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जयपुर में 62 लाख की डकैती करने वाली ‘नौकर गैंग’:24 घंटे में बॉर्डर पार किया, नौकरानी और उसके साथी Wifi हैक कर कॉल करते थे


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जयपुर में 62 लाख की डकैती करने वाली ‘नौकर गैंग’:24 घंटे में बॉर्डर पार किया, नौकरानी और उसके साथी Wifi हैक कर कॉल करते थे

जयपुर में 62 लाख की डकैती करने वाली 'नौकर गैंग':24 घंटे में बॉर्डर पार किया, नौकरानी और उसके साथी Wifi हैक कर कॉल करते थे

जयपुर : जयपुर में 20 जनवरी की रात बुजुर्ग महिला को बंधक बनाकर 62 लाख (50 लाख के गहने और 12 लाख कैश) की डकैती करने वाली ‘नौकर गैंग’ के दो बदमाश नेपाल बॉर्डर से पकड़े गए हैं। हालांकि डकैती की मुख्य सरगना नौकरानी सावित्री अभी तक पकड़ से दूर है।

पकड़े गए दो बदमाशों से पूछताछ में सामने आया कि वारदात में गैंग के 7 लोग शामिल थे। आरोपी इतनी तैयारी के साथ आए थे कि वारदात के बाद पुलिस को पता चलने से पहले मथुरा पहुंच गए थे। वहां से फिर सारा माल लेकर 24 घंटे में नेपाल बॉर्डर पार कर गए थे।

ये इतने शातिर हैं कि पुलिस को चकमा देने के लिए वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (VPN) तकनीक का इस्तेमाल कर रहे थे। इससे लोकेशन ट्रेस करना आसान नहीं होता। गैंग के सभी सदस्य साधारण कॉल से नहीं, बल्कि Wifi से मोबाइल कनेक्ट कर मैसेंजर ऐप से आपस में बात करते थे। सवाई का समय गुडलक मानते थे और हमेशा रात में सवा 9, सवा 10 या फिर सवा 11 बजे कॉल करते थे। गैंग के बदमाश पहले भी भारत के कई राज्यों में लूट की वारदातें कर चुके हैं।

नेपाल की सीमा दारचूला से गिरफ्तार कर जयपुर लाए गए दोनों आरोपियों से पूछताछ में क्या खुलासा हुआ? पढ़िए- इस रिपोर्ट में….

जयपुर पुलिस के हत्थे चढ़े डकैती के आरोपी मकदुल दमाई और दान बहादुर बोहरा।
जयपुर पुलिस के हत्थे चढ़े डकैती के आरोपी मकदुल दमाई और दान बहादुर बोहरा।

लूट से लेकर भागने तक की पूरी प्लानिंग

नेपाल के आठ बिसकोट निवासी मकदुल दमाई (40) और लालू गांव निवासी दान बहादुर बोहरा (30) को पुलिस ने उत्तराखंड में धारचूला से सटे नेपाल बॉर्डर के एक होटल से गिरफ्तार किया है। पूछताछ में इन्होंने बताया कि ये लूट के इरादे से ही जयपुर आए थे। इससे यहां से भागने के रूट मैप की पूरी स्टडी कर ली थी। पूरी गैंग ने बहुत ही प्रोफेशनल तरीके से वारदात को अंजाम दिया।

यही वजह थी कि लूट के महज 5 घंटे बाद ही लुटेरे मथुरा पहुंच गए और फिर 24 घंटे से भी कम वक्त में बॉर्डर पार कर नेपाल पहुंच गए थे। बॉर्डर पार कराने के लिए कुछ साथी वहां पहले से तैनात कर रखे थे। गैंग के सभी सदस्य नेपाल के ही रहने वाले हैं। चेकपोस्ट के अलावा नेपाल जाने के कच्चे रास्तों की भी इन्हें पूरी जानकारी थी।

नौकरानी सावित्री और उसके दो साथी कानोता बाग (जयपुर) निवासी मंजू कोठारी (75) के घर रात के डेढ़ बजे लूट की थी। इसके बाद किसी भी तरह की बातचीत किए बिना तुरंत भाग निकले। तीसरा साथी बाहर एक कैब में इंतजार कर रहा था, ताकि भागने के लिए एक आसान रास्ता मिल सके।

गैंग में शामिल 2 लोग रात डेढ़ बजे डकैती के लिए अंदर दाखिल हुए।
गैंग में शामिल 2 लोग रात डेढ़ बजे डकैती के लिए अंदर दाखिल हुए।

घर की मालकिन मंजू कोठारी, उनकी नौकरानी प्रतिमा और नौकर संदीप को बंधक बनाकर इनके मोबाइल फोन छीन लिए थे, ताकि कोई पुलिस को सूचित न कर सके। लूट के महज 5 घंटे में लुटेरे माल के साथ मथुरा बस स्टैंड तक पहुंच गए थे। इसके बाद लखनऊ, बरेली, उत्तराखंड और फिर पिथौरागढ़ होते हुए वे धारचूला (उत्तराखंड) के पास स्थित नेपाल बॉर्डर पर पहुंच गए।

यहां से उन्होंने कच्चे रास्तों का इस्तेमाल कर महाकाली नदी से होते हुए बॉर्डर पार किया। धारचूला और नेपाल के बीच की दूरी 10 से 12 किलोमीटर है। इलाका सीमावर्ती होने के कारण चेकपोस्ट पर सुरक्षा ज्यादा थी। ऐसे में लोकल संपर्कों और कच्चे रास्तों का इस्तेमाल कर ये नेपाल के क्षेत्र दारचूला पहुंचे थे।

सीसीटीवी फुटेज में कैद नौकरानी सावित्री और उसका एक सहयोगी बिना हड़बड़ी किए बैग में माल भरकर बाहर आया।
सीसीटीवी फुटेज में कैद नौकरानी सावित्री और उसका एक सहयोगी बिना हड़बड़ी किए बैग में माल भरकर बाहर आया।

हमेशा सवा बजे ही कॉल, वीपीएन कनेक्ट कर मैसेंजर से बात

डीसीपी तेजस्विनी गौतम ने बताया कि गैंग के सदस्य एक-दूसरे से मोबाइल कॉल के जरिए कनेक्ट नहीं थे। ये बातचीत के लिए फेसबुक के मैसेंजर ऐप का इस्तेमाल कर रहे थे। मैसेंजर ऐप चलाने के लिए भी वीपीएन नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहे थे। उसमें भी सिम के डेटा की बजाय वाईफाई का इस्तेमाल कर एक दूसरे से टच में थे।

वीपीएन नेटवर्क का इस्तेमाल आमतौर पर साइबर ठग करते हैं, जिससे कि इंटरनेट का सर्वर बार-बार बदलता है और उसे ट्रेस करना आसान नहीं होता। इससे साफ है कि लुटेरे तकनीक का पूरा इस्तेमाल जानते थे।

केस की मुख्य सूत्रधार नौकरानी सावित्री करीब 10 दिन मंजू कोठारी के घर रही, लेकिन वह सामान्य कॉल के बजाय फेसबुक मैसेंजर पर VPN के जरिए साथियों से संपर्क करती थी। गिरोह के सभी सदस्य रात सवा बजे ही आपस में संपर्क करते थे। यानी कि जब भी बात करनी होती तो सवा 9, सवा 10 या सवा 11 बजे ही कॉल करते थे। पुलिस का कहना है कि यह आरोपियों का पैटर्न था। पुलिस सूत्रों के अनुसार यह इनका गुडलक साइन था।

पीड़ित महिला मंजू कोठारी, जो मोती डूंगरी थाना क्षेत्र की कानोता बाग कॉलोनी में अपनी कोठी में अकेली रहती हैं।
पीड़ित महिला मंजू कोठारी, जो मोती डूंगरी थाना क्षेत्र की कानोता बाग कॉलोनी में अपनी कोठी में अकेली रहती हैं।

पहले भी भारत में कर चुके वारदात, हर बार नए नंबर लेते

नेपाल की यह गैंग जयपुर से पहले भी कई राज्यों में दो-तीन वारदातों को अंजाम दे चुकी है। डीसीपी गौतम के अनुसार वारदातें कहां की हैं, इसका खुलासा अभी नहीं हुआ है।

आरोपी पारेख बहादुर शाही ने स्वीकार किया है कि वह पहले भी अपने साथियों के साथ मिलकर वारदात कर चुका है। वह जब भी भारत में वारदात के लिए आता, नए नंबर की सिम लेता था। वारदात के लिए गिरोह ने कर्नाटक के किसी शहर से फर्जी डॉक्युमेंट पर सिम कार्ड खरीदता था।

अकेले बुजुर्ग वाले घर रहते थे टारगेट पर

गिरोह के बदमाश भारत में दाखिल होने के बाद ऐसा शहर चुनते, जहां से वापस नेपाल भागने के लिए बेहतर ट्रांसपोर्ट और रोड कनेक्टिविटी हो। फिर शहर के रिहायशी इलाकों में उन घरों की रेकी करते, जहां बुजुर्ग अकेले रहते हों, सुरक्षा इंतजाम कम हों। पहले घरों, फार्म हाउस, फैक्ट्रियों और दुकानों में काम मांगने के बहाने रेकी करते थे, फिर जल्दी से जल्दी वारदात को अंजाम देकर फरार हो जाते थे।

वह मकान जहां नेपाली गैंग ने डकैती की वारदात को अंजाम दिया।
वह मकान जहां नेपाली गैंग ने डकैती की वारदात को अंजाम दिया।

नौकरानी की फोटो तक नहीं थी, देरी से मिली सूचना, इसलिए भाग निकले

डीसीपी तेजस्विनी गौतम ने बताया कि वारदात रात डेढ़ बजे हुई, लेकिन परिजनों ने पुलिस को इसकी जानकारी सुबह करीब साढ़े 6 बजे दी, यानी वारदात के 6 घंटे बाद। यह देरी लुटेरों के लिए सबसे बड़ी मददगार साबित हुई। इसके अलावा नौकरानी का वेरिफिकेशन तो दूर, उसकी एक फोटो तक नहीं थी।

लुटेरों ने मंजू कोठारी, प्रतिमा और संदीप के मोबाइल जयपुर-आगरा हाईवे पर बस्सी के दुधली के पास झाड़ियों में फेंक दिए थे, जो पुलिस के लिए मददगार बने। इसे यह स्पष्ट हो गया था कि आरोपी इसी रूट पर भागे हैं।

सीसीटीवी फुटेज खंगाले तो कार नंबर RJ29TA3043 का पता लगा। डेढ़ घंटे में ही टैक्सी ड्राइवर का पता लगा लिया था। उससे मिली जानकारी के आधार पर लुटेरों का मथुरा से आगे भागने का रास्ता स्पष्ट हो गया था।

उत्तराखंड और नेपाल पुलिस की मदद से गैंग तक पहुंचे

डीसीपी तेजस्विनी गौतम ने बताया कि तकनीकी जांच और जयपुर में आरोपी महिला को नौकरी पर रखवाने वाले व्यक्ति से पूछताछ करने के बाद कई सुराग हाथ लगे। वहीं नेपाल पुलिस की भी मदद ली गई। जांच के दौरान, जयपुर पुलिस को लुटेरों में से एक संदिग्ध के मोबाइल की कॉल लोकेशन नेपाल बॉर्डर के करीब धारचूला (उत्तराखंड) की आ रही थी।

जयपुर पुलिस रास्ते में थी और लुटेरों के हाथ से निकल जाने का खतरा था। इसलिए उत्तराखंड पुलिस की मदद ली। फिर नेपाल पुलिस की लोकल इंटेलिजेंस का सहयोग लिया। इस साझेदारी की मदद से, मोबाइल लोकेशन के आधार पर 2 आरोपियों मकदूल और दान बहादुर को नेपाल सीमा से सटे होटल से दबोच लिया गया। दोनों पर लूट में शामिल बदमाशों की मदद करने का आरोप है। इन्होंने ही मंजू कोठारी के यहां सावित्री को नौकरी पर रखवाया था। वारदात के बाद आरोपियों को भगाने में मदद की थी। इन दोनों को गिरफ्तार कर 29 जनवरी को जयपुर लाया गया।

पुलिस के मुताबिक लूट में मुख्य तौर पर 5 आरोपी शामिल थे। 2 इनके सहयोगी थे। दोनों सहयोगियों को गिरफ्तार कर लिया है। एक आरोपी पारेख बहादुर नेपाल पुलिस की हिरासत में है। जबकि नौकरानी सावित्री सहित अन्य आरोपी अब भी फरार हैं।

लूट की राशि 62 लाख से अधिक, बराबर बंटवारा किया

पुलिस के अनुसार, आरोपियों ने लूट की राशि को नेपाल में जाकर बराबर बंटवारा किया था। वारदात के बाद, परिजनों ने 12 लाख कैश और 50 लाख के गहने लूटे जाने का दावा किया था। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि लूट की राशि ज्यादा हो सकती है। इसकी सही पुष्टि सभी आरोपियों के पकड़े जाने और लूटे गए माल के बरामद होने के बाद ही संभव होगी। डीसीपी तेजस्विनी गौतम ने यह भी बताया कि परिजनों की ओर से 12 लाख रुपए से संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए हैं।

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