पहाड़ गिरा, तब स्कूल में पढ़ रहे थे 250 बच्चे:सूझबूझ से बचाई जान, ग्रामीण बोले- तोप गोलों की तरह पत्थरों के टुकड़े घरों में पहुंचे
पहाड़ गिरा, तब स्कूल में पढ़ रहे थे 250 बच्चे:सूझबूझ से बचाई जान, ग्रामीण बोले- तोप गोलों की तरह पत्थरों के टुकड़े घरों में पहुंचे

चिड़ावा : झुंझुनूं जिले के चिड़ावा तहसील में भरभराकर गिरे पहाड़ का वीडियो सबको चौंका रहा है। चिड़ावा कस्बे के नारी गांव में बुधवार सुबह 10.30 बजे अचानक 30 मीटर ऊंची अरावली की पहाड़ी का एक बड़ा हिस्सा गिर गया था।
इतना तेज धमाका हुआ कि कई गांवों में तक भूकंप जैसा कंपन महसूस किया गया। पहाड़ के बड़े-बड़े टुकड़े लोगों के घरों तक इतनी रफ्तार से पहुंचे जैसे तोप से गोला दागा गया हो।
जमीनी हकीकत जानने हमारी टीम मौके पर पहुंची। ग्रामीणों ने बताया कि हादसे के समय पहाड़ी से सटे सरकारी स्कूल में उस वक्त 250 बच्चे पढ़ रहे थे। कंपन से क्लासरूम की छत की पट्टियां तक उखड़ गईं।
घटना के बाद से ही ग्रामीणों में रोष है। ब्लास्टिंग के धमाकों से घरों की छतों में दरारें आ चुकी हैं। अत्यधिक खनन के चलते ग्रामीणों की पूरी रात खौफ में बीतती है। रात में कोई भी बच्चों को कमरे के अंदर नहीं सुलाता। पढ़िए पूरी रिपोर्ट….
सबसे पहले घटना के वीडियो देखिए


वीडियो बनाने वाले शख्स ने बताई पूरी हकीकत
दो बार राष्ट्रीय स्तर पर औा दो बार राज्य स्तरीय श्रेष्ठ पंचायत पुरस्कार जीत चुका यह गांव अरावली की पहाड़ियों में हो रहे अवैध खनन के लिए सुर्खियों में हैं। करीब 250 घर वाले नारी गांव में जिस पहाड़ी पर हादसा हुआ, वो आबादी क्षेत्र से बिल्कुल लगती है। पहाड़ी के आस-पास करीब 50-60 मकान हैं। 10 मीटर दूर ही सरकारी स्कूल है। इसी पहाड़ी के सामने मकान में रहने वाले कृष्ण सिंह से हमारी बात हुई। कृष्ण सिंह वो शख्स है, जिन्होंने पहाड़ी के गिरने का वीडियो अपने मोबाइल में कैद किया था।

कृष्ण सिंह बताते हैं- जिस दिन पहाड़ जब गिरा मैं मौके पर ही मौजूद था। हादसे का लाइव वीडियो भी मैंने ही बनाया था। गिरते ही आस-पास की जमीन ऐसे धूज गई जैसे कोई भूकंप आ गया हो। लगा जैसे कि आज नहीं बचेंगे।
बच्चे महिलाएं डर के मारे रोने लगे। वीडियो में आप उनके चीखने चिल्लाने की आवाज भी सुन सकते हैं। पहाड़ के गिरने की गति और उसका इम्पैक्ट इतना जबरदस्त था कि करीब आधा किलो से डेढ़ किलो के पत्थर आस-पास के घरों में ऐसे आकर गिरे जैसे किसी तोप से निकले गोले छोड़े गए हों।

जो सावधान थे वो तो बच गए लेकिन मेरी 65 साल की चाची इंद्रा के दांए हाथ की कोहनी में ऐसा ही एक पत्थर लगा जिससे उनकी कोहनी छिल गई और पूरा हाथ सूज गया है।
वहीं, कुछ ही दूर एक घर में छाणे के नीचे बकरियां बांध रही महिला कमला देवी और राकेश को भी छोटी-मोटी चोट लगी है। इतना ही नहीं धमाके के कारण एक घर में ईंट-पत्थर से बना एक कमरा गिर गया, जिसमें दबकर एक बकरी मर गई।

जब पहाड़ गिरा, स्कूल में 150 बच्चे पढ़ाई कर रहे थे, ग्रामीणों ने ताला जड़ा
नारी गांव का सरकारी स्कूल इसी पहाड़ी के साथ सटकर बना हुआ है। 12वीं तक के इस स्कूल में करीब 150 बच्चे पढ़ते हैं। घटना के वक्त भी स्कूल में बच्चे मौजूद थे, स्टाफ और बच्चों को पहाड़ गिरने पर कमरे में बैठे-बैठे ही जोरदार धमाके की आवाज सुनाई दी। इससे पूरा स्कूल हिल गया।
स्कूल में 12वीं कक्षा में पढ़ने वाली रितिका ने बताया कि हमें ऐसा लगा जैसे कोई भूकम्प आया हो। टीचर्स ने तुरंत हमें बाहर निकाल सुरक्षित जगह पर पहुंचाया।
पूरे स्कूल को खाली करवा लिया गया। अगर पहाड़ का कुछ हिस्सा गिरता तो स्कूल चपेट में आ सकता था। क्योंकि स्कूल के पीछे के 4 कमरे पहाड़ी के उस हिस्से से लगते हैं, जहां का हिस्सा बुधवार को जमींदोज हुआ था।

ग्रामीणों बोले सूझबूझ नहीं दिखाते तो बच्चों की जान खतरे में आ जाती
खनन विभाग के अधिकारी (माइनिंग इंजीनियरिंग) रामलाल सिंह का कहना है कि पहाड़ी के पास ही पिछले 40 साल से खनन का काम हो रहा है। लेकिन बारिश के चलते खदान में 10 दिनों से काम बंद था। लेकिन ग्रामीणों का कहना है, जब घटना हुई तब भी मजदूर वहां काम कर रहे थे।

ग्रामीण तारा सिंह और सुमित ने बताया कि बुधवार को कई घंटों से पहाड़ के इस हिस्से से पत्थरों के गिरने और चट्टानों के खिसकने की आवाजें आ रही थी। हम 15-20 ग्रामीणों ने पहाड़ से सटे स्कूल में सूचना देकर उसे खाली करवाया।
बच्चों और स्टाफ को बाहर निकलवाया। वापसी में देखा 5 से 6 मजदूर और खादान के कुछ लोग वहां मौजूद हैं। हमने उन्हें भी पहाड़ के गिरने की बात कहकर मशीन समेत बाहर निकलवाया और उनके निकलने के आधा घंटे बाद ही पहाड़ तेज आवाज के साथ 300 फीट गहरी खदान में गिर गया।

खनन से छतों में दरारें, बच्चों को रात में बाहर सुलाते हैं
नारी गांव में करीब 1100 की आबादी है। पूरे गांव में एक भी घर या सरकारी इमारत ऐसी नहीं, जिसमें दरार नहीं हो। कई घरों की छत में भी खनन से दरारें आ चुकी हैं।
कई मकानों में बराबर दरार आ गई है। न जाने कितनी बार माइनिंग के ब्लास्ट से पुराने हिस्से तक गिर चुके हैं। उनमें दबने से जानवरों का नुकसान भी हुआ है।
गांव के कृष्ण सिंह ने बताया- माइनिंग वाले एक साथ 200 सुराख में धमाका करते हैं। इससे होने वाला कंपन लगता है कि अब मकान गिरेगा। यही चिंता रातभर सताती है, नींद हराम हो गई है। 6 महीने पहले नए मकानों में भी दरार आ गई है।
महिला मोहिनी देवी बताती हैं बच्चों को लेकर खुले में सोते हैं। छतों पर सोने से डरते हें कि कहीं कोई पत्थर आकर न लग जाए। धमाके से उड़कर आने वाले पत्थरों से लोहे की चादरें तक में छेद हो गया है।
ग्रामीण महावीर सिंह ने बताया बुधवार की सुबह अपने खेत में काम कर रहे थे। चार किलोमीटर दूर कुएं तक भी पहाड़ के गिरने की आवाज आई थी। मैंने घर फोनकर पूछा कि क्या भूकंप आया है तो वो बोले कि पहाड़ का एक हिस्सा गिर गया है।
मैं भागकर घर पहुंचा। मौके का नजारा देखकर दंग रह गया। नारी गांव के आस-पास के कई किलोमीटर दूर तक पहाड़ के गिरने से हुआ धमाके की आवाज को सुना गया। जोधा का बास, बृजलालपुरा, डेढ़ा राम की ढाणी, रेलवे स्टेशन आस पास के प्रभावित इलाके हैं।
कभी 60 मीटर से ज्यादा ऊंची थी, आज 30 मीटर रह गई पहाड़ी
नारी पहाड़ी पर बीते 30 साल से भी अधिक समय से खनन हो रहा है। 1990 में यहां सात लीज आवंटित की गई थीं। जिस लीज के हिस्से में पहाड़ी ढही है उसका अवधि 2040 तक की है।
ग्रामीणों ने बताया कि बचपन से वो इस पहाड़ी को देखते आ रहे हैं। कभी इसकी हाइट 60 से 70 मीटर हुआ करती थी। लेकिन लीज पर जाने के बाद मशीनों से इसके ऊपर भी खनन किया और अब इसकी जड़ों को बारूद से ब्लास्ट कर अंदर तक खोखला कर दिया है।

आज इस पहाड़ी की ऊंचाई महज 30 से 40 मीटर रह गई है। जबकि खदान की गहराई 300 से 400 फीट तक पहुंच गई है। वर्तमान में इस पहाड़ी के चारों ओर 7 से 8 बड़ी दरारें हो गई हैं।
जिनसे अंदेशा है कि भारी बारिश होने पर इनमें से कोई हिस्सा फिर से गिर सकता है। वहीं गांव का श्मशान घाट, स्कूल, रिहायशी मकान, पंचायत भवन, मुख्य रास्ता समेत कई महत्वपूर्ण भवन हैं।
ऐसे में बीचों बीच मौजूद इस खदान से कभी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। करीब डेढ़ महीने पहले भी गांव के मुख्य रास्ते के साथ खदान से पोल हुई 50-60 फीट गहरी मिट्टी की खाई भी गिर चुकी है।
छह महीने में ऐसा तीसरी बार हुआ है। ग्रामीणों ने कई बार इसकी शिकायत प्रशासन और आला अधिकारियों से की है लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। ग्रामीणों का आरोप है कि यहां ज्यादातर खनन तय सीमा से अधिक हो चुका है्, लेकिन प्रशासन इसे लगातार नजरअंदाज कर रहा है।

गुरुवार को अलसुबह ही ग्रामीण के मुख्य द्वार पर एकत्र हो गए और उन्होंने साफ तौर पर चेतावनी देते हुए कहा कि जब तक इस गांव में खनन जारी रहगा वो अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे। इसी तरह स्कूल पर ताला जड़ा रहेगा।
सूचना पर स्कूल पहुंचे बीडीओ उमादत्त झाझड़िया से ग्रामीणों की मांगों पर सहमति नहीं बन सकी और मामला शुक्रवार तक टल गया। फिलहाल कलेक्टर के आदेश के बाद खनन विभाग की एक टीम ने गुरुवार को शाम चार बजे गांव में उन दो रास्तों को ब्लॉक कर दिया है जहां से खदान तक पहुंचा जा सकता है।

कलेक्टर बोले- शिकायत की जांच कराएंगे
झुंझुनूं जिला कलेक्टर डॉ. अरुण गर्ग ने बताया कि स्पष्ट निर्देश लिखित में दिए जा चुके हैं कि जो सात लीज आवंटित हैं उनमें तुरंत प्रभाव से काम रोक दिया गया है।
साथ ही माइनिंग इंजीनियर को जिले से अवैध लीज और ब्लास्टिंग की जांचकर सात दिन में रिपोर्ट देने को कहा है। स्कूल के बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो इसके लिए वैकल्पिक रूप से अन्यत्र दूसरे भवन में शिफ्ट किया जाएगा।
ग्रामीणों ने मौखिक रूप से अब खनन की शिकायत की है, उसकी भी जांच की जा रही है। पानी भरने से खदान दरक गई है। हमारी प्राथमिकता लोगों की सुरक्षा है। सातों लीज का तय एरिया कितने था और वास्तविक कितना खनन हुआ है ये हमारी जांच की प्राथमिकता रहेगी।