जनमानस शेखावाटी संवाददाता : मोहम्मद अली पठान
चूरू : चूरू के वरिष्ठ कांग्रेस नेता, जिला कांग्रेस कमेटी उपाध्यक्ष, सामाजिक-सांस्कृतिक क्षेत्र के सक्रिय कार्यकर्ता सुबोध मासूम का शनिवार रात्रि को निधन हो गया। 66 वर्षीय मासूम स्थानीय भरतिया अस्पताल में उपचाराधीन थे। उनके निधन से क्षेत्र में शोक की लहर फैल गयी है।
रविवार को उनका अंतिम संस्कार ओम कॉलोनी स्थित रेलवे मुक्तिधाम में परिजनों द्वारा किया गया। उनके पुत्र आशुतोष शर्मा ने उन्हें मुखाग्नि दी। मासूम एक बेटे, दो बेटियों सहित भरा-पूरा परिवार छोड़कर गए हैं। उनकी धर्मपत्नी संतोष मासूम जिला उपभोक्ता प्रतितोष आयोग की सदस्य हैं।
इस अवसर पर जिला उपभोक्ता प्रतितोष आयोग के अध्यक्ष मनोज मील ने मासूम के व्यवहार और सामाजिक सक्रियता की सराहना करते हुए कहा कि उनके जाने से क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है। पीसीसी सदस्य रामजीलाल शर्मा, पीपी काशीराम शर्मा, राधेश्याम चोटिया, उपभोक्ता आयोग सदस्य सुभाष मेघवाल, विकास मील, हसन रियाज चिश्ती, कुमार संजय, राजीव बहड़, आमिर रियाजत खान, मनीष कुमावत, पूर्व पालिकाध्यक्ष मुरलीधर शर्मा, डॉ एफएच गौरी, मुकुल भाटी, प्रवीण कुमार, महेश मिश्रा, कालूराम महर्षि उनके परिवारजनों सहित विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के नेता कार्यकर्ता, सामाजिक संस्थाओं से जुड़े लोग, सरकारी अधिकारी कर्मचारी, पत्रकार और प्रमुख नागरिक उनकी अंतिम यात्रा में शामिल रहे। रविवार शाम पूर्व मंत्री अश्क अली टाक, जमील चौहान ने मासूम के घर जाकर संवेदना व्यक्त की है।
सुबोध के मित्र एवं जनसम्पर्क विभाग के पूर्व संयुक्त निदेशक बीएम ओझा ने बताया कि सुबोध मासूम सरल, सहज, मेहनती व्यक्तित्व के धनी एवं मिलनसार स्वभाव के साथ मृदुभाषी इंसान थे। उनके इस दुनिया को अलविदा कह अचानक चला जाना समाज के लिए अपूर्णीय क्षति है। कांग्रेस विचारधारा के प्रखर व्यक्तित्व सुबोध मासूम ने अपने भारतीय युवा समाज के बैनर पर 1980 में राजस्थानी महोत्सव का आगाज़ कर सार्वजनिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में अपनी गहरी छाप छोड़ी। इस राज्य स्तरीय आयोजन में अनेक प्रमुख लोगों के अलावा दैनिक नवज्योति के संस्थापक संपादक और स्वतंत्रता सेनानी दुर्गाप्रसाद चौधरी भी शामिल हुए थे। चौधरीजी ने सफल आयोजन के लिए पीठ थप थपाकर सुबोध मासूम की हौसला आफजाई की थी। पिछले लगभग 45 वर्षों में उन्होंने अनेक बड़े साहित्यिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और सियासी आयोजनों के माध्यम से अपनी उपस्थिति दर्ज की और चूरू के विकास के लिए अपने जीवन के अंतिम क्षणों तक सतत प्रयत्नशील रहे। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित कांग्रेस के प्रादेशिक और राष्ट्रीय नेताओं से उनके निकट सम्बन्ध रहे हैं।ओझा ने अपने दशकों पुराने मित्र को याद करते हुए कहा सुबोध चूरू के सार्वजनिक जीवन के प्राण और सभी के सुख दुःख के साथी थे।