सर्जरी के बाद महिला के पेट में टॉवल छोड़ा:सरकारी हॉस्पिटल में डिलीवरी, 3 महीने दर्द से कराहती रही, आंत में गांठ बताकर देते रहे दवा
सर्जरी के बाद महिला के पेट में टॉवल छोड़ा:सरकारी हॉस्पिटल में डिलीवरी, 3 महीने दर्द से कराहती रही, आंत में गांठ बताकर देते रहे दवा

कुचामन (डीडवाना) : सिजेरियन डिलीवरी कराने में सरकारी हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने भारी लापरवाही बरती है। सर्जरी के दौरान महिला के पेट (एब्डोमेन) में 15×10 सेंटीमीटर का टॉवल (मेडिकल गॉज) छोड़ दिया और टांके लगा दिए। महिला घर चली गई। उसे पेट में तेज दर्द होने लगा। उसने डॉक्टरों को फिर दिखाया। पेट में गांठ बताकर डॉक्टर उसे दवा देते रहे। फिर भी आराम नहीं मिला। थक-हारकर महिला ने जोधपुर एम्स में दिखाया तो पेट में तौलिया होने का खुलासा हुआ। मामला कुचामन (डीडवाना) का है।

3 महीने तक इलाज के लिए भटकते रहे परिजन
पवन कुमार ने बताया कि उनकी पत्नी चंचल कंवर (26) का सीजेरियन ऑपरेशन 1 जुलाई 2024 को कुचामन के जिला अस्पताल में डॉक्टर हरेंद्र नेत्रा और उनकी टीम ने किया था। ऑपरेशन के बाद उन्हें 10 जुलाई को हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गई, लेकिन पेट दर्द लगातार बना रहा। पेट दर्द कम नहीं होने पर परिजनों ने विशेषज्ञों से सलाह ली, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। इलाके के कई अन्य हॉस्पिटल में भी दिखाया। अजमेर स्थित हॉस्पिटल के डॉक्टर ने तो पेट में गांठ बताकर दवाइयां शुरू कर दीं।
सर्जरी में निकला मेडिकल गॉज
पवन कुमार बताते हैं- अजमेर के डॉक्टर की दवा से भी आराम नहीं मिला। थक-हारकर जोधपुर स्थित एम्स में दिखाया। यहां सिटी स्कैन के दौरान पेट में एक वस्तु (फॉरिन बॉडी) होने की जानकारी मिली। 17 अक्टूबर को सर्जरी की गई। सर्जरी के दौरान पेट से एक बड़ा मेडिकल गॉज (टॉवल) निकाला गया। डॉक्टरों ने बताया कि सिजेरियन डिलीवरी के दौरान यह गॉज पेट में रहने के कारण आंतें खराब हो गई हैं। तीन महीने तक लगातार दर्द निवारक दवाएं लेने के कारण अन्य अंगों पर भी बुरा प्रभाव पड़ा है। इसके बाद डॉक्टरों और उनकी टीम के खिलाफ मामला दर्ज करवाया गया है।
नवजात पी रहा बाहरी दूध
पति ने बताया- पेट दर्द और कम खाने के कारण पीड़िता के शरीर में पर्याप्त दूध नहीं हुआ। नतीजतन, नवजात को जन्म से ही बाहरी दूध पिलाया जा रहा है। आंतों को हुए नुकसान के चलते महिला की पाचन क्रिया प्रभावित हुई है। एम्स के डॉक्टरों ने अगले तीन-चार महीने तक लिक्विड डाइट और हल्का आहार लेने की सलाह दी है।
CMHO ने बनाई जांच कमेटी
मामले में कलेक्ट्रेट से मिली शिकायत पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) डीडवाना-कुचामन ने जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया। कमेटी में डॉ. संदीप, डॉ. गोपाल ढाका, और डॉ. राजवीर को शामिल किया गया। इसके बाद पुरानी कमेटी को भंग कर डीडवाना हॉस्पिटल में नई कमेटी बनाई गई। इसके अध्यक्ष डॉ. अभिषेक बेंदा हैं। इस कमेटी में डॉ. संदीप (एनेस्थीसिया), स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. कानाराम, सर्जरी विशेषज्ञ डॉ. अम्बराव वेदप्रकाश शामिल हैं।

जांच कमेटी ने ऑपरेशन के डॉक्युमेंट्स मांगे
जांच कमेटी के अध्यक्ष डॉ. अभिषेक बेंदा ने बताया कि सीएमएचओ के आदेश पर 18 नवंबर को कमेटी का गठन किया गया था। कुचामन हॉस्पिटल और जोधपुर एम्स से इलाज से संबंधित सभी दस्तावेज की कॉपी मांगी गई है। इस संबंध में कुचामन थाने को भी सूचित किया गया है। अब तक आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए हैं। सीएमएचओ को लिखित में अवगत कराया गया है और जांच के लिए ट्रीटमेंट रिपोर्ट मांगी गई है। डीडवाना के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अनिल जूडिया ने बताया कि कलेक्ट्रेट से सूचना मिलने के बाद पहले 5 नवंबर को जांच कमेटी का गठन नावां हॉस्पिटल से किया गया था। इसके बाद कमेटी के एक डॉक्टर को APO कर दिया था। इसकी वजह से कमेटी को बदलकर डीडवाना में पुनर्गठित किया गया। डीडवाना की नई कमेटी के सदस्यों ने अब मामले से पुलिस (कुचामन) से संबंधित सर्टिफाइड कॉपी (डॉक्युमेंट्स) की मांग की है, लेकिन अभी तक दस्तावेज उपलब्ध नहीं हो पाए हैं।

जोधपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर
एडवोकेट सरवर खान ने बताया- पीड़ित की ओर से इस मामले में विभिन्न विभागों में कई बार शिकायत की गई। बावजूद इसके ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। इस मामले में जोधपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। थाने में दी गई शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज करने और जांच कमेटी में एम्स जोधपुर के डॉक्टर को सदस्य के रूप में शामिल करने की गुजारिश की गई है। ताकि कार्रवाई जल्द से जल्द हो और पीड़ित को न्याय मिल सके। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया और मानवाधिकार आयोग में भी शिकायत की गई है।