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धार्मिक परंपराओं का निर्वाह कर ‌ रहे हैं बच्चे रोजा रख कर


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धार्मिक परंपराओं का निर्वाह कर ‌ रहे हैं बच्चे रोजा रख कर

धार्मिक परंपराओं का निर्वाह कर ‌ रहे हैं बच्चे रोजा रख कर

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : मोहम्मद अली पठान

चूरू : जिला मुख्यालय पर ‌ माहे रमजान में छोटे बच्चों के लिए रोज़ा रखना एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुभव हो सकता है, लेकिन यह सुनिश्चित करना भी आवश्यक है कि वे स्वस्थ और सुरक्षित रहें।इस्लाम में बच्चों को रोज़ा रखने की उम्र आमतौर पर 7 साल मानी जाती है, लेकिन यह उम्र बच्चे की शारीरिक और मानसिक परिपक्वता पर निर्भर करती है। कुछ छोटे बच्चे जो रोजा रख रहे हैं उन्होंने बताया कि ‌ 1. असद खान पुत्र असलम पठान ‌ उम्र 11 वर्ष नई सड़क ने बताया कि मैंने पिछले साल भी कुछ रोजे रखे थे। स्कूल भी जाता हूं और अब रोजे‌ भी रख रहा हूं मुझे रोजा रखने में आनंद महसूस होता है ।और सब्र मिलता है। 2. अयान खान ‌ पुत्र आरिफ खान उम्र 11 वर्ष रतन नगर ‌ ने कहां रोजा के महीने में रोजा रख कर हमें ‌ खुशी होती है और स्वस्थ रहते हैं। 3. अहद खान पुत्र जावेद खान ‌ उम्र 12 वर्ष वन विहार कॉलोनी ‌ ने बताया कि रोजा रखने से हमारी सेहत अच्छी रहती है ‌ मैंने पिछले‌ साल रोजे रखे थे इसलिए अब रख रहा हूं 4. माहिरा खान पुत्र शमशाद खान क्रिकेटर ‌ उम्र 9 वर्ष अगुना मोहल्ला ‌ ने कहा छोटे बच्चों के लिए रोजा रखना मुश्किल होता है लेकिन अल्लाह की रज्जा के लिए हम भी बड़ों के साथ रोजा रखना चाहते हैं घर के बड़ों ने मना किया लेकिन हमने ज़िद की और अल्लाह ने हमें सब्र दिया।5. साहिल खान पुत्र मकसूद खान उम्र 10 वर्ष अग्रसेन नगर ने कहा छोटे बच्चों के लिए रोज़ा रखना ‌ मुश्किल होता है लेकिन अल्लाह की रज्जा के लिए हम रोजा रखना चाहते हैं ‌ अल्लाह ने हमें सब्र दिया है। 6. हैदर अली खान पुत्र सिकंदर खान ‍‌दोलतखानी उम्र 7 वर्ष ‌ अग्रसेन नगर ने कहा रोजा हम हमारी इच्छा से रखते हैं अल्लाह हमें हिम्मत और ताकत देता हैं। बच्चों को रोजा के महत्व के बारे में शिक्षित करें: और इसके धार्मिक और नैतिक मूल्यों के बारे में जानकारी देवें ‌ और बच्चे स्वस्थ हो तभी रोजा रखने ‌ कि सलाह देवे।

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