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उदयपुर की बस बनी आग का गोला:32 यात्रियों में से 24 घर, 8 अस्पताल पहुंचे, ड्राइवर की मौत, खलासी लापता


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उदयपुर की बस बनी आग का गोला:32 यात्रियों में से 24 घर, 8 अस्पताल पहुंचे, ड्राइवर की मौत, खलासी लापता

उदयपुर की बस बनी आग का गोला:32 यात्रियों में से 24 घर, 8 अस्पताल पहुंचे, ड्राइवर की मौत, खलासी लापता

उदयपुर : जयपुर-अजमेर हाईवे पर जयपुर से महज 11 किमी पहले एलपीजी गैस टैंकर से ट्रक की भिड़ंत और इसके बाद लगी आग की चपेट में उदयपुर की बस भी आई। 32 यात्रियों के साथ चालक-खलासी भी थे। बस देखते ही देखते खाक हो गई। लोहे का ढांचा ही बचा।

शहर में खांजीपीर निवासी ड्राइवर शाहिद बुरी तरह झुलस गए। इलाज के दौरान मौत हो गई। खलासी चित्तौड़गढ़ निवासी कालू लापता हैं। देर रात तक उनसे न तो कोई संपर्क ही हुआ और न ही वे घायल-मृतकों में नजर आए। बॉडी बुरी तरह जलने से पांच लोगों की पहचान भी नहीं हो पाई। ऐसे में कई तरह की आशंकाएं भी हैं। बताया जा रहा है कि यह बस धधकते टैंकर के पीछे चल रहे वाहनों में पांचवें नंबर पर थी।

आग लगते ही यात्री जैसे-तैसे कूदे। ऐसे में 8 को गंभीर चोट आई। इस दौरान वे झुलस भी गए। ये जयपुर के अस्पतालों में भर्ती हैं। अन्य सभी 24 यात्री अपने घर पहुंच गए हैं। हालांकि, इनमें से भी कुछ को बस से कूदने आदि के दौरान हल्की चोटें लगी हैं। लेकसिटी ट्रेवल की यह बस गुरुवार रात 9 बजे उदयपुर के रेती बस स्टैंड से निकली थी। बस में चालक-खलासी सहित 34 यात्री थे। यात्रियों में से 29 उदयपुर से बैठे थे, जबकि 3 राजसमंद से।

ये आठ अस्पताल में

उदियापोल स्थित लेकसिटी ट्रेवल्स बस के संचालक अब्दुल सलमान खान ने बताया कि बस में सवार खलासी कालू को छोड़कर सभी यात्रियों से संपर्क हो गया। केवल निर्मला, मनीष तिवारी, सोमराज मीणा, फैजान, जगदीश, सुनिल, कपिल व विनीता जयपुर अस्पताल में भर्ती हैं, जबकि अन्य सभी यात्री घर पहुंच गए हैं।

आंखों देखी… बस तपी तो खुली आंख, खिड़की तोड़कर बाहर निकले, भागते समय तपती सड़क से पैरों में छाले पड़ गए…

बस को सुबह करीब 6:15 बजे जयपुर पहुंचना था, लेकिन 5:44 बजे हादसे का शिकार हो गई। आग लगने के बाद बस के मेन गेट की तरफ कंटेनर आड़े आ गया। ऐसे में यह गेट नहीं खुल पाया। खाक हुई बस के पास कंटेनर से बंद गेट का साफ दिखाई दे रहा है। चूंकि, सबसे आगे चालक था, इसलिए उस पर हादसे का असर ज्यादा रहा।

प्रत्यक्षदर्शी सराड़ा निवासी देवीलाल मीणा ने बताया कि यात्री सो रहे थे। अचानक तपन महसूस हुई। आंख खुली तो देखा कि बस के आगे आग की लपटें थी। मेरी 3 नंबर की स्लीपर सीट थी। मैं खड़ा हुआ तो अचानक धमाके की आवाजें आना शुरू हुई। बस का मेन गेट बंद हो गया। मैंने तुरंत खिड़की का शीशा तोड़ा और कूदकर निकला। इसी खिड़की से करीब 10 लोग बाहर निकले गए। इनमें से कुछ को कूदते वक्त चोट लगी और कुछ मामूली झुलस भी गए। सड़क पर भी आग की लपटें उठ रही थी। मेरे पैर में छाले पड़ गए, जबकि हाथ में भी चोट लगी है। सभी ने खेतों में भागकर जान बचाई। मेरा बैग और जूते जल गए। बाकी लोगों के सामान भी बस में जल गए। देवीलाल जयपुर में खाना बनाने का काम करते हैं। वे 15 दिन पहले अपने गांव आए थे। शुक्रवार को जयपुर जा रहे थे।

बस का परमिट रिन्यू नहीं था

क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (आरटीओ) नेमीचंद पारीक ने बताया कि यह दुखद हादसा है। बस मालिक को बुलाकर सभी यात्रियों की जानकारी ली गई। उनकी लिस्ट बनवाकर सभी से संपर्क का प्रयास किया गया। बस के दस्तावेजों की प्रारंभिक जांच के दौरान सामने आया कि उसका परमिट रिन्यू नहीं कराया गया था। इस पर नियमानुसार कार्रवाई करेंगे।

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