खेतड़ी : चूरु जिले के 62 वर्षीय एक मरीज को 10 दिनों से गंभीर श्वास की समस्या थी। कई अस्पतालों में इलाज करवाने के बावजूद राहत न मिलने पर, परिजन उन्हें जयपुर में कार्यरत खेतड़ी के गोरीर निवासी अस्थमा और चेस्ट विशेषज्ञ, डॉ. लोकेश मान के पास ले गए । मरीज़ के परीक्षण में उनका ऑक्सीजन लेवल 50 प्रतिशत से भी कम पाया तो डॉ. मान ने मरीज की गंभीर स्थिति देखते हुए उन्हें तुरंत आईसीयू में भर्ती किया और वेंटिलेटर पर रखा। छाती के एक्सरे से पता चला कि बायां फेफड़ा पूरी तरह से बंद हो गया था। इसके बाद, डॉ. लोकेश मान ने ब्रोंकोस्कोपी (फेफड़ों की दूरबीन जाँच) का निर्णय लिया, जिसमें पाया गया कि फेफड़ा म्यूकस से भरा हुआ था।फेफड़ों की सफाई के दौरान, डॉ. मान ने पाया कि बायां फेफड़ा एक प्लास्टिक की वस्तु से अटा हुआ था। परिवारजनों से पता चला कि यह वस्तु मरीज के गले के कैंसर के ऑपरेशन के बाद लगाई गई मशीन की थी। जो पिछले 10 दिनों से ठीक से काम नहीं कर रही थी।
ब्रोंकोस्कोपी के दौरान, 1.5 सेंटीमीटर की प्लास्टिक की वस्तु निकालने के बाद और एक वस्तु भी फंसी दिख रही थी।
इस बार इसको निकालने के लिए वेंटीलेटर ट्यूब को भी साथ में ही निकालना पड़ा तथा तुरंत दूसरी ट्यूब डालकर वेंटिलेटर पर लिया। इस बार चौंकाने वाली बात ये थी की ये 8.5 सेंटीमीटर लंबी पेंसिल थी । इन वस्तुओं को निकालने के बाद, मरीज का ऑक्सीजन लेवल सुधारने लगा। अगले दिन, मरीज को वेंटिलेटर से हटा कर सामान्य वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया । छाती का एक्सरे पूरी तरह सामान्य हो गया। मरीज़ अब बिलकुल नार्मल अवस्था में डिस्चार्ज हुआ।
यह मामला विशेष था क्योंकि फेफड़ो में 8.5 सेण्टीमीटर लंबी नुकीली वस्तु किसी मरीज के फेफड़ों में इतनी देर तक फंसी रही और इसका पता लगाकर डॉ मान ने निकालने में सफलता हासिल की ।