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32 लाख का पैकेज छोड़ साध्वी बनेंगी सॉफ्टवेयर इंजीनियर:पिता ऑटोमोबाइल कारोबारी, मां बोलीं-कहती मुझे पैसों से सुख नहीं


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32 लाख का पैकेज छोड़ साध्वी बनेंगी सॉफ्टवेयर इंजीनियर:पिता ऑटोमोबाइल कारोबारी, मां बोलीं-कहती मुझे पैसों से सुख नहीं

32 लाख का पैकेज छोड़ साध्वी बनेंगी सॉफ्टवेयर इंजीनियर:पिता ऑटोमोबाइल कारोबारी, मां बोलीं-कहती मुझे पैसों से सुख नहीं

अजमेर : बेंगलुरु में सालाना लाखों का पैकेज, पढ़ाई में होशियार और पिता भी कोराबारी…ये सबकुछ छोड़कर ब्यावर निवासी 28 साल की सॉफ्टवेयर इंजीनियर हर्षाली कोठारी साध्वी बनेंगी।

इससे पहले हर्षाली की बुआ की इच्छा पर रविवार को अजमेर शहर में बैड-बाजों के साथ वरघोड़ा निकाला गया। इसमें बड़ी संख्या में समाज के लोग मौजूद थे। वे वे 3 दिसंबर को सांसारिक जीवन त्याग आचार्य रामलाल महाराज के सानिध्य में संयम पथ अपनाएंगी।

हर्षाली की मां से जब बेटी के संयम पथ स्वीकार करने का सवाल किया तो मां का कहना था- कोविड काल में जब उसने चातुर्मास में प्रवचन सुने तो वह कहने लगी मां अब पैसों का सुख नहीं है और मैं जॉब छोडूंगी।

दीक्षा से पहले अलग-अलग धार्मिक कार्यक्रम रविवार को अजमेर में हुए। इस दौरान बड़ी संख्या में समाज के लोग मौजूद थे।
दीक्षा से पहले अलग-अलग धार्मिक कार्यक्रम रविवार को अजमेर में हुए। इस दौरान बड़ी संख्या में समाज के लोग मौजूद थे।

हर्षाली बोलीं- जॉब करते वक्त मेरे सवालों ने यहां तक पहुंचाया

हर्षाली ने बताया कि मई 2018 में उनकी बेंगलुरु के एडोब कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर कंपनी में जॉब लगी थी। कोरोनाकाल चल रहा था तो वर्क फ्रॉम होम था। जॉब करते वक्त मेरे मन में यही सवाल आया कि यह जीवन क्यों मिला और मैं क्या कर रही हूं और मुझे क्या करना है। इन्हीं सभी सवालों के जवाब ने यहां तक आने की प्रेरणा मिली है।

इस मार्ग पर चलने की प्रेरणा उनके गुरुदेव रामलाल महाराज से मिली। गुरुजी ने मुझे- सुख, दुख, जीवन क्या है और जीवन क्यों मिला है यह सोचने के लिए प्रेरित किया था।

हर्षाली ने कहा कि मैं सभी को यही संदेश दूंगी की हम अपनी भागदौड़ की जिंदगी में कुछ मिनट शरण अपने लिए निकाले। बाहर की दुनिया बहुत अच्छी है और देख भी रहे हैं। लेकिन अंदर की दुनिया बाहर की दुनिया से बहुत बड़ी है। इसलिए उस दुनिया को भी जानना जरूरी है।

अगर कुछ मिनट भी अपने लिए निकालेंगे तो हमें जरूर उससे सुख की अनुभूति होगी। जो हमें मनुष्य जन्म मिला है वह सार्थक होगा। नहीं तो जानवर की तरह जन्मे हैं और जानवर की तरह मर जाएंगे।

अजमेर में वरघोड़ा निकाला गया। इस दौरान हर्षाली के साथ उनके माता-पिता और भाई के साथ बुआ भी मौजूद थी।
अजमेर में वरघोड़ा निकाला गया। इस दौरान हर्षाली के साथ उनके माता-पिता और भाई के साथ बुआ भी मौजूद थी।

बेटी ने 32 लाख की नौकरी छोड़ी

हर्षाली की मां उषा कोठारी(50) ने बताया कि हर्षाली की पढ़ाई बीएल गोठी पब्लिक स्कूल ब्यावर में ही हुई। इसके बाद उसने जयपुर के लक्ष्मी निवास मित्तल कॉलेज से 2017-18 में कंप्यूटर सांइंस में बीटेक किया। इसके बाद से बेटी बेंगलुरु की एक मल्टीनेशनल कंपनी में बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर के पद पर काम कर रही थी। बेटी का साल का 32 लाख का पैकेज था।

जब कोरोना काल के समय हर्षाली वर्क फ्रॉम होम काम कर रही थी तो उस समय ब्यावर में जैन संत रामलाल महाराज सा का चातुर्मास कार्यक्रम चल रहा था।

हर्षाली ने चातुर्मास के कार्यक्रम में शिरकत की और उस समय से दिन दुनिया से दूर होकर धर्म के प्रति झुकाव बढ़ता गया। कोरोनाकाल खत्म होने के बाद जब कंपनी की ओर से वापस ऑफिस जाकर काम करने के लिए कहा गया तो हर्षाली ने मार्च 2023 में नौकरी छोड़ दी और पूरी तरह से धर्म का साथ देने लगी।

दीक्षा कार्यक्रम से पहले रविवार को अजमेर में अलग-अलग कार्यक्रम हुए।
दीक्षा कार्यक्रम से पहले रविवार को अजमेर में अलग-अलग कार्यक्रम हुए।

मां बोली- बेटी ने आकर कहा पैसों में सुख नहीं, संयम मार्ग पर चलना है…

हर्षाली की मां उषा कोठारी ने बताया कि बेटी की जॉब चल रही थी। तभी उसने एक दिन मुझसे आकर कहा- मुझे पैसों से सुख नहीं है। मुझे जॉब छोड़नी है। बेटी को परिवार के लोगों ने काफी समझाया लेकिन वह मानी नहीं। इसके बाद उसने जब परिवार से संयम पथ पर जाने की अनुमति मांगी तो बेटी के सुख को देखते हुए परमिशन दे दी।

मां ने कहा कि दुख तो बहुत है लेकिन बेटी संयम मार्ग पर आगे बढ़े इसलिए दुख को भूलकर इसके सुख की कामना कर रहे हैं।

हर्षाली के चचेरे भाई हनी डाबरिया ने बताया कि हर्षाली का जन्म 26 दिसंबर 1996 में हुआ। पिता अशोक कोठारी ऑटो पार्ट्स के व्यापारी है। मां उषा कोठारी हाउस वाइफ है। इसके साथ ही एक छोटा भाई आयुष कोठारी भी है। भाई ने बताया कि बहन पढ़ाई में काफी होशियार थी। 10वीं और 12वीं में उसने टॉप भी किया था।

धार्मिक कार्यक्रम में बड़ी संख्या में जैन समाज के लोग पहुंचे थे। इस दौरान हर्षाली का अभिनंदन भी किया गया।
धार्मिक कार्यक्रम में बड़ी संख्या में जैन समाज के लोग पहुंचे थे। इस दौरान हर्षाली का अभिनंदन भी किया गया।

अजमेर में निकला वरघोड़ा

हर्षाली कोठारी की बूआ किरण डाबरिया अजमेर में रहती है। उनकी इच्छा पर रविवार को अजमेर में गोद भराई की और अभिनंदन अजमेर में किया गया। अरिहंत कॉलोनी से वरघोड़ा शुरू होकर स्वाध्याय भवन पहुंच। इसमें जैन समाज के बड़ी संख्या में लोग भी शामिल हुए।

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