पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जन्मदिन पर विशेष
पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जन्मदिन पर विशेष

पडित दीनदयाल उपाध्याय एक गंभीर दार्शनिक एक गहन चिंतक होने के साथ साथ वह एक समर्पित संगठनकर्ता व नेता थे जिन्होंने सार्वजनिक जीवन में सुचिता व गरिमा के उच्चतम आयाम स्थापित किए। उनके अनुसार अनेकता में एकता और विभिन्न रूपो में एकता की अभिव्यक्ति भारतीय संस्कृति की सोच रही है । उन्होंने हिन्दू शब्द को धर्म के तौर पर नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति के तौर पर परिभाषित किया था । पंडित दीनदयाल उपाध्याय सादा जीवन, उच्च विचार और दृढ़ संकल्प व्यक्तित्व के धनी थे । वे एक संगठक लेखक, पत्रकार , विचारक , राष्ट्रवादी और उत्कृष्ट मानवतावादी थे । उनके राजनीतिक, सामाजिक और व्यक्तिगत जीवन में सबसे कमजोर , सबसे गरीब व्यक्ति की चिंता कचौटती रहती थी । गरीबों व मां भारती की सेवा करने के भाव को लेकर 1937 में राष्टीय स्वयं सेवक संघ में शामिल हुए । इसके बाद राजनिति में कदम रखा व जनसंघ के महासचिव बनने के बाद अध्यक्ष की भूमिका का बसूखी से निर्वहन किया ।
उन्होंने स्वामी विवेकानंद व महात्मा गांधी के एक मजबूत , जीवंत और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के विचार को आगे बढाने का अथक प्रयास किया । पूंजीवाद व समाजवाद की जगह उन्होंने परिकल्पित नैतिक मूल्यों और लोक व्यवहार के आधार पर आर्थिक नीतियों को अपनाने पर बल दिया । उनके लिए राजनिति जनसेवा का माध्यम थी । पंडित जी का मानना था कि भारतीयता, धर्म , धर्म राज्य, राष्ट्रवादी और अंत्योदय की अवधारणा से ही देश विश्व गुरू का स्थान हासिल कर सकता है । सभी के लिए शिक्षा , हर हाथ को रोजगार, हर खेत में पानी के उनके दृष्टिकोण ने ही एक लोकतांत्रिक आर्थिक व्यवस्था और आत्मनिर्भर होने का मार्ग प्रशस्त किया है ।
भारत रत्न स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई ने सुशासन के लक्ष्य को आगे बढाने में व ग्रामीणो का जीवन स्तर ऊंचा उढाने में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के पदचिन्हों का अनुशंसा किया था । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी मार्ग दर्शन में देश लोकल से वोकल का सपना लेकर आत्म निर्भर बनने की ओर अग्रसर है । आज हमारे स्टार्ट अप मजबूत भारत की नींव रख रहे हैं । केन्द्र सरकार की दीनदयाल अंत्योदय योजना एक व्यापक योजना है जिसका उद्देश्य कौशल विकास और अन्य माध्यमों से आजिविका के अवसरों को बढ़ाकर शहरी और ग्रामीण गरीबों का उत्थान करना है ।
उनके द्वारा कालीकट में जनसंघ के अधिवेशन में कहें गये शब्दों में राष्ट्र वाद, देशप्रेम और मानवतावादी की झलक स्पष्ट दिखलाई देती है । उन्होंने कहा था हम किसी विशेष समुदाय, वर्ग की नहीं बल्कि पूरे देश की सेवा करने के लिए प्रतिबद्ध है । उनकी प्रतिज्ञा थी कि हर भारतवासी को भारत माता की संतान होने पर गर्व का अनुभव करवाना है । हम भारत को सुजला, सुफलां के वास्तविक अर्थों को धरातल पर उतारने में स्वयं को समर्पित कर देंगे ।
राजेन्द्र शर्मा झेरलीवाला, वरिष्ठ पत्रकार व सामाजिक चिंतक