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रोजा और मेटाबोलिज्म -डॉ सैयद गौहर कमाल


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रोजा और मेटाबोलिज्म -डॉ सैयद गौहर कमाल

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : मोहम्मद अली पठान

चूरू : जिला मुख्यालय स्थित ‌ डॉक्टर सैयद गौहर कमाल ‌ (एमबीबीएस एम्स) ने बताया रोज़ा (उपवास) और मेटाबॉलिज्म के बीच एक गहरा संबंध है। रोज़ा के दौरान, शरीर को भोजन और पानी से वंचित रखा जाता है, जिससे शरीर के मेटाबॉलिज्म में बदलाव आते हैं।

रोज़ा के दौरान होने वाले मेटाबॉलिक बदलाव

  • ग्लूकोज का स्तर रोज़ा के दौरान शरीर को ग्लूकोज (चीनी )की आपूर्ति बंद हो जाती है जिससे रक्त में ग्लुकोज का स्तर कम हो जाता है।
  • केटोसिसर- जब शरीर को ग्लूकोज नहीं मिलता है, तो यह वसा को ऊर्जा के स्रोत के रूप में उपयोग करना शुरू कर देता है। जिससे केटोन्स नामक रसायनों का उत्पादन होता है।
  • वसा जलने, रोज़ा के दौरान शरीर वसा को जलाने लगता है जिससे वजन कम होने में मदद मिलती है।
  • मेटाबॉलिक दर रोज़ा के दौरान शरीर की मेटाबॉलिक दर धीमी हो जाती है। जिससे शरीर को ऊर्जा की बचत करने में मदद मिलती है।
  • हार्मोनल बदलावर रोज़ा के दौरान शरीर में हार्मोनल बदलाव -होते हैं जैसे कि इंसुलिन और ग्लूकागन के स्तर में बदलाव। हार्मोनल बदलावों की वजह से मूड पर पड़ने वाले प्रभावों पर नियन्त्रण पाना ही असल मायने में रोजा रखने का मकसद है ।

रोज़ा के मेटाबॉलिक लाभ

  • वजन कम करने में मदद- रोज़ा के दौरान वसा जलने से वजन कम करने में मदद मिलती है।
  • इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार- रोज़ा के दौरान इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार होता है जिससे मधुमेह के खतरे को कम करने में मदद मिलती है।
  • हृदय स्वास्थ्य में सुधार- रोज़ा के दौरान हृदय स्वास्थ्य में सुधार होता है। जिससे हृदय रोगों के खतरे को कम करने में मदद मिलती है।
  • रक्तचाप में कमीः रोज़ा रखने से रक्तचाप में कमी आती है, जिससे हृदय रोगों के खतरे को कम करने में मदद मिलती है।
  • कैंसर के खतरे में कमी: रोज़ा रखने से कैंसर के खतरे में कमी आती है, क्योंकि यह शरीर में ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करता है।
  • मानसिक स्वास्थ्य में सुधारः रोज़ा रखने से मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, जिससे तनाव, चिंता, और अवसाद के खतरे को कम करने में मदद मिलती है।
  • पाचन तंत्र में सुधारः रोज़ा रखने से पाचन तंत्र में सुधार होता है, जिससे पाचन संबंधी समस्याओं को कम करने में मदद मिलती है।
  • इम्यून सिस्टम में सुधारः रोज़ा रखने से इम्यून सिस्टम में सुधार होता है, जिससे शरीर को बीमारियों से लड़ने में मदद मिलती है।
  • त्वचा की सेहत में सुधारः रोज़ा रखने से त्वचा की सेहत में सुधार होता है. जिससे त्वचा संबंधी समस्याओं को कम करने में मदद मिलती है।
  • आत्म-नियंत्रण और अनुशासन में सुधारः रोज़ा रखने से आत्म-नियंत्रण और अनुशासन में सुधार होता है, जिससे जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में मदद मिलती है।
    यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि रोज़ा के दौरान शरीर की जरूरतों को पूरा करने के लिए उचित पोषण और हाइड्रेशन का ध्यान रखना चाहिए। यही कारण है कि सूर्योदय से पहले की खाने वाली सेहरी संतुलित होनी चाहिए ।

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