गहलोत बोले-PKC-ERCP में किसानों को सिंचाई का पानी नहीं मिलेगा:नया एग्रीमेंट कर लिया, उसको गुप्त रखा जा रहा; समझौता हुआ तो वह पब्लिक प्रॉपर्टी हो गई
गहलोत बोले-PKC-ERCP में किसानों को सिंचाई का पानी नहीं मिलेगा:नया एग्रीमेंट कर लिया, उसको गुप्त रखा जा रहा; समझौता हुआ तो वह पब्लिक प्रॉपर्टी हो गई
जयपुर : पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने पार्वती-कालीसिंध-चंबल ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट ( पीकेसी-ईआरसीपी) के नए प्रोजेक्ट में किसानों के लिए सिचाई के पानी का प्रावधान नहीं रखने का दावा किया है। गहलोत ने कहा कि यही वजह है कि ईआरसीपी पर किए जा रहे एमओयू को छिपाया जा रहा है अन्यथा इसे गुप्त रखने का क्या कारण है?
गहलोत ने कहा- पीएम नरेंद्र मोदी अभी आकर गए हैं और सात दिन बाद फिर आ रहे हैं। पीएम किसी राज्य में जाते हैं, तो किस मकसद से जा रहे हैं, यह देखा जाता है। इन्होंने ईआरसीपी का नाम बदलकर पीकेसी-ईआरसीपी कर दिया। मध्यप्रदेश और राजस्थान सरकार के बीच एग्रीमेंट हुआ है, क्या जनता को यह जानने का हक नहीं है कि उसका राजस्थान को क्या लाभ मिलेगा, यह तो हक है।
हम मुख्यमंत्री से लगातार मांग कर रहे हैं, इसके बावजूद एमओयू सार्वजनिक नहीं किया जा रहा है। ईआरसीपी पर नया एग्रीमेंट भी कर लिया, उसको गुप्त रखा जा रहा है। प्रदेश की जनता को ही पता नहीं चल रहा कि आप हमारे हितों की रक्षा कर रहे हो या नहीं कर रहे हो। मध्य प्रदेश को फायदा मिलेगा या हमें मिलेगा यह हमें मालूम नहीं है।
छिपकर गुप्त एग्रीमेंट चल रहा है
गहलोत ने कहा- एक बात और है, यह नई पीकेसी-ईआरसीपी के नाम से नई योजना बन रही है। इसमें कहते हैं कि किसानों के लिए सिंचाई के पानी का प्रोविजन ही नहीं है। केवल पीने का पानी मिलेगा। पहले ईआरसीपी में हमने सिंचाई के पानी का प्रावधान किया था। यह छिपकर जो गुप्त एग्रीमेंट चल रहा है, सबसे बड़ा ऑब्जेक्शन हमें इसी बात का है।
मेरे राजनीतिक जीवन में यह पहली बार सुन रहा हूं कि सरकारों के एग्रीमेंट भी गुप्त रखे जा रहे हैं। दो सरकारों के बीच समझौते तो पब्लिक प्रॉपर्टी हो जाते हैं। कोई समझौता हुआ तो वह पब्लिक प्रॉपर्टी हो गई, उसे आप जनता को नहीं बताएंगे तो किसे बताएंगे ? पहला सवाल तो यही होता है कि आपने जो एग्रीमेंट किया वह है क्या, कम से कम यह तो बताएं।
रिफाइनरी को पांच साल लटका कर रखा
गहलोत ने कहा- प्रधानमंत्री प्रदेश के हित के लिए आ रहे हैं तो स्वागत करते हैं, लेकिन आ क्यों रहे हैं? पहले हमारा अनुभव बहुत कटु रहा है। साल 2013 में रिफाइनरी जैसा बड़ा प्रोजेक्ट लेकर हम आए थे, उस वक्त यूपीए सरकार थी, रिफाइनरी का राजस्थान में शिलान्यास हो गया, उसके बाद हमारी सरकार बदल गई।
पांच साल तक रिफाइनरी को ठंडे बस्ते में डाल दिया। बाद में जब चुनाव आने लगे, तब आपने अपने राजनीतिक हित साधने के लिए घबराकर उस रिफाइनरी को वापस से चालू किया। उस वक्त रिफाइनरी का फिर से शिलान्यास करने मोदी आए थे। रिफाइनरी प्रोजेक्ट को पांच साल लटकाकर रखा। इस कारण जो प्रोजेक्ट 39000 करोड़ का था। उसकी लागत बढ़कर 80 हजार करोड़ हो गई और अभी तक वह पूरा नहीं हुआ है।
पिछली सरकार को श्रेय नहीं मिले, इसलिए भाजपा सरकार ने ईआरसीपी में देरी की
गहलोत ने कहा- ईआरसीपी की योजना पहले 37 हजार करोड़ की थी, लेकिन डिले करने की वजह से इस योजना की लागत बढ़ गई, इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा? पिछली सरकार को इसका श्रेय नहीं मिले, यह बात इनके जेहन में हमेशा घुसी रहती है,इस कारण प्रोजेक्ट डिले करते हैं।
हम लोग ऐसा कभी नहीं करते। मुझे कभी याद ही नहीं कि हमारी सरकार बनने पर हमने जनहित का काम बंद किया। ऐसा किया हो तो बताएं, तो यह जो इनकी फितरत है, छोटे-मोटे कामों में भी पिछली सरकार को श्रेय नहीं मिले यह गलत है।
जनहित के कामों पर राजनीति नहीं हो
गहलोत ने कहा- सरकार बदलते ही इन्होंने हमारे राज में मंजूर सड़कों तक पर रोक लगा दी। इनकी और हमारी अप्रोच में रात-दिन का फर्क है। जनहित के कामों पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए, लेकिन बीजेपी सरकार इस पर ही राजनीति कर रही है। पीएम आ रहे हैं तो जवाब दें कि जो पहले के प्रोजेक्ट है, उस पर चिंतन मंथन करें कि राज्य का हित क्या है? पता ही नहीं लग रहा है कि हो क्या रहा है?