वह हमारे मनके अंदर बैठा अभिमान है। ज़ब अभिमान रूपी कंस मन पर अधिकार कर लेता है तो उसके अनुचर काम क्रोध मद लोभ मान मोह मतसर अपने आप आ जाते है जिन्हे भागवत मे पूतना, कालिया, बकासुर, अघासूर आदि नाम से बताया गया है। उक्त आध्यात्मिक विवेचना आचार्य रवि शंकर शास्त्री ने श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस कृष्ण की बाल लीलाओ का वर्णन करते हुए व्यक्त की। कथा मे पूतना वध, कालिया दहन, बकासुर, अघासूर आदि देत्य वध तथा गोयर्धन धारण की लीला का विस्तार से वर्णन किया गया।
इस अवसर पर कथा मे कृष्ण बाल लीला तथा गोवर्धन धारण की सजीव झांकी सजाई गयी। कथा के दौरान सुन्दर भजनों की मनोहारी प्रस्तुति ने सभी को आनंदित किया। कथा के प्रारंभ में मुख्य यजमान देशराज प्रजापत सरोज देवी व परिवार के सदस्यों ने वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य भागवत व व्यास पूजन किया। इस दौरान पवन कौशिक, सुभद्रा कौशिक, कंवर सिंह यादव, संतरा देवी, इंद्रजीत शर्मा, संजय प्रजापत, रमेश प्रजापत, बृजेश प्रजापत, नागरमल, लालचंद, महेश, महेंद्र, अशोक कुमार, कमला, विमला, सुशीला, प्रदीप सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु महिला पुरुष मौजूद रहे।