21 हजार फीट लंबे कपड़े पर लिखी शहीदों की कहानी:अंग्रेजों का अत्याचार काले पेन से बताया; वजन 50 किलो, 51 से ज्यादा रिकॉर्ड बनाए
21 हजार फीट लंबे कपड़े पर लिखी शहीदों की कहानी:अंग्रेजों का अत्याचार काले पेन से बताया; वजन 50 किलो, 51 से ज्यादा रिकॉर्ड बनाए

उदयपुर : आज हम देश की आजादी का 78वां जश्न मना रहे हैं। ये आजादी हमें चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, लाला लाजपत राय जैसे वीर शहीदों के कारण मिली है। आजादी के वीरों और घटनाओं की गाथाओं को उदयपुर के एक व्यक्ति ने अनूठे ढंग से सहेजा है। ये गाथाएं कागज की जगह कपड़े पर लिखी गईं हैं।
खास बात है कि अंग्रेज अफसरों के जुल्मों को काले पेन से लिखा गया है, वहीं वीरों के बलिदान को लाल पेन से लिखा गया है। इस कपड़े की लंबाई 21000 फीट हो चुकी है। वीरों के इतिहास को इस रोचक तरीके से सहेजने वाले मनोज आंचलिया (53) दावा करते हैं कि ये विश्व की सबसे लंबी कपड़े की पट्टिका है।
78वें स्वतंत्रता दिवस के इस खास मौके पर मीडिया कर्मी ने मनोज आंचलिया से बात की…
आजादी की लड़ाई के हर घटनाक्रम को लिखा
मनोज आंचलिया ने बताया कि शहीदों और क्रांतिकारियों का इतिहास एक ही सूत्र में पिरोना मुख्य उद्देश्य था। देश को आजाद करवाने में कई वीरों की जान गई। ऐसे वीरों की जानकारी जुटाने का काम 15 साल पहले शुरू किया था। जानकारी मिलने के बाद सभी की वीर गाथा और घटनाओं को 5 साल पहले कपड़े पर लिखना शुरू किया था।
इसके अलावा स्वतंत्रता की लड़ाई के दौरान कौन से संगठन-संस्थाएं काम करती थीं, उनकी क्या भूमिका रही। कौन सी पत्र-पत्रिकाएं उस दौर में निकलीं और उनका स्वतंत्रता में क्या योगदान रहा। इन सबका जिक्र भी उन्होंने किया है। इसके अलावा कलम से आजादी की अलख जगाने वाले साहित्यकार और रचनाकार के बारे में भी लिखा गया है।
कागज की जगह कपड़ा लंबे समय तक सुरक्षित रहता है
मनोज ये सब जानकारी जुटाने के लिए पांच साल में देशभर की करीब 30 से ज्यादा यूनिवर्सिटी और कॉलेज में गए। करीब 1000 से ज्यादा किताबें और पत्र-पत्रिकाओं से स्वतंत्रता संग्राम के किस्से, शहीद और वीर गाथाओं के बारे में जानकारी जुटाई।
इसके बाद कागज की जगह कपड़े पर वीर गाथा लिखने का फैसला लिया गया। मनोज ने बताया कि कपड़ा लंबे समय तक सुरक्षित रहता है, इसलिए स्वतंत्रता का इतिहास कपड़े पर उतारा। इसे आगे केमिकल के जरिए सालों तक सुरक्षित रखने का प्लान है।
5 साल में कपड़े का वजन करीब 50 किलो
गाथा लिखने के लिए सार्टन का कपड़ा लिया गया। करीब 20 फीट लंबे कपड़े पर ऐसी अहम जानकारियां लिखने की शुरुआत की थी। फिर सिलाई मशीन से कपड़े से कपड़ा जोड़ते गए। आज कपड़े की लंबाई 21000 फीट हो गई है, जिसे लकड़ी की 3 मजबूत चकरियों में लपेटा हुआ है। एक चकरी में कपड़े का वजन करीब 40 से 50 किलो है।

अंग्रेजों के अत्याचार को काले रंग से लिखा
आंचलिया ने बताया कि कपड़े पर वीर गाथा लिखने के लिए दो रंग के पेन का इस्तेमाल किया गया। काला और लाल मार्कर पेन। काला रंग विरोध और बुराई का प्रतीक है। अंग्रेज अफसरों और वायसराय ने भारतीयों पर निर्मम तरीके से अत्याचार किया था। ऐरसे में उनके काले कारनामों और अत्याचार को काले पेन से लिखा गया है।
वहीं देश के लिए बलिदान देने वाले शहीदों और उनकी वीर गाथाओं को लाल पेन से लिखा गया। लाल रंग रक्त का रंग है और वीर शहीदों ने अपना रक्त अपनी मातृभूमि के लिए समर्पित किया। कई अहम घटनाओं का जिक्र भी कपड़े पर हैं, जिसे हरे व नीले मार्कर पेन से लिखा गया है।
इसके अलावा राजस्थान में नानक भील, दामोदार राठी, बालमुकुंद विसवा, रामनारायण चौधरी, राव गोपाल सिंह, भोगीलाल पंडया, विजय सिंह पथिक, गोकुल भाई भट्ट, माणिक्यलाल वर्मा, मोतीलाल तेजावत, गोपाल सिंह, गोविंद गुरु, हरिभाउ उपाध्याय, सागरमल गोपाल और केसरसिंह बारहठ आदि के नाम शामिल किए हैं।

51 से ज्यादा रिकॉर्ड बनाए
मनोज आंचलिया अब तक 51 से अधिक रिकॉर्ड अपने नाम कर चुके हैं। आगे इनका लक्ष्य लिम्का बुक और गिनीज बुक रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराना है। उनका कहना है कि गुमनाम शहीद और स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में आज की युवा पीढ़ी जागरुक हो। स्कूल और कॉलेज में जाकर स्टूडेंट्स को इस बारे में बताया गया।
मनोज ने बताया कि आगे देश भ्रमण करने का भी प्लान है, जिसमें स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी, विभिन्न संस्थाएं और जन-जन के बीच अपने दीर्घ पट्टिका की प्रदर्शनी लगाना चाहता हूं। जिससे लोगों को गुमनाम शहीद और स्वतंत्रता सेनानियों की वीर गाथाओं के बारे में पता लग सके।
आंचलिया की उदयपुर में ही खेल के सामान की शॉप है। जिसे वे पत्नी के साथ संभालते हैं। उनकी दो बेटियां हैं, जिनकी शादी हो चुकी है।