सीकर में REET एग्जाम में पहले दिन 87.70 प्रतिशत उपस्थिति:यूपी से आया कैंडिडेट रोते हुए बोला- महाकुंभ के कारण ट्रेन कैंसिल हुई; घर जाने के लिए बसों के पीछे भागते दिखे
सीकर में REET एग्जाम में पहले दिन 87.70 प्रतिशत उपस्थिति:यूपी से आया कैंडिडेट रोते हुए बोला- महाकुंभ के कारण ट्रेन कैंसिल हुई; घर जाने के लिए बसों के पीछे भागते दिखे

सीकर : माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (राजस्थान) की ओर से प्रदेशभर में रीट की परीक्षा आयोजित की जा रही है। आज पहले दिन का पेपर हुआ। दो दिन में सीकर जिले में 47 हजार से ज्यादा कैंडिडेट्स रीट का एग्जाम देंगे। गुरुवार सुबह 9 बजे एग्जाम से ठीक एक घंटे पहले कड़ी सुरक्षा और वीडियोग्राफी के बीच पेपर एग्जाम सेंटर तक पहुंचाए गए। सीकर जिले में 51 एग्जाम सेंटर बनाए गए हैं। सीकर में पहली पारी में कैंडिडेट्स की उपस्थिति 87.70 प्रतिशत व दूसरी पारी में 93.70 प्रतिशत उपस्थिति रही।

एग्जाम सेंटर पर पहुंचने के लिए भागते दिखे कैंडिडेट्स
एग्जाम से पहले सीकर बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन पर भी कैंडिडेट्स की भीड़ दिखी। एग्जाम सेंटर तक पहुंचने के लिए कैंडिडेट्स भागते हुए दिखाई दिए। कड़ी चेकिंग के बाद ही कैंडिडेट्स को सेंटर में एंट्री दी गई। महिलाओं के जेवरात, धागे, दुप्पटे व बैग बाहर ही उतरवा दिए गए। एग्जाम सेंटर बंद होने के बाद लेट हुए कैंडिडेट्स सेंटर के बाहर रोते हुए दिखाई दिए।
एंट्री नहीं मिली तो रोने लगा छात्र
उत्तरप्रदेश के प्रतापगढ़ जिले से एसके स्कूल (सीकर) एग्जाम सेंटर पर पेपर देने पहुंचा मोहित नाम का कैंडिडेट 20 मिनट लेट पहुंचा। उसे सेंटर में एंट्री नहीं मिली तो वह रोने लगा। मोहित ने गेट के बाहर खड़े होकर गुहार लगाते हुए कहा- प्लीज गेट खोल दीजिए, परफॉर्म करने का एक मौका दीजिए सर बहुत मेहनत की है। उसने कहा महाकुंभ की वजह से उनकी ट्रेन कैंसिल हुई। वह बीमार है और ड्रिप लगवाकर एग्जाम देने आया है।

दो पारियों में हुए एग्जाम
सीकर जिले में पहली पारी में कुल 16663 कैंडिडेट्स ने लेवल-1 का एग्जाम दिया। जिले में 62 हजार से ज्यादा कैंडिडेट्स रीट एग्जाम के लिए पंजीकृत हैं। सुरक्षा की दृष्टि से ज्यादातर सेंटर जिला मुख्यालय क्षेत्र के 15 किमी दायरे में ही बनाए गए हैं। प्रदेशभर में कुल 1731 सेंटर तय किए गए हैं। एग्जाम में कुल 1429822 कैंडिडेट्स शामिल होंगे। इनमें लेवल वन में 346625 व लेवल टू में 968501 कैंडिडेट्स होंगे। शेष 114696 कैंडिडेट्स ने दोनों लेवल के लिए अप्लाई किया है।
एग्जाम दो पारियों में हुए। पहली पारी सुबह 10 से दोपहर 12.30 बजे तक हुई। वहीं दूसरी पारी दोपहर तीन से शाम साढ़े पांच बजे तक होगी। परीक्षा शुरू होने से 2 घंटे पहले सेंटर पर रिपोर्टिंग शुरू हुई। कैंडिडेट्स को सेंटर में एक घंटे पहले तक ही प्रवेश दिया गया इसके बाद आने वाले कैंडिडेट्स को एंट्री नहीं मिली।

बसों की खिड़कियों से चढ़े कैंडिडेट्स
पहली पारी खत्म होने के बाद कैंडिडेट्स वापस अपने घर जाने के लिए बसों में मारामारी करते हुए दिखे। सीकर बस डिपो पर सभी बसें फुल थी और घर जाने के लिए बस स्टैंड पर कैंडिडेट्स की भारी भीड़ उमड़ी। कैंडिडेट्स बस की खिड़कियों से बसों में बैठते हुए दिखाई दिए। वहीं रेलवे स्टेशन पर भी भारी भीड़ दिखी। कैंडिडेट्स ट्रेनों का इंतजार करते हुए दिखे।

दिव्यांग कैंडिडेट्स आरोप समय से पहले पेपर लिया
शहीद महेश कुमार राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय (भैरूपुरा) सेंटर पर एग्जाम देने आए कैंडिडेट्स राजेंद्र कुमार ने आरोप लगाया कि एडमिट कार्ड में बिंदु नंबर 11 में लिखा गया है कि दिव्यांग कैंडिडेट्स को 50 मिनट का एक्स्ट्रा समय दिया जाएगा। लेकिन सेंटर में उससे समय से पहले 12:30 कॉपी ले ली गई और पूरा एग्जाम नहीं करने दिया गया।

नकल रोकने के लिए कड़े बंदोबस्त
परीक्षा के दौरान नकल, पेपर लीक जैसी घटनाओं को रोकने के लिए सरकार अलर्ट मोड पर है। केंद्रों पर सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए हैं। पेपर लाने-ले जाने वाले वाहनों पर भी जीपीएस लगाए गए हैं। हैंड-हेल्ड मेटल डिटेक्टर से जांच व बॉयोमेट्रिक अटेंडेंस के अलावा परीक्षा केंद्र पर पहली बार कैंडिडेट्स का फेस रेकग्निशन किया जा रहा है।
कैंडिडेट्स का चेहरा आवेदन-पत्र में लगे फोटो से मेल खाने पर ही उन्हें परीक्षा केंद्र में प्रवेश दिया जाएगा। केंद्र पर परीक्षा स्टाफ के लिए भी मोबाइल पूरी तरह से प्रतिबंधित किया गया है। पूरी परीक्षा में केवल केंद्राधीक्षक के पास ही मोबाइल रहेगा, वो भी की-पैड वाला साधारण मोबाइल ही रख सकेंगे।

एग्जाम खत्म होने के बाद बसों में जोखिम भरा सफर
एग्जाम खत्म होने के बाद शाम को सीकर बस डिपो पर अभ्यर्थियों की भारी भीड़ उमड़ी। हर कोई बस में बैठने की जद्दोजहद में लगा था। पहले सीट पर बैठने के लिए अभ्यर्थी बस की खिड़कियों से कूदकर बस के अंदर जाते हुए दिखे। वहीं बसें भी भीड़ से लबालब भरी हुई थी। रोडवेज बसों में किराया फ्री होने के कारण बसों में क्षमता से ज्यादा सवारियां थीं।
