अतिक्रमण मुक्ति : मछलियों पर कहर मगरमच्छों को पनाह
हजारों लोगों के सामने रोजी रोटी का संकट, लोन चुकाने की मुसीबत, गांधी चौक में ठेला रेहडी और पुराने बस स्टैंड पर वाहन पार्किंग ही समाधान

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : चंद्रकांत बंका
झुंझुनूं : जिला मुख्यालय पर यातायात सुगम बनाने के लिए अस्थाई अतिक्रमण हटाने का अभियान पिछले चार दिनों से जारी है। अस्थाई अतिक्रमण हटाने के दौरान विरोध का भी सामना करना पड़ रहा है।शहर के गांधी चौक, शहीदान चौक, रोड नम्बर एक, दो तथा तीन पर रेहड़ी, ठेला लगाकर गुजर बसर कर रहे लोगों पर प्रशासन का कहर जबकि रसूखदार अतिक्रमियों पर मेहरबान यह कहना है पीड़ितों का। ज्ञात रहे झुंझुनूं के गांधी चौक पर ठेला , रेहडी लगने से ही इसे मुंबई जैसी झुंझुनूं चौपाटी का नाम दिया गया। हर रोज शाम होते ही चाट, पकोड़े और ज्यूस के शौकीन लोगों की भीड़ होती एकत्रित। मुख्यतः गांधी चौक में लगने वाले विभिन्न प्रकार की चाट, पकोड़ी, फल, सब्जी, ज्यूस आदि के ठेला, रेहडी से तकरीबन 50 परिवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट हो गया है। दैनिक दिनचर्या के तहत रेहडी संचालक अपना परिवार पालने की दृष्टिगत विभिन्न प्रकार के मीठे, नमकीन पकवान बेचकर अपना गुजर बसर काफी समय से कर रहे हैं। प्रशासन की अतिक्रमण हटाओ अभियान से प्रभावित पीड़ितों का कहना है कि यह छोटी मछलियों पर कहर बरपाने का काम है जबकि बड़े-बड़े मगरमच्छों को प्रशासन खुद पनाह दे रहा है। पीड़ितों ने बताया कि अभियान के तहत प्रशासन ने जहां भी रसूखदार लोगों का अस्थाई अतिक्रमण देखा वहां पर प्रशासन ने अपनी आंखें फेर ली।
लोन की किस्त कैसे चुकाए बड़ा सवाल
शहर के बीचों-बीच स्थित गांधी चौक में ठेला रेहडी लगाने वाले लगभग सभी संचालकों ने मोदी सरकार की योजना के तहत लोन ले रखा है। पीड़ित यूसुफ ने बताया कि पहले हमें दीनदयाल अंत्योदय योजना राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के तहत बाकायदा फुटकर विक्रेता के रूप में पहचान पत्र जारी किए गए जिसके एवज में 700 रुपये लिए गए थे। वहीं लोग गांधी चौक में अपनी आजीविका हेतु कार्यरत है जिन्हें अब परेशान किया जा रहा है। जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि पहले हमें 10- 10 हजार रुपए का लोन दिया गया था। समय पर लोन चुकता करने पर अब 20-20 हजार का लोन मुहैया कराया गया है। दैनिक मजदूरी करने वाले रेहडी, ठेला संचालकों के सामने अब प्रशासन की भेदभाव पूर्ण नीति के चलते परिवार का भरण पोषण मुश्किल हो रहा है साथ ही लोन की किस्त जमा कराने का भी संकट मंडरा रहा है।
पीढ़ी दर पीढ़ी लगाते आ रहे रेहड़ी – ठेला
गांधी चौक झुंझुनूं जिले के आसपास के गांवों तथा शहर की जनता के बीच विशेष महत्व रखता है। ग्रामीण दोपहर तक तथा शहरी लोग शाम होते ही चटखारेदार नमकीन एवं रसीली मिठाई का लुत्फ उठाने के लिए यहां पहुंचते है। सुबह 10 बजे शुरू होने वाला आवागमन रात 10 बजे तक अनवरत जारी रहता। 70 वर्षीय यूसुफ ने बताया कि पहले नेहरू मार्केट में ठेला लगाते थे अब गांधी चौक में 25 वर्षों से लगा रहे। हमारा पीढ़ी दर पीढ़ी काम चल रहा है अतिक्रमण के नाम पर अब नाजायज परेशान किया जा रहा है।
नगर परिषद लेती थी 1100 रुपये सालाना
रोजी रोटी से विमुख हुए पीड़ितों ने बताया कि दो वर्ष पूर्व तक नगर परिषद रेहड़ी ठेला लगाने की एवज में प्रत्येक से 1100 रुपये लेकर रशीद देती थी। पहली किस्त के रूप में 600 रुपये फिर दो किस्तों में 5 सौ 5 सौ रुपये लिए जाते थे। विगत वर्षों से नगर परिषद ने लेना बन्द कर दिया। गांधी चौक में आजीविका अर्जित करने वाले ठेला रेहड़ी संचालन कर्ता अब भी नगर परिषद को सालाना तहबाजारी देने को तैयार है।
गाड़ियों का लगा रहता है जमावड़ा
गांधी चौक में जहां लगती है चौपाटी वहीं लगा रहता है गाड़ियों का भी जमावड़ा। अधिकांश पीड़ितों का कहना है कि गाड़ियों का बेतरतीब वहां बिना पार्किंग खड़े रहने के कारण ही यातायात बाधित होता है ना की रेहडी ठेला लगाने की वजह से। पीड़ितों ने साथ ही आरोप लगाते हुए कहा कि यातायात कर्मी बेवजह हमें परेशान करते हैं जबकि बिना पार्किंग के गाड़ी खड़ी करने वालों का कोई चालान तक नहीं किया जाता। यह पूर्णतया भेदभाव है साथ ही बेवजह हमें परेशान करने की नियत है।
आज देंगे जिला कलेक्टर को ज्ञापन
गांधी चौक में रेहड़ी ठेला संचालन करने वाले पीड़ितों ने एकत्रित होकर कहा कि सोमवार को हम सब मिलकर पूर्वाह्न 11 बजे जिला कलेक्टर को अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपेंगे। साथ ही कहा कि जिला प्रशासन हमारी मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार नहीं किया तो हम सब आंदोलन करने को मजबूर होंगे। पीड़ितों ने दोहराया की एक तरफ सरकार कह रही है कोई भूखा ना सोए और एक तरफ हम भुखमरी के कगार पर हैं।
यह हो सकता है समाधान
एक तरफ शहर में बढ़ता यातायात और अपनी ड्यूटी निभा रहे यातायात कर्मी भी परेशानी का सामना कर रहे हैं। यातायात के बढ़ते दबाव को कम करने के लिए हटाए जा रहे अस्थाई अतिक्रमण का विरोध भी प्रशासन को झेलना पड़ रहा है। जबकि दैनिक रोजी-रोटी कमाने वालो को भी आए संकट से निजात मिल जाए और गाड़ियों की पार्किंग करने वालों को भी मिले सुकून इसका समाधान जरूरी है। समाधान की दृष्टि से यदि प्रशासन देखे तो गांधी चौक में जहां रेहडी – ठेला लगाते हैं उन्हें समुचित स्थान मिले और गाड़ियों की पार्किंग नजदीक ही स्थित पुराना बस स्टैंड पर की जा सकती है जिससे बना हुआ गतिरोध समाप्त होगा वहीं यातायात भी सुगम होगा।