‘भाजपा के दरवाजे बेनीवाल के लिए अब नहीं खुलेंगे’:ज्योति मिर्धा बोलीं- वे मौकापरस्त, किसी के भी घुटने दबाने को तैयार हो जाते हैं
'भाजपा के दरवाजे बेनीवाल के लिए अब नहीं खुलेंगे':ज्योति मिर्धा बोलीं- वे मौकापरस्त, किसी के भी घुटने दबाने को तैयार हो जाते हैं

नागौर : राजस्थान उपचुनाव की सबसे हॉट सीट खींवसर में जैसे ही बीजेपी के रेवंतराम डांगा की जीत की घोषणा हुई, नागौर की पूर्व सांसद डॉ. ज्योति मिर्धा ने समर्थकों के सामने पानी की बोतल उल्टी कर दी। ये राष्ट्रीय लाेकतांत्रिक पार्टी (रालोपा) का सिंबल है, जिसे खाली करते हुए संदेश दिया कि रालोपा का गढ़ ढहा दिया है।
खींवसर के उपचुनाव भले ही भाजपा के रेवंतराम डांगा और रालोपा की कनिका बेनीवाल के बीच लड़ा गया। लेकिन असली जंग रालोपा प्रमुख हनुमान बेनीवाल और डॉ. ज्योति मिर्धा के बीच थी।
उपचुनाव परिणाम के बाद हमारे रिपोर्टर ने डाॅ. ज्योति मिर्धा से खास बातचीत की। पढ़िए- प्रमुख अंश…
रिपोर्टर : मैदान में रालोपा और भाजपा थी, लेकिन अंदरूनी टक्कर एक बार फिर ज्योति मिर्धा वर्सेस हनुमान बेनीवाल रहा?
ज्योति मिर्धा : ये बहुत महत्वपूर्ण चुनाव था। इसमें पूरी भाजपा का अच्छा सहयोग रहा। खींवसर का रण जीतना पूरी टीम वर्क का नतीजा था।
रिपोर्टर : चर्चा है कि हनुमान बेनीवाल ‘दिल्ली’ में भाजपा से सेटिंग कर लेंगे, तो क्या भाजपा का बेनीवाल को लेकर अभी भी नरम रुख है?
ज्योति मिर्धा : मैंने हमेशा हनुमान बेनीवाल को चैलेंज दिया कि बिना गठबंधन जिस दिन चुनाव लड़ोगे, वही सही परिणाम होगा। कांग्रेस ने गठबंधन नहीं किया। इससे लोगों को सही तस्वीर देखने को मिली, लेकिन कांग्रेस कैंडिडेट ने अंदरखाने सेटिंग कर ली। ऐसी स्थिति में इनके पास अब लिमिटेड रास्ते बचे हैं।
मैंने पहले भी कहा है कि ये मौकापरस्त होकर किसी के भी घुटने दबाने को तैयार हो जाते हैं। अब ये गुडाले (घुटनों के बल) होकर बीजेपी में जाने की बात करें तो किसी को अचरज नहीं होना चाहिए। मेरा फिर से चैलेंज है कि लोगों को कहते हो अपना तीसरा मोर्चा कायम रखें और वहीं रहकर लड़ाई लड़ें।
जनता ने अपने फैसले में इनको नकार दिया तो उतरी हुई हांडी को बीजेपी क्यों गांठेगी? इन्होंने बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व और सीएम भजनलाल शर्मा की आलोचना की है। भाजपा एक अनुशासित पार्टी है और ऐसी चीजों को हल्के में नहीं लेती है, तो मुझे नहीं लगता कि आज की तारीख में भाजपा के दरवाजे बेनीवाल के लिए खुले हैं।
रिपोर्टर : बेनीवाल खींवसर को रालोपा की राजधानी बताते हैं। भाजपा किस रूप में देखती है?
ज्योति मिर्धा : अगर वो इसे गढ़ कहते थे तो वो गढ़ तो आज ध्वस्त हो गया। इनकी तो राजधानी ही नहीं बची। इन परिस्थितियों में अस्तित्व को बचाने की लड़ाई है।
रिपोर्टर : बेनीवाल का कहना है कि भाजपा ने रालोपा के सदस्य को अपना दूल्हा बना लिया?
ज्योति मिर्धा : वो कहते हैं कि ज्योति मिर्धा को उन्होंने चुनाव जिता दिया या दिव्या मदेरणा, हरीश चौधरी, डोटासरा को उन्होंने जिता दिया। जब वो चाहते थे जिता दिया, जब वाे चाहते थे हरा दिया। कमाल की बात है कि वो कह रहे हैं कि इन सबने मिलकर उन्हें ही हरा दिया। इसमें उनकी कमजोरी कहीं ना कहीं दिखाई देती है।
जिन-जिन लोगों ने रालोपा छोड़कर दूसरी पार्टी जॉइन की वे जरूर सफल होकर जनप्रतिनिधि बने हैं। कोई MLA तो कोई MP जीता है। अगर वो सबको जिता रहे थे तो उपचुनाव की जीत उनके घर में होती। वो नहीं उनका अहंकार बोलता था।
रिपोर्टर : बेनीवाल ने कहा कि सारे कायरों ने एक हाेकर चुनाव हरा दिया?
ज्योति मिर्धा : जब आपने हर बार कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस से गठबंधन किया, किसी से अंदरखाने सेटिंग की तो किसी से खुले में की। तब तो आप उसे कायरता नहीं कहते थे। हम जिस पार्टी में हैं] वहां सबने अपनी ईमानदारी से प्रयास किया है। ऐसे में उनका सबको कायर कहना गरिमामय नहीं है। लोकतंत्र में जनता की ताकत होती है। वो बहुत ज्यादा पावर के नशे में रहे, इसलिए शायद चीजों को देख नहीं पाए।
रिपोर्टर : बेनीवाल ने कहा कि दिव्या मदेरणा ने खींवसर में भाजपा का प्रचार किया, कितनी सच्चाई है?
ज्योति मिर्धा : बेनीवाल को भाजपा-कांग्रेस की बात करनी ही नहीं चाहिए। वो तीसरा मोर्चा है, उनको अपनी पार्टी की बात करनी चाहिए। जो खुद कभी किसी पार्टी के सगे नहीं रहे वो क्यों किसी दूसरे को आदर्श बातों की दुहाई देते हैं? उन्होंने हमेशा अपने आप को एक समाज का नेता बताया और समाज की ही बहन-बेटियों के बारे में हल्का-भारी बोलते थे। इस चीज की समाज में भी आलोचना होती थी। उसी का आज उनको खामियाजा भुगतना पड़ा।
कई वीडियो में देखा होगा कि वो कार्यकर्ताओं के साथ मारपीट पर उतर आते थे। उन्हीं सब चीजों का सामूहिक प्रभाव आज देखने को मिला। बहुत लंबे समय से खींवसर में भय का वातावरण था। आज वो खत्म हो गया। उन्होंने रेवंतराम डांगा के लिए बहुत हल्की और अशोभनीय बातें कहीं, ये अच्छा नहीं है।
रिपोर्टर : रेवंतराम डांगा की पत्नी ने समय रहते हुए रालोपा से इस्तीफा नहीं दिया, भाजपा में कॉर्डिनेशन की कमी दिखी। ज्योति मिर्धा : ये उनका अपना इंटरनल मैटर है। रेवंतराम डांगा की पत्नी को प्रधान बनाना बेनीवाल की मजबूरी थी।
रिपोर्टर : खींवसर जीत से नागौर में भाजपा को किस तरह संजीवनी मिली है?
ज्योति मिर्धा : खींवसर में पिछले लंबे समय से नेगेटिव टाइप की राजनीति हुई है। जातियों में आपसी तालमेल अच्छे से बिठाएंगे और 36 कौम को एक जाजम पर लाना अभी चुनौती है।
रिपोर्टर : भाजपा जॉइन करने के एक साल बाद अब रालोपा की चुनौती कितनी दूर हुई?
ज्योति मिर्धा : जब कोई बड़ा मकसद हल करना होता है तो एक कदम पीछे हटना पड़ता है। हारकर जीतने वाले को ही बाजीगर कहते हैं। पिछले एक साल में कारवां जोड़ने का काम किया। रालोपा की स्थिति ये है कि उपचुनाव की 7 में से 6 सीटों पर कोई उनका टिकट लेने वाला नहीं था। इससे उनकी कमजोरी साफ जाहिर होती है।
जब खींवसर में उनको टिकट देना था तो भाई को टालकर पत्नी को टिकट देना पड़ा। इससे पता चलता है कि रालोपा एक कमरे में सिमटकर रह गई है। एक साल में मजबूत टीम बनने का परिणाम है रालोपा अपने गढ़ में ही नगण्य हो गई।
रिपोर्टर : चुनाव के दौरान लगाए आरोपों की जांच होगी?
ज्योति मिर्धा : जाे गबन किया है और जिनके दस्तावेज हैं उन आरोपों की जांच बिल्कुल होगी। किसी का पीछा करने जैसी कोई बात नहीं है। जनता के सामने चीजें उजागर होनी चाहिए।
रिपोर्टर : बेनीवाल कह रहे हैं कि अभी वे सांसद हैं। एक हार से पार्टी को कोई फर्क नहीं पड़ता?
ज्योति मिर्धा : राजस्थान से तो पार्टी का सफाया ही हो चुका है। इन परिस्थितियों में इतने बड़े दावे ठोकना अच्छी बात नहीं। वो सांसद हैं तो अपने सांसद कोष जहां चाहें खर्च कर सकते हैं बस। हमेशा की तरह जबरदस्ती का श्रेय लेने का सिलसिला वो जारी रख सकते हैं। 2-4 लोग हैं जो नीचे से निकालकर नई स्वीकृतियों की जानकारी उन्हें दे देते हैं, उनका भी देख लेंगे। समय के साथ उनकी भी छंटनी हो जाएगी।
रिपोर्टर : निकाय और पंचायती राज चुनावों में मिर्धा परिवार वर्सेस बेनीवाल परिवार दंगल चलता रहेगा?
ज्योति मिर्धा : मिर्धा परिवार आज की तारीख में भाजपा के साथ में है। नागौर में पार्टी को मजबूत करना ही सब लोगों का उद्देश्य है। गांव में रहने वाले आदमी के लिए पंचायती राज चुनाव सबसे अहम होता है।
रिपोर्टर : खींवसर उपचुनाव में कांग्रेस के प्रदर्शन को किस रूप में देखते है?
ज्योति मिर्धा : इनकी (हनुमान बेनीवाल की) अंदरखाने कांग्रेस कैंडिडेट के साथ सेटिंग थी। उन्होंने (कांग्रेस) अपने वोट यहां (रालोपा) पर डायवर्ट करवाने का पूरा प्रयास किया है। मेरा मानना है कि कांग्रेस ने 10 हजार वोट रालोपा को डायवर्ट कर दिए। उनके खुद के 5 हजार 454 वोट आए, जबकि वो एक चुनाव का जिक्र करके 67 हजार वोटों का मालिक होने का दावा करते थे। अगर कांग्रेस को उसके असली वोट मिलते और वो रालोपा की तरफ डायवर्ट नहीं करते तो भाजपा का जीत का अंतर 25 हजार वोटों तक पहुंच सकता था।