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बज उठी झुंझुनूं उपचुनाव की रणभेरी


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झुंझुनूंटॉप न्यूज़राजस्थानराज्य

बज उठी झुंझुनूं उपचुनाव की रणभेरी

बज उठी झुंझुनूं उपचुनाव की रणभेरी

चुनाव आयोग ने झुंझुनूं उपचुनाव की घोषणा के साथ ही दोनो राजनीतिक दलो के भावी विधायक आलाकमान की तरफ टिकट के लिए निहार रहे हैं । यदि कांग्रेस की बात करें तो टिकट ओला परिवार को मिलने की संभावना है क्योंकि बृजेन्द्र ओला सांसद शायद इसी समझौते के तहत बने थे । इस बार अल्पसंख्यकों की तरफ से भी टिकट की मांग की गई है इसको कांग्रेस आलाकमान कितनी गंभीरता से लेती है उसकी स्थिति आने वाले दिनों में स्पष्ट हो जायेगी । भाजपा की तरफ से सूत्रों की मानें तो तीन नामों का पैनल आलाकमान को सौपा गया है । इन तीन नामों में बबलू चौधरी, राजेन्द्र भांभू व बनवारीलाल सैनी है । बबलू चौधरी की बात करें तो इंद्रा डूडी के प्रकरण में उनकी टिकट की दावेदारी में पेंच फंस सकता है । इंद्रा डूडी कांग्रेस समर्थित चिड़ावा प्रधान थी । उनकी निष्ठा सदैव ओला परिवार से रही है । भाजपा उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई लेकिन बबलू चौधरी के प्रयासों से उनकी कुर्सी बच गई । इतना ही नहीं बबलू चौधरी ने अपने झुंझुनूं आवास पर प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर इंद्रा डूडी को भाजपा का दुपट्टा पहनाकर भाजपा ज्वाइन करने की घोषणा कर दी । विदित हो प्रधान का पद कोई छोटा पद नहीं होता है । भाजपा में शामिल करने को लेकर संगठन को विश्वास में लेना होता है । जिलाध्यक्ष की अनुशंसा पर ही भाजपा प्रदेश अध्यक्ष इसकी घोषणा करते हैं । कुल मिलाकर इंद्रा डूडी प्रकरण की छाया ने बबलू चौधरी की टिकट की दावेदारी को कमजोर कर दिया है । राजेन्द्र भांभू पिछले विधानसभा चुनावों में बागी उम्मीदवार बनकर भाजपा को हराने का काम किया था । भाजपा प्रदेश के उस बयान पर गौर करें कि इन उपचुनावो में टिकट रिपीट नहीं की जायेगी । यानी झुंझुनूं में भाजपा नये चेहरे पर दांव लगा सकती है और वह नाम है पैनल का तीसरा नाम बनवारीलाल सैनी का । वैसे झुंझुनूं में एक मिथक बनाया हुआ है कि केवल एक जाति विशेष का ही उम्मीदवार चुनाव जीत सकता है । इसी मिथक के कारण हरियाणा में कांग्रेस से सता खिसक गई क्योंकि वहां चुनाव भाजपा बनाम कांग्रेस का न होकर जाट बनाम अन्य जातियों का हो गया था । चुनाव एक जाति के वोटो से नहीं जीते जाते छतीश क़ौम के वोट जिस उम्मीदवार को मिलेंगे वहीं जीत का वरण करता है ।

पूर्व मंत्री व विधायक राजेन्द्र गुढा भी चुनावी दंगल में अपनी ताल ठोंक चुके हैं और चुनाव को त्रिकोणीय बनाने के लिए माहौल बना रहे हैं । अपने बेटे शिवम् गुढ़ा के जन्मदिन पर झुंझुनूं में बड़ा आयोजन कर चुनावी दस्तक दे दी थी । देखा जाए तो गुढा भाजपा व कांग्रेस के वोटो में सेंधमारी कर सकते हैं । कुल मिलाकर यह उपचुनाव बहुत ही दिलचस्प होने के साथ ही करीबी मुकाबला होने वाला है । यदि भाजपा बागी उम्मीदवार व गुटबाजी को लेकर अपने वोटो के बिखराव को रोकने में कामयाब होती है तो निश्चित रूप से मुकाबला करीबी होगा । वैसे झुंझुनूं के मतदाताओं को लेकर यही कहा जा सकता है कि वे बड़े परिपक्व है और झुंझुनूं के विकास को ध्यान में रखकर उचित उम्मीदवार का चयन करेंगे ।

राजेन्द्र शर्मा झेरलीवाला, वरिष्ठ पत्रकार व सामाजिक चिंतक

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