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फारुख अब्दुल्ला की पार्टी के खतरनाक इरादे


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फारुख अब्दुल्ला की पार्टी के खतरनाक इरादे

फारुख अब्दुल्ला की पार्टी के खतरनाक इरादे

राजेन्द्र शर्मा झेरलीवाला पिलानी, वरिष्ठ पत्रकार व सामाजिक चिंतक

जम्मू-कश्मीर में चुनावो की घोषणा के साथ ही राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ गई व राजनीतिक पारा भी चढ़ गया है । नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने अपनी पार्टी का चुनावी घोषणापत्र जारी किया है । इसमें जो घोषणाएं की गई है उससे अब्दुल्ला परिवार के अलगाववादी व खतरनाक इरादे स्पष्ट दिखलाई देते हैं । प्रमुख घोषणाओ में पाकिस्तान से शान्ति वार्ता की जाएगी । अनुच्छेद 370 की पुनः बहाली के लिए विधानसभा में प्रस्ताव लाया जायेगा । पाकिस्तान के साथ काश्मीर मुद्दे पर वार्ता करने का मतलब है कि अब्दुल्ला परिवार काश्मीर को भारत का अभिन्न अंग नहीं मानता है और इसको लेकर पाकिस्तान से वार्ता करने का इच्छुक है । जबकि केन्द्र में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने काश्मीर को लेकर अपना रूख स्पष्ट करने के साथ ही पाक नियंत्रित पीओके को भी भारत का अभिन्न अंग मानते हुए उस पर दावा जता चुकी है । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी काश्मीर को लेकर पाक से कोई वार्ता के इच्छुक नहीं हैं क्योंकि उनकी नजरों में काश्मीर वार्ता का कोई मुद्दा नहीं है । असल मुद्दा आंतकवाद है जिसमें पाक बाज नहीं आ रहा है । पाक आंतकवाद की फैक्ट्री है जब तक इस पर लगाम नहीं लगाई जाएगी नरेन्द्र मोदी पाक से कोई वार्ता के पक्षधर नहीं है ।

370 की बहाली की बात करने के मायने है कि अब्दुल्ला परिवार 370 वाले आंतकवाद के पक्षधर हैं । लेकिन जम्मू-कश्मीर के आवाम को सुनिश्चित करना है कि 370 वाला आतंकवाद चाहते हैं या मौजूद समय में जो अमन चैन और खुशहाली के वातावरण को जन्म लिया है उसे चाहते हैं । यदि अब्दुला सता में आते हैं तो जम्मू कश्मीर में जम्मू-कश्मीर में वही पत्थरबाजी वाले हालात दिखाई देने के साथ ही आतंकवादी नेता दिल्ली में सहयोगी पार्टी कांग्रेस के साथ बैठकर बिरयानी का स्वाद लेंगे । 370 की आड़ मे केन्द्र सरकार की विशेष सहायता को कुछ ही परिवारों ने हजम किया था उनको अब 370 हटने से मलाई खाने को नहीं मिलेगी तो उनका दुखी होना वाजिब है । 370 के हटने के बाद सुरक्षा बलों ने बड़ी मुश्किल से काबू किया करने के साथ ही शांति व अमन चैन का वातावरण पैदा किया है । श्रीनगर की झीलों में सैलानियों ने नाव चलाने का लुफ्त उठाना शुरू किया है जिसमें वहां के लोगों को रोजगार के साधन मुहैया हुए हैं । राजनीतिक दृष्टि से देखें तो लाल चौक तिरंगा शान से लहरा रहा है व अब सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे जम्मू कश्मीर के आवाम को मिलने लगा है ।

अब्दुल्ला परिवार और उसकी सहयोगी कांग्रेस पार्टी के खतरनाक इरादे नेशनल कांफ्रेंस के घोषणा पत्र से परिलक्षित हो रहे हैं लेकिन आवाम सुख चैन के साथ रोजगार को चाहता है ।

राजेन्द्र शर्मा झेरलीवाला पिलानी, वरिष्ठ पत्रकार व सामाजिक चिंतक

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