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उदयपुर एकलिंगजी मंदिर में मिनी-स्कर्ट,नाइट सूट पहनकर आने पर रोक:मोबाइल, पालतू जानवरों पर भी पाबंदी; पूर्व राजपरिवार के आराध्य देवता हैं


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उदयपुर एकलिंगजी मंदिर में मिनी-स्कर्ट,नाइट सूट पहनकर आने पर रोक:मोबाइल, पालतू जानवरों पर भी पाबंदी; पूर्व राजपरिवार के आराध्य देवता हैं

उदयपुर एकलिंगजी मंदिर में मिनी-स्कर्ट,नाइट सूट पहनकर आने पर रोक:मोबाइल, पालतू जानवरों पर भी पाबंदी; पूर्व राजपरिवार के आराध्य देवता हैं

उदयपुर : प्रदेश के मंदिरों में ​पवित्रता को बनाए रखने के लिए मंदिरों में नए नियम लागू किए जा रहे हैं। उदयपुर के एकलिंगजी मंदिर में कपड़ों और मोबाइल को लेकर नए नियम लागू किए गए हैं।

नए नियमों के तहत यहां दर्शन करने आने वाले भक्त छोटे कपड़े (मिनी स्कर्ट, बरमूडा) और नाइट सूट पहन कर दर्शन नहीं कर पाएंगे। वहीं मोबाइल ले जाने पर भी पाबंदी लगा दी गई है।

उदयपुर से करीब 22 किलोमीटर दूर कैलाशपुरी गांव में एकलिंग जी मंदिर है। इन्हें मेवाड़ के आराध्य के तौर पर पूजा जाता है। मंदिर प्रबंधन की ओर से नए नियमों को लेकर बैनर शुक्रवार को परिसर में लगा दिया गया है।

एकलिंग जी मंदिर के बाहर नए नियमों का बैनर लगाया गया है।
एकलिंग जी मंदिर के बाहर नए नियमों का बैनर लगाया गया है।

मंदिर कमेटी की अपील,पवित्रता बनाए रखें

मंदिर कमेटी की ओर से जारी किए गए नए नियमों में मंदिर की पवित्रता को बनाए रखने का आग्रह किया गया है। मंदिर प्रबंधन का कहना है कि मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले कई भक्तों की ओर से इस तरह के कपड़े को लेकर शिकायत की गई थी। कहना था कि- भगवान के मंदिर में भक्तों का पहनावा ऐसा नहीं होना चाहिए। इसके बाद इस नियम को जोड़ा गया है।

उदयपुर का एकलिंग जी मंदिर। यहां मंदिर में फोटो खींचना पहले से मना है।
उदयपुर का एकलिंग जी मंदिर। यहां मंदिर में फोटो खींचना पहले से मना है।

अब मोबाइल भी नहीं ले जा सकेंगे

कपड़ों के साथ मंदिर में मोबाइल ले जाने पर भी पाबंदी लगा दी गई है। इससे पहले एकलिंग जी मंदिर में यहां आने वाले भक्तों और टूरिस्ट को मोबाइल स्विच ऑफ कर अंदर ले जाने की परमिशन थी। वहीं मंदिर में फोटो खींचने पर भी पाबंदी थी। इसके अलावा मंदिर में पालतू जानवर और किसी भी प्रकार के हथियार ले जाना भी प्रतिबंधित है।

जानिए मंदिर के बारे में

  • eternalmewar की वेबसाइट के अनुसार बप्पा रावल की ओर से स्थापित यह तीर्थ स्थल मेवाड़ का प्राचीन मंदिर है।
  • 734-753 ई. में मंदिर का निर्माण कराया था।
  • मंदिर का नवीनीकरण महाराणा मोकल (जन्म 1421-1433 ई.) की ओर से किया गया था।
  • वर्तमान मूर्ति को महाराणा रायमल (जन्म 1473-1509 ई.) की ओर से स्थापित किया गया था। एकलिंगनाथ भगवान शिव के अवतार हैं।
  • यह मंदिर सफेद संगमरमर से बना है। चारदीवारी में 108 तीर्थ स्थलों के साथ-साथ मुख्य मंदिर भी है।
  • आंतरिक गर्भगृह में काले संगमरमर से बनी भगवान एकलिंगनाथ जी की चार मुख वाली मूर्ति है। मंदिर के बाहर नंदी की एक छोटी चांदी की मूर्ति है।

एक साल पहले जगदीश मंदिर में लगाई थी रोक

एक साल पहले उदयपुर शहर के ऐतिहासिक जगदीश मंदिर में टी शर्ट, शॉर्ट जींस, बरमुडा, मिनी स्कर्ट, नाइट सूट पहनकर जाने पर रोक लगाई गई थी। ऐसा भक्तों को हिंदू संस्कृति के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से किया गया था। हालांकि विवाद बढ़ने के बाद देवस्थान विभाग की टीम ने वहां लगे सभी पोस्टर-बैनर हटवाए थे।

राजस्थान के इन बड़े मंदिरों में भी छोटे कपड़े बैन

  • राजस्थान में सबसे पहले अजमेर के अम्बे माता मंदिर में ड्रेस कोड की शुरुआत की थी। छोटे कपड़े पहनने के कारण कई भक्तों को मंदिर आने में असहज महसूस होता था। ऐसे में कई लोगों ने मंदिर में अनुशासन और सभ्य ड्रेस कोड को शुरू करने की अपील की थी।
  • झाड़खंड महादेव मंदिर, जयपुर : करीब 100 साल पुराने झाड़खंड महादेव मंदिर में भी हाफ पैंट, बरमूडा, मिनी स्कर्ट, नाइट सूट, कटी-फटी जीन्स, फ्रॉक पहनकर मंदिर में नहीं आने की हिदायत दे रखी है।
  • भीलवाड़ा के कोटड़ी चारभुजानाथ मंदिर : इस मंदिर में ड्रेस कोड लागू है। वहां ट्रस्ट की ओर से फैसला लेकर ड्रेस कोड लागू करते हुए पोस्टर-बैनर लगा रखे हैं।
  • सिरोही श्री पावापुरी तीर्थ जैन मंदिर : कृष्णगंज स्थित जैन धर्म के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल श्री पावापुरी जैन मंदिर में सभ्य कपड़े पहनकर मंदिर में प्रवेश के लिए कह रखा है। मंदिर में एक चेंजिंग रूम भी बना रखा है। अगर कोई गरिमामय कपड़े पहनकर नहीं आता है, तो उसे हम मंदिर के चेजिंग रूम में दूसरे कपड़े भी देते हैं।
  • पुष्कर ब्रह्मा मंदिर : इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आने वाले भक्तों से अपील कर रखी है कि वे मंदिर में सभ्य कपड़े पहनकर ही प्रवेश करें।
  • सिरोही जिले के सारणेश्वर महादेव मंदिर : इस मंदिर में देवझूलनी एकादशी को मेला लगता है। मंदिर में उसी को प्रवेश मिलता है जो देवासी समाज की पारंपरिक ड्रेस को पहनकर आता है। अगर कोई देवासी भी पारंपरिक वेशभूषा में नहीं आता है, तो उसे प्रवेश नहीं मिलता है।
  • सिरोही के माउंट आबू दिलवाड़ा जैन मंदिर : मंदिर में अगर कोई महिलाएं छोटे कपड़े पहन कर आ जाती है तो उनके लिए दुपट्‌टे और दूसरे कपड़ों की व्यवस्था भी कर रखी है।

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