किसान नेता बोले- सरकार किसानों के साथ वादाखिलाफी कर रही:कहा- केंद्र सरकार डल्लेवाल की जान बचाए, राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा
किसान नेता बोले- सरकार किसानों के साथ वादाखिलाफी कर रही:कहा- केंद्र सरकार डल्लेवाल की जान बचाए, राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा

सीकर : भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) सीकर की ओर से किसानों की लंबित मांगों को पूरा करने के लिए राष्ट्रपति के नाम सीकर जिला कलक्टर को ज्ञापन सौंपा गया। बीकेयू के पदाधिकारियों ने केंद्र व प्रदेश सरकारों पर किसानों के साथ लगातार की जा रही वादा खिलाफी व किसानों के मुद्दों की अनदेखी करने के आरोप भी लगाए।

भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के जिला अध्यक्ष दिनेश सिंह जाखड़ ने कहा- केंद्र व राज्य सरकारें देश में किसानों के मुद्दों व मांगों की अनदेखी कर रही है। सरकार अन्नदाता के साथ दुश्मनों से भी बदतर व्यवहार कर रही है। सरकार किसानों के शांतिप्रिय आंदोलन का दमन कर उन्हें दबाने का प्रयास कर रही है। इसलिए ज्ञापन के माध्यम से राष्ट्रपति से मांग है कि किसानों की लंबित मांगों व स्थानीय समस्याओं का समाधान करने के लिए सरकार को निर्देश दिए जाए।

ये हैं किसानों की मुख्य मांगे
- किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल जो की 26 नवंबर 2024 से खन्नौरी बॉर्डर पर अनशन कर रहे हैं। उनकी जान बचाने के लिए केंद्र सरकार को निर्देशित करें कि वह किसानों की मांगों पर वार्ता कर उन्हें पूरा करें।
- किसानों की मांगों को लेकर संघर्ष व आंदोलन कर रहे सभी किसान संगठनों से केंद्र व संबंधित प्रदेश सरकार तत्काल वार्ता कर मांगों को पूरा करें।
- केंद्र सरकार द्वारा संयुक्त किसान मोर्चा से 9 दिसंबर 2021 को किए गए लिखित समझौता-पत्र के अनुसार किसानों की सभी लंबित मांगों व मुद्दों का समाधान किया जाए।
- भारत रत्न स्वामीनाथन फार्मूले C-2+50% से सभी फसलों की खरीद एमएसपी (समर्थन मूल्य) पर घोषित की जाए।
- C-2+50% फार्मूले से घोषित एमएसपी पर कृषि फसलों/जिंसों की खरीद की गारंटी का कानून बनाया जाए।
- किसानों व मजदूरों के सभी कृषि ऋण, किसान कर्ज मुक्ति की व्यापक योजना बनाकर किसानों के सभी बैंकों के कर्ज शून्य घोषित किए जाए।
- किसानों व मजदूरों को प्रतिमाह 10 हजार की पेंशन दी जाए।
- किसानों को भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के अनुसार भूमि अधिग्रहण का मुआवजा दिया जाए।
- कृषि विपणन के राष्ट्रीय प्रारूप के मसौदे को वापस लिया जाए। क्योंकि 25 नवंबर को केंद्र सरकार द्वारा जारी इस मसौदे से अनाज व कृषि जिंसों का व्यापार कॉर्पोरेट के हाथों में चला जाएगा। यानी रोटी कॉर्पोरेट की तिजोरी में बंद करने की केंद्र सरकार की नीति जन-विरोधी नीति है। इसलिए ऐसी नीतियां वापस ली जाए।
- कृषि को विश्व व्यापार संगठन (WTO) और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के समझौते से बाहर कर स्वतंत्र किया जाए।
- कृषि का बजट अलग से प्रस्तुत किया जाए और कृषि बजट को देश की जीडीपी में योगदान प्रतिशत के अनुसार आवंटित किया जाए।
- बिजली बिल को वापस लेकर प्रति उपभोक्ता को 300 यूनिट फ्री बिजली की सुविधा प्रदान की जाए।
- यमुना जल समझौते को लागू कर शेखावाटी में नहर का पानी सप्लाई किया जाए।
- सभी कृषि आदानों को (कीटनाशी, उर्वरक, कृषि यंत्र) की जीएसटी मुक्त घोषित किया जाए।