चूरू : डॉक्टर भगवान का दूसरा रूप होता है। इस बात को दो इंटर्न डॉक्टर्स से बुधवार सुबह साबित कर दिया। जिन्होंने बस में बेहोश हुए सरकारी टीचर को बस में ही प्राथमिक इलाज दिया, फिर कार किराए पर लेकर उसे डीबी अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में पहुंचाया। जहां इलाज मिलने पर टीचर की हालत में सुधार आया। थोड़ी देर भी टीचर को इलाज नहीं मिलता तो कुछ भी अनहोनी हो सकती थी।
अस्पताल में इंटर्न डॉक्टर्स राहुल बालाण व रक्षंता राठी ने बताया कि उनकी रतनगढ़ अस्पताल में ड्यूटी लगी हुई है। इसलिए रोडवेज बस से रतनगढ़ जा रहे थे। इसी बस में सवार रेजड़ी राजगढ़ निवासी रमेशचंद (52) भी सवार थे। जो की गौरीसर के राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल में टीचर है। सातड़ा गांव के पास रमेश कुमार की तबीयत बिगड़ गई और वह बेहोश हो गया। उसका शरीर ठंडा पड़ गया।
यात्रियों के शोर मचाने पर डॉ. राहुल बालाण व डॉ. रक्षंता राठी ने बस को साइड में रूकवाया। टीचर को सीट पर लेटाया। जांच करने पर सामने आया कि टीचर की बीपी व शुगर लेवल गिर गया था। दोनों इंटनर्स डॉक्टर्स ने अपना धर्म निभाते हुए उसका प्राथमिक इलाज किया, लेकिन हालत में ज्यादा सुधार नहीं होने पर दोनों ने रास्ते से गुजर रही कार को किराये पर किया और बेहोश टीचर को डीबी अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में पहुंचाया। जहां मौजूद सीनियर डॉक्टर ने टीचर का इलाज किया। टीचर रमेशचंद की हालत अब स्थिर है। अस्पताल के सीनियर डॉक्टर्स ने बताया कि अगर कुछ देर तक टीचर को नहीं संभाला जाता तो टीचर हार्ट अटैक या पैरालाइसिस का अटैक हो सकता था।