झुंझुनूं में दूल्हे ने हाथी पर चढ़कर तोरण रस्म की:फूलों से सजे ऊंटों पर आई बारात; गजराज पर बैठ कर आया दूल्हा; ढोल-नगाड़ों से हुआ स्वागत
झुंझुनूं में दूल्हे ने हाथी पर चढ़कर तोरण रस्म की:फूलों से सजे ऊंटों पर आई बारात; गजराज पर बैठ कर आया दूल्हा; ढोल-नगाड़ों से हुआ स्वागत

सूरजगढ़ : झुंझुनूं जिले के सूरजगढ़ में एक ऐसी शादी देखने को मिली, जिसने परंपरा और आधुनिकता के खूबसूरत संगम को पेश किया। काकोड़ा ग्राम पंचायत के गोलियों की ढाणी से पशु चिकित्सक दूल्हा योगेश झाझड़िया की बारात जब ऊंट गाड़ियों पर सवार होकर सूरजगढ़ के लोटिया मोड़ पर पहुंची, तो हर कोई इस अनोखे दृश्य को देखता रह गया।
ऊंट गाड़ियों पर सजी बारात
दूल्हे योगेश की बारात को विशेष बनाने के लिए पारंपरिक ऊंट गाड़ियों का इस्तेमाल किया गया। रंग-बिरंगे वस्त्रों और फूलों से सजी ऊंट गाड़ियों पर सवार बारातियों का दृश्य मनमोहक था। आधुनिक युग में जहां वाहनों की भीड़ आम है, वहीं ऊंट गाड़ियों पर सजी यह बारात पुरानी राजस्थानी संस्कृति की एक सुंदर झलक पेश कर रही थी।

हाथी पर सवार होकर दूल्हे ने मारा तोरण
दूल्हा योगेश पारंपरिक राजस्थानी परिधान में सजे हुए हाथी पर सवार होकर विवाह स्थल पर पहुंचे और तोरण की रस्म अदा की। यह दृश्य न केवल दुल्हन पक्ष के लिए, बल्कि पूरे क्षेत्र के लोगों के लिए एक अद्भुत अनुभव था।
दूल्हे की मां सुमन देवी ने इस अनूठे आयोजन के पीछे अपनी इच्छा व्यक्त करते हुए कहा-
वह हमेशा से अपने बेटे की शादी को कुछ अलग और यादगार बनाना चाहती थीं। उन्होंने बताया कि हमारी पुरानी परंपराएं आज भी उतनी ही महत्वपूर्ण और सुंदर हैं, और इसी सोच के साथ उन्होंने बारात को ऊंट गाड़ियों पर निकालने और दूल्हे को हाथी पर बैठाने का निर्णय लिया।

दुल्हन पक्ष ने किया स्वागत
जब बारात सूरजगढ़ के लोटिया मोड़ पर पहुंची, तो दुल्हन ममता के परिवार वालों ने बारातियों का भव्य स्वागत किया। राजस्थानी लोक संगीत और ढोल-नगाड़ों की धुन पर नाचते गाते बारातियों पर फूलों की वर्षा की गई और उन्हें मिठाई खिलाई गई। स्वागत की यह गर्मजोशी पूरे माहौल को खुशनुमा बना रही थी।
आधुनिकता के साथ परंपरा का तालमेल
दुल्हन ममता विज्ञान स्नातक की छात्रा हैं, और दूल्हा योगेश ने मिलकर अपनी शादी को सादगीपूर्ण लेकिन सांस्कृतिक रूप से समृद्ध बनाने का निर्णय लिया था। इस आयोजन ने यह संदेश दिया कि आधुनिक जीवनशैली को अपनाते हुए भी अपनी जड़ों और परंपराओं को संजो कर रखा जा सकता है।

सामाजिक संदेश दिया
यह शादी सिर्फ एक पारिवारिक उत्सव नहीं थी, बल्कि इसने समाज को भी एक महत्वपूर्ण संदेश दिया। इस शादी ने यह साबित किया कि बिना अत्यधिक खर्च और दिखावे के भी शादियों को यादगार और सुंदर बनाया जा सकता है। सादगी और अपनी संस्कृति से जुड़े रहकर भी भव्यता हासिल की जा सकती है। स्थानीय लोगों का मानना है कि इस तरह के आयोजन हमारी सांस्कृतिक विरासत को मजबूत करते हैं और नई पीढ़ी को अपनी परंपराओं से जुड़ने की प्रेरणा देते हैं।