चौंका रहे आंकड़े : राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन भी सफल नहीं
सिकल सेल एनीमिया से एक साल में एक लाख 80 हजार की मौत!

चिड़ावा. देश और प्रदेश में सिकल सेल एनीमिया का कहर कम नहीं हो रहा। हर साल हजारों लोग इससे दम तोड़ रहे हैं। सिकल सेल एनीमिया पर रोकथाम और उन्मूलन के लिए किए जा रहे प्रयास भी विफल हो रहे हैं। दरअसल सिकल सेल हमारे शरीर में रेड ब्लड सेल्स (लाल रक्त कणिका) को प्रभावित करता है। इस रोग के कारण रेड ब्लड सेल्स की आकृति बदल जाती है और शरीर के हर हिस्से में ऑक्सीजन ठीक तरह से नहीं पहुंच पाता। इससे मरीज में एनीमिया और पीलिया के लक्षण दिखने लग जाते हैं। समय पर उपचार नहीं मिलने के कारण रोगी की मौत हो जाती है।
केंद्र सरकार ने सालभर पहले राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन शुरू किया। लेकिन सालभर में एक लाख 80 हजार के करीब मौतें हो चुकी हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार देश के 17 राज्यों में नवंबर 2024 तक चार करोड़ 75 लाख 42 हजार 776 लोगों की जांचें की गई। इसमें से एक साल में एक लाख 80 हजार 610 लोगों की सिकल सेल एनीमिया से मौत हो गई। राजस्थान में सालभर में सिकल सेल एनीमिया से 2947 लोगों की मौत हुई है।
- रोगग्रस्त व्यक्ति का छोटे-छोटे अंतराल पर उपचार।
- जीवन शैली प्रबंधन, विवाह और प्रसव से पूर्व निर्णय संबंधित परामर्श।
- फोलिक एसिड गोलियों का वितरण।
- पोषण तत्वों की पूर्ति के लिए अनुपूरक आहार सहायता।
- संकटकालीन लक्षणों का प्रबंधन।
- रोगग्रस्त मरीज को उच्चतम सुविधा केंद्र में रेफरल।
बच्चों में भी सिकल सेल एनीमिया के मामले बढ़ रहे हैं। जिसको लेकर गंभीर होने की जरूरत है। बच्चों में लगातार कमजोरी, दर्द, आंखों की रोशनी कम होना, खून की कमी, तिली बढऩा और पीलिया जैसे लक्षण नजर आने पर तत्काल चिकित्सकीय परामर्श लेना चाहिए।
-डॉ.रघुवीर सिंह मील, नवजात एवं शिशु रोग विशेषज्ञ, चिड़ावा
सिकल सेल एनीमिया अनुवांशिक है। जो कि संक्रमण से नहीं फैलता। इससे ग्रसित मरीजों को इलाज में किसी प्रकार की लापरवाही नहीं बरती चाहिए। मरीज को सही समय पर इलाज, फोलिक एसिड, संतुलित आहार लेना चाहिए। जिससे कि इस बीमारी की जटिलता से बचा जा सके।
-डॉ.सुमनलता कटेवा, पीएमओ, राजकीय उप जिला अस्पताल चिड़ावा
प्रत्येक संस्थान में उपचार पर जोर
सिकल सेल एनीमिया की प्रभावी रोकथाम के लिए प्रत्येक स्वास्थ्य केंद्र पर रोगग्रस्त मरीज को सुलभ ईलाज सुविधा पर जोर दिया जाता है। जिसमें जिला अस्पताल से लेकर आयुष्मान आरोग्य मंदिर (एएएम) स्तर तक के सभी स्वास्थ्य सुविधा केंद्रों में जांच की जाती है। मरीज को उप स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, शहरी पीएचसी, सीएचसी, जिला अस्पताल में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत उपचार दिया जाता है।
आदिवासी इलाकों में ज्यादा केस
सिकल सेल एनीमिया के मरीज कमजोर जनजातीय समूहों, जनजातीय बहुल आबादी में ज्यादा पाए जाते हैं। प्रदेश में सिकल सेल एनीमिया के केस सबसे ज्यादा सिरोही, बांसवाड़ा, उदयपुर, प्रतापगढ़, डूंगरपुर में पाए जाते हैं। वहीं एक साल में देश में सबसे ज्यादा मौतें उड़ीसा में 89 हजार 324, छतीसगढ़ में 25 हजार 378 तथा मध्यप्रदेश में 25 हजार 307 हुई।