गोवाहाटी : आर्मी चीफ उपेंद्र द्विवेदी ने असम के गंगटोक में 11 अक्टूबर को पोर्टेबल मल्टी-टारगेट डेटोनेशन डिवाइस ‘अग्नि अस्त्र’ लॉन्च किया। वे आर्मी कमांडर कॉन्फ्रेंस (ACC) में भाग लेने आए थे। इस डिवाइस की मदद से कई टारगेट को एक साथ निशाना बनाया जा सकता है।
इसे मैनुअली और रिमोटली यानी ड्रोन के जरिए टारगेट पर इंस्टॉल किया जा सकता है। इंजीनियर कोर के मेजर राजप्रसाद ने इसे बनाया है। उन्हें इस साल की शुरुआत में 19 मार्च को इसका पेटेंट मिला था। डिवाइस को WEDC के नाम से भी जाना जाता है।
अधिकारियों ने बताया कि इस डिवाइस की मदद से कमरे से लेकर छिपे बंकर तक को तबाह किया जा सकता है। एंटी-टेररिस्ट ऑपरेशनों में यह अहम भूमिका निभा सकता है। इस डिवाइस को पहले से इस्तेमाल किए जा रहे एक्सप्लोडर डायनेमो कैपेसिटर में सुधार करके बनाया गया है। पहले इसकी रेंज 400 मीटर थी।
जबकि इस नए डिवाइस की टेक्नोलॉजी माइक्रोप्रोसेसर पर आधारित है। इससे यह 2.5 किमी की रेंज में वायर्ड और वायरलेस दोनों मोड में काम कर सकता है। इससे सुरक्षित दूरी पर रहकर इफेक्टिव ब्लास्ट किया जा सकता है।
डिवाइस से ब्लास्ट की तीन तस्वीरें…
पहली बार दिल्ली से बाहर हुआ ACC जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने सिक्किम में सेना कमांडरों की कॉन्फ्रेंस (ACC) में शिरकत की। ऐसा पहली बार हुआ जब इसे दिल्ली से बाहर किसी स्ट्रैटजिक रूप से महत्वपूर्ण जगह पर आयोजित किया गया था। कॉन्फ्रेंस हाइब्रिड तरीके से हो रही है। इसका पहला चरण गंगटोक में और दूसरा चरण 28-29 अक्टूबर को नई दिल्ली में होगा।
अधिकारियों ने बताया- ऑपरेशनल तैयारियों की समीक्षा, स्ट्रैटजी पर चर्चा और आगे की आउट लाइन तैयार करने के लिए यह कॉन्फ्रेंस की गई। अगले चरण में इस पर और बात की जाएगी।
रक्षा मंत्री ने BRO के 75 इंफ्रा-प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन किया
वहीं, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार 12 अक्टूबर को सिक्किम में बनी रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण कुपुप-शेराथांग रोड का वर्चुअली उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने पश्चिम बंगाल, नगालैंड सहित 11 राज्यों के कुल 75 इंफ्रा-प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन किया। इनमें 22 सड़कें और 51 पुल हैं। रक्षा मंत्री ने पश्चिम बंगाल के सुकना में त्रिशक्ति कोर के हेडक्वार्टर से इन परियोजनाओं का उद्घाटन किया।
ये निर्माण सीमा सड़क संगठन (BRO) ने किया है। चीन सीमा और अन्य दूरदराज इलाकों में बने इन प्रोजेक्ट्स की लागत करीब 2236 करोड़ रुपए है। इससे लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर तैनात सुरक्षा बलों की आवाजाही, राशन, ऑर्टिलरी जैसी चीजें पहुंचाने में आसानी होगी।