[pj-news-ticker post_cat="breaking-news"]

वैज्ञानिक पशुपालक संवाद संगोष्ठी का हुआ आयोजन


निष्पक्ष निर्भीक निरंतर
  • Download App from
  • google-playstore
  • apple-playstore
  • jm-qr-code
X
झुंझुनूंटॉप न्यूज़राजस्थानराज्य

वैज्ञानिक पशुपालक संवाद संगोष्ठी का हुआ आयोजन

वैज्ञानिक पशुपालक संवाद संगोष्ठी का हुआ आयोजन

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : चंद्रकांत बंका

झुंझुनूं : पशु विज्ञान केंद्र झुंझुनू के प्रभारी अधिकारी डॉ प्रमोद कुमार ने बताया कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली की अनुसूचित जाति उपयोजना एवं प्रसार शिक्षा निदेशालय राजूवास बीकानेर के द्वारा आयोजित वैज्ञानिक पशुपालक संवाद का आयोजन ग्राम कुमावास में किया गया ।

केंद्र के डॉ उमेश कुमार ने सभी पशुपालकों का स्वागत करते हुए पशुपालकों को पशुओं में हे व साइलेज के महत्व के बारे में बताया व पशुपालकों को चारा संरक्षण की ये तकनीकें अपनाने की सलाह दी। हरे चारे को लम्बे समय तक संरक्षित रखे जाने के लिए हे बनाने की विधियाँ तथा साइलेज बैग के उपयोग में लेने की तकनीक व साइलेज बनाने की विधि के बारे में विस्तार से जानकारी दी। साइलेज को पशु आचार की संज्ञा दी तथा बताया कि साइलेज हरे चारे के संरक्षण की यह एक सरल और सुविधाजनक तकनीक है, इसमें वर्ष पर्यन्त हरा चारा सुरक्षित रखा जा सकता है। एक साइलेज बैग (अलग-अलग क्षमता वाले) में एक क्विंटल से एक हजार किलोग्राम तक चारा संरक्षित रह सकता है। बरसात के मौसम में हरा चारा प्रचुर मात्रा में और सरलता से प्राप्त होता है जिसे भविष्य के लिए सुरक्षित करने से कृषकों और पशुपालकों को आर्थिक फायदा मिलता है।

साइलेज बनाने की यह नवीनतम विधि पंरपरागत पिट प्रणाली की अपेक्षा अधिक आसान और फायदेमंद होती है। हरे और पोषकीय चारे को किण्वन प्रक्रिया द्वारा हवा रहित स्थान में रखा जाता है। इस स्थान में किण्वन द्वारा परिरक्षित चारे को “साइलेज“ कहते है। पॉलीप्रोपीलीन से बने साइलेज बैग्स पुरानी “साइलो पिट“ और टावर साइलो की पद्धतियों के मुकाबले चारे के संरक्षण में एक आधुनिक क्रान्ति लाए है। साइलेज बैग को आसानी से कहीं भी ले जाया जा सकता है, कम स्थान पर ज्यादा चारे को रखा जा सकता है। ये बैग कई मापों में उपलब्ध है और मजबूत बने है।

इनका उपयोग बार-बार किया जा सकता है। लघु व सीमान्त कृषकों के लिए साइलेज बैग तकनीक काफी उपयोगी है। साइलेज मक्का, ज्वार, बाजरा, नेपियर, गिनी घास आदि फसलों का अच्छा बनता है। साइलेज एक पाचक चारा है जिससे दूध का उत्पादन बढ़ता है और हरे चारे की कमी वाले दिनों में दूध उत्पादन के स्तर को ऊँचा बनाए रखता है तथा पशु पोषण विभाग सखी डेयरी के डॉ लोकेश चाहर ने पशुपालकों को पशुधन के लिए प्रमुख योजना “मुख्यमंत्री मंगला पशु बीमा योजना” के बारे में बताया कि इस योजना के तहत, पशुपालकों को उनके पशुधन का बीमा कराया जाएगा, जिससे उन्हें वित्तीय सुरक्षा मिलेगी इस योजना के तहत राजस्थान के सभी जन आधार कार्ड धारक पशुपालक पात्र होंगे, साथ ही गोपाल क्रेडिट कार्ड धारक और लखपती दीदी पशुपालक को प्राथमिकता दी जाएगी l

Related Articles