झुंझुनूं कलेक्ट्रेट पर विभिन्न संगठनों का प्रदर्शन:सरकार की नीतियों को लेकर विरोध जताया, सीएम के नाम कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन
झुंझुनूं कलेक्ट्रेट पर विभिन्न संगठनों का प्रदर्शन:सरकार की नीतियों को लेकर विरोध जताया, सीएम के नाम कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

झुंझुनूं : झुंझुनूं में बुधवार को शहर किसान, मजदूर, छात्र और ट्रेड यूनियन संगठनों की आवाज से गूंज उठा। SFI, DYFI, सयुंक्त किसान मोर्चा व ट्रेड यूनियन के आह्वान पर जिलेभर से सैकड़ों लोग शिक्षक भवन पर एकत्र हुए और कलेक्ट्रेट तक रैली निकालते हुए जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी हाथों में बैनर-पोस्टर और नारों के साथ सरकार की नीतियों के खिलाफ सड़कों पर उतरें।
यह आंदोलन राष्ट्रव्यापी आह्वान के तहत किया गया था, जिसका उद्देश्य आमजन से जुड़े ज्वलंत मुद्दों पर सरकार का ध्यान खींचना था। प्रदर्शनकारियों ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर जिला कलेक्टर के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा और चार प्रमुख मांगों को सरकार से शीघ्र पूरा करने की मांग की।

स्मार्ट मीटर का विरोध जताया
प्रदर्शन की अगुआई कर रहे छात्र नेता महिपाल पुनिया ने कहा कि हमारी पहली और सबसे प्रमुख मांग स्मार्ट मीटर के खिलाफ है। केंद्र और राज्य सरकारें इसे थोप रही हैं। यह आमजन के साथ खुली लूट है। मीटर तेज चल रहे हैं, बिल गलत आ रहे हैं और अब इन्हें गांवों में लगाया जा रहा है। हम ऐसा नहीं होने देंगे। अगर कोई हमारे घर में स्मार्ट मीटर लगाने आया तो हमसे बुरा कोई नहीं होगा।
SFI के छात्र नेता पंकज गुर्जर ने भी कहा कि स्मार्ट मीटर गरीबों की जेब पर डाका है। सरकार कंपनियों की एजेंट बन चुकी है। आज हमने शिक्षक भवन से कलेक्ट्रेट तक रैली निकाली है और चेतावनी दी है कि यदि किसी भी ग्रामीण क्षेत्र में प्रशासन दबाव में आकर स्मार्ट मीटर लगाता है, तो हम उसका विरोध करेंगे। जो भी नागरिक स्मार्ट मीटर के खिलाफ है, वो हमसे संपर्क करें, हम उनके घर पर मीटर नहीं लगने देंगे।

बदले गए मजदूर कानूनों को लेकर भी रोष
प्रदर्शनकारियों की दूसरी प्रमुख मांग मजदूरों से जुड़ी थी। DYFI के जिला सचिव योगेश कटारिया ने कहा कि कोरोना काल के दौरान सरकार ने 36 श्रम कानूनों को खत्म कर केवल 4 कानून लागू कर दिए। इसका सीधा असर यह पड़ा कि अब मजदूर अपनी यूनियन नहीं बना सकते, प्रदर्शन नहीं कर सकते और अपने हक के लिए संघर्ष नहीं कर सकते। यह लोकतंत्र पर हमला है।
छात्र नेता महिपाल पूनिया ने कहा कि यह कानून मजदूरों को संगठित होने से रोकते हैं। किसी भी फैक्ट्री या मजदूर संगठन में अब यूनियन बनाना अपराध सा हो गया है। सरकार कॉर्पोरेट घरानों को फायदा पहुंचाने के लिए मजदूरों की आवाज कुचल रही है।
सैनिकों के नुआ गांव में सुविधाएं बढ़ाने की मांग
प्रदर्शन का तीसरा अहम मुद्दा था झुंझुनूं जिले का सैनिक बाहुल्य गांव ‘नुआ’। महिपाल पुनिया ने बताया कि नुआ गांव के हर घर से कोई न कोई सैनिक है जिसने देश के लिए लड़ाई लड़ी है। लेकिन उन्हीं के गांव की हालत ऐसी है कि लोग न तो घर के अंदर रह सकते हैं और न ही बाहर निकल सकते हैं। दो हिस्सों में बंट चुके इस गांव के 250 परिवार सीवरेज के चार-चार फीट गंदे पानी में फंसे हैं।
उन्होंने आगे कहा कि हमने जब रिकॉर्ड निकलवाया तो पता चला कि 56 लाख रुपए का बजट स्वीकृत हुआ और उपयोग भी दिखा दिया गया। लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि गांव में पानी की निकासी का कोई समाधान नहीं हुआ। राज्य और केंद्र दोनों सरकारें आंख मूंदकर बैठी हैं। यह सैनिकों के आत्मसम्मान का अपमान है।
झुंझुनूं शहर में स्थाई टैक्सी स्टैंड की मांग
प्रदर्शन की चौथी प्रमुख मांग थी झुंझुनूं शहर में स्थाई टैक्सी स्टैंड का निर्माण। शहर में टैक्सियों के लिए कोई निर्धारित जगह नहीं है, जिससे यात्रियों और चालकों दोनों को परेशानी होती है।
छात्र नेता पूनिया ने कहा कि झुंझुनूं जैसा प्रमुख जिला मुख्यालय जहां रोज हजारों लोग आते-जाते हैं, वहां आज तक स्थाई टैक्सी स्टैंड नहीं बना। टैक्सी चालकों को रोजाना उठाया जाता है, फाइन लगाए जाते हैं और जगह-जगह खड़ा होने से ट्रैफिक भी बाधित होता है। यह प्रशासन की लापरवाही है।
प्रशासन को सौंपा मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन
प्रदर्शन के अंत में प्रतिनिधिमंडल ने जिला कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा, जिसमें चारों प्रमुख मांगों को विस्तार से लिखा गया। ज्ञापन में चेतावनी दी गई कि यदि इन मुद्दों पर त्वरित कार्यवाही नहीं हुई, तो आने वाले दिनों में जिला स्तर से राज्य स्तर तक आंदोलन किया जाएगा।