RTE में आय का क्राइटेरिया बदलने की मांग उठी:14 साल पुराने प्रावधानों को बदलें तो 3 लाख नए बच्चे हो सकेंगे शामिल
RTE में आय का क्राइटेरिया बदलने की मांग उठी:14 साल पुराने प्रावधानों को बदलें तो 3 लाख नए बच्चे हो सकेंगे शामिल

जयपुर : आरटीई के तहत निशुल्क प्रवेश में आय का क्राइटेरिया बदलने की मांग उठी है। प्रदेश में 14 साल पहले जब आरटीई के तहत प्रवेश शुरू हुए थे, तब दुर्बल वर्ग कैटेगरी में और असुविधाग्रस्त समूह कैटेगरी में ओबीसी-एमबीसी वर्ग के अभिभावक की आय सीमा सालाना 2.50 लाख रुपए या इससे कम निर्धारित की गई थी। तब टैक्स छूट 1.80 लाख रुपए सालाना तक थी। अब यह बढ़कर 12 लाख रुपए तक पहुंच गई है, लेकिन सरकार ने अभी तक आरटीई में आय सीमा में बदलाव नहीं किया।
इस कारण हर साल बड़ी संख्या में अभिभावक अपने बच्चों को आरटीई में प्रवेश नहीं दिला पाते हैं। इन 14 सालों में ना केवल मंहगाई बढ़ी है, बल्कि लोगों की इनकम में भी बड़ा इजाफा हुआ है। ऐसे में अब आरटीई प्रवेश के लिए 8 लाख रुपए तक सालाना तक छूट देने की मांग उठी है। पिछले साल आरटीई प्रवेश के लिए 3,08,782 आवेदन आए थे।
एक्सपर्ट का मानना है कि सरकार आय सीमा बढ़ा दे तो आवेदनों की संख्या 6 लाख को पार कर सकती है। इससे करीब 3 लाख नए बच्चे भी आरटीई प्रवेश की दौड़ में शामिल हो सकते हैं।
इनकम टैक्स छूट में इस तरह से हुआ बदलाव
जयपुर के सीए विजय गर्ग का कहना है कि आयकर विभाग के अनुसार एसेसमेंट ईयर 2009-10 में पुरुषों के लिए बेसिक छूट 1.50 लाख रुपए एवं महिलाओं के लिए 1.80 लाख रुपए थी। अब असेसमेंट ईयर वर्ष 2026-27 में ओल्ड टैक्स रिज्यूम में यह छूट 2.50 लाख रुपए एवं न्यू टैक्स रिज्यूम में यह छूट 4 लाख रुपए कर दी है।
आयकर विभाग की धारा 87ए में विशेष रिबेट के कारण कर निर्धारण वर्ष 2026-27 में न्यू टैक्स रिज्यूम में 12 लाख रुपए तक टैक्स नहीं लगेगा और पुराने टैक्स रिज्यूम में 5 लाख रुपए तक टैक्स नहीं लगेगा। इन 14 सालों में इस तरह से हुए बदलाव को देखते हुए शिक्षा विभाग को आरटीई में आय सीमा में बदलाव करना चाहिए।
हर साल आय बढ़ने से बच्चों के आरटीई से बाहर होने का संकट
शिक्षा विभाग में आरटीई प्रकोष्ठ के पूर्व उपनिदेशक और आरटीई कानून के एक्सपर्ट सत्येंद्र सिंह पंवार का कहना है कि आरटीई की आय सीमा बदलने का राज्य सरकार के पास अधिकार है। वह चाहे तो 3 से 7 दिन में नया नोटिफिकेशन जारी कर आय सीमा को बदल सकती है। आय सीमा अगर 8 लाख रुपए कर दी जाए तो इससे बड़ी संख्या में बच्चों को राहत मिलेगी।
क्योंकि जिन बच्चों के अभिभावकों ने 5-7 साल पहले बच्चों का प्रवेश कराया था, उनमें से कई अभिभावक परेशान है। क्योंकि उनकी आय बढ़ गई है और बच्चों के सामने आरटीई से बाहर होने का संकट खड़ा हो गया है। सरकार अगर इसको 8 लाख रुपए तक कर दे तो इससे फर्जी आय प्रमाण पत्र बनवाने जैसे मामलों को भी रोका जा सकेगा।
इन दो कैटेगरी में होते हैं प्रवेश के लिए आवेदन दुर्बल वर्ग ऐसे बालक जिनके अभिभावकों की वार्षिक आय 2.50 लाख या इससे कम हो
असुविधाग्रस्त समूह – एससी, एसटी, अनाथ बालक, एचआईवी अथवा कैंसर से प्रभावित माता-पिता के बच्चे या इससे प्रभावित बालक, निशक्त बालक, बीपीएल के बच्चे। साथ ही 2.50 लाख सालाना या इससे कम आय वाले ओबीसी-एमबीसी के अभिभावकों के बच्चे।