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मैं मेवाड़ की धरती बोल रही हूं।‌ कवित्री मोनिका चारण


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मैं मेवाड़ की धरती बोल रही हूं।‌ कवित्री मोनिका चारण

मैं मेवाड़ की धरती बोल रही हूं।‌ कवित्री मोनिका चारण

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : मोहम्मद अली पठान

चूरू : जिला मुख्यालय पर कवयित्री मोनिका चारण ने मेवाड़ के इतिहास के बारे में जानकारी देते हुए अपनी अभिव्यक्ति को इस कविता के माध्यम से बताया कि मैं मेवाड़ की धरती बोल रही हूं। मेरी गोद में पले वीरों का इतिहास खोल रही हूं।मैंने मेवाड़ के भीष्म पितामह राव चुंडा को जन्म दिया।और भारमली के रुप में रणमल को भस्म किया।

मैं राणा कुम्भा की सारंगपुर विजय याद दिलाने आई हूं। महाराणा सांगा के अस्सी घावों का भेद बताने आई हूं। उनके गागरोन और खातौली युद्ध की जीत का स्मर्ण कराने आई हूं। खानवा युद्ध में बाबर से हुई हार बर्दाश्त कराने आई हूं। मैंने कुंभलगढ़ में पन्ना धाय के चंदन बलिदान को देखा है। रानी कर्मावती के जौहर और बाघसिंह के केसरिया को भी झेला है।

हल्दी घाटी में महाराणा प्रताप के चेतक बलिदान का गुणगान करने आई हू।हाड़ी रानी सहल कंवर ने अपनी निशानी में शीश काटकर रतन सिंह चुंडावत को भेट किया, पदमिनी ने अग्निकुंड में खुद को जिंदा जला लिया। मैं ना सिर्फ इस धरती के वीरों बल्कि बेटियों के साहस और बलिदान की लहर बहाने आई हूं।

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