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सांसद राजकुमार रोत बोले- भील प्रदेश जरूर बनेगा:सरकारी प्रोजेक्ट की वजह से साढ़े 4 लाख आदिवासियों को करना पड़ा पलायन


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सांसद राजकुमार रोत बोले- भील प्रदेश जरूर बनेगा:सरकारी प्रोजेक्ट की वजह से साढ़े 4 लाख आदिवासियों को करना पड़ा पलायन

सांसद राजकुमार रोत बोले- भील प्रदेश जरूर बनेगा:सरकारी प्रोजेक्ट की वजह से साढ़े 4 लाख आदिवासियों को करना पड़ा पलायन

बांसवाड़ा : बांसवाड़ा में विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर शुक्रवार को जिला स्तरीय कार्यक्रम बारिश के कारण 3 घंटे देरी से शुरू हुआ। इसके बावजूद खेल मैदान स्थल पर बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के लोग पहुंचे। कई लोग यहां लोकगीत गाते हुए पारंपरिक वेशभूषा में आए। कुछ युवाओं ने हाथ में तीर कमान ले रखे थे। पंडाल में पानी भरने से कीचड हो गया। इसके बाद आयोजकों ने दूसरी जगह पंडाल लगाकर व्यवस्था की।

बांसवाड़ा के खेल मैदान में विशाल पंडाल लगाया गया। बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के लोग पहुंचे।
बांसवाड़ा के खेल मैदान में विशाल पंडाल लगाया गया। बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के लोग पहुंचे।

कार्यक्रम में पहुंचे सांसद राजकुमार रोत ने कहा कि इस कार्यक्रम के लिए हमारे व्यवस्थापकों ने बहुत मेहनत की। ज्यादा बारिश होने से अव्यवस्था हुई। फिर भी बांसवाड़ा के इतिहास में इतने बड़े पैमाने पर आदिवासी दिवस मनाया जा रहा है। आगे हम इसे और धूमधाम से मनाएंगे। असुविधाएं नहीं होने देंगे।

कार्यक्रम की शुरुआत असम के सांस्कृतिक दल से प्रस्तुति देकर की। सांसद राजकुमार ने कहा कि यहां दो सांस्कृतिक टीमें आई हैं। असम की टीम खुद बजाते हैं, खुद गाते हैं और खुद नाचते हैं। इन्हें डीजे की जरूरत नहीं पड़ती। यही आदिवासी कल्चर है। बांसवाड़ा की कल्चरल टीम भी तैयार हो। ऐसा साउंड आए कि डीजे की जरूरत न पड़े।

कार्यक्रम में असम से आदि कलाकारों ने दल ने सांस्कृतिक प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम में असम से आदि कलाकारों ने दल ने सांस्कृतिक प्रस्तुति दी।

दोपहर 2 बजे बांसवाड़ा-डूंगरपुर सांसद राजकुमार रोत कार्यक्रम स्थल पहुंचे था। सासंद का मंच पर पड़गी पहनाकर स्वागत किया गया। रोत ने मंच से ‘जय जोहार’ और ‘एक तीर एक कमान-आदिवासी एक समान’ के नारे लगवाए।

सांसद ने बताया- UNO ने क्यों घोषित किया विश्व आदिवासी दिवस

सांसद रोत ने कहा- आज विश्व आदिवासी दिवस है। इसकी घोषणा। संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) ने 1994 में की थी। उस वक्त मैं दो साल का था। यूएनओ ने तब घोषणा की थी, आज हम 2024 में विश्व आदिवासी दिवस मना रहे हैं।

यूएनओ ने इस दिवस की घोषणा इसलिए की क्योंकि पूरी दुनिया में आदिवासी समुदायों, जल जंगल जमीन, आदिवासी संस्कृति, आदिवासी धर्म-परंपराओं और रीति रिवाज को खत्म किया जा रहा था।आदिवासियों के साथ अन्याय और भेदभाव हो रहा था।

यूएनओ में कई देशों के प्रतिनिधि थे। उन्होंने विचार किया कि मानव जीवन को बचाना है तो जल जंगल जमीन को बचाना होगा। जल जंगल जमीन को बचाना है तो आदिवासियों को बचाना होगा। इसलिए आदिवासी दिवस की घोषणा की गई।

बारिश के कारण कार्यक्रम 3 घंटे देरी से शुरू हुआ। इसके बावजूद बड़ी संख्या में लोग पहुंचे।
बारिश के कारण कार्यक्रम 3 घंटे देरी से शुरू हुआ। इसके बावजूद बड़ी संख्या में लोग पहुंचे।

होली-दीवाली से भी बड़ा त्योहार है आदिवासी दिवस

सांसद राजकुमार रोत ने कहा- आदिवासी दिवस हमारे त्योहारों होली-दिवाली से भी बड़ा त्योहार है। हमारे इलाके में 2015 से संगठन ने काम किया। संघर्ष किया। जनता को बताया कि विश्व आदिवासी दिवस घोषित किया गया है। 2015 तक यह दिवस भारत के किसी भी कोने में नहीं मनाया जाता था।

आदिवासी परिवार संगठन ने आदिवासी दिवस बनाने की शुरुआत की। डूंगरपुर जिले में हमने 2016 में आदिवासी दिवस मनाने के लिए प्रशासन से मैदान मांगा। लेकिन प्रसाशन ने कहा कि ये दिवस नहीं मना सकते। इसके बाद हमने गोकुलपुरा में निजी जमीन पर आदिवासी दिवस मनाया। 2016 में हमने इसे छोटे पैमाने पर मनाया और यह अब तक जारी है।

हम एक विचारधारा के साथ आगे बढ़ रहे हैं। 9 अगस्त 2018 में डूंगरपुर जाम हो गया था। लाखों लोग आदिवासी दिवस मनाने जुटे। तत्कालीन वसुंधरा सरकार तक मैसेज गया कि डूंगरपुर में आदिवासी दिवस पर लाखों लोग जुटे हैं। पूरा जिला जाम हो गया था। उसी दौरान वसुंधरा सरकार ने इस दिन ऐच्छिक अवकाश की घोषणा की थी।

आदिवासी दिवस मनाया जाना गोविंद गुरु महाराज की मेहरबानी है। मावजी महाराज ने समाज को जागृत किया। यूएनओ ने इस दिवस की घोषणा की।

कार्यक्रम में कई आदिवासी नाचते गाते और पारंपरिक वेशभूषा में पहुंचे।
कार्यक्रम में कई आदिवासी नाचते गाते और पारंपरिक वेशभूषा में पहुंचे।

गहलोत सरकार पर दबाव बनाया तो अवकाश घोषित हुआ

सांसद ने कहा- आपने मुझे और सागवाड़ा से विधानसभा में जिताकर 2019 में राजस्थान विधानसभा में भेजा। हम दो विधायक थे। हमने तत्कालीन गहलोत सरकार पर दबाव बनाया। कहा कि आप आदिवासियों के हितैषी हैं तो राजस्थान में आदिवासी दिवस पर राजकीय अवकाश घोषित करना होगा। उसी साल सरकार की मजबूरी बनी और राजकीय अवकाश घोषित हुआ।

कुछ लोग कहते हैं कि हमने क्या किया। हमने यह किया आज आप आदिवासी दिवस की छुट्‌टी लेकर घर में बैठे हैं। अगर यह विचारधारा न होती तो दूसरी पार्टी के लोग आपको कभी आदिवासी दिवस का अवकाश नहीं देते। राजस्थान ने पहल की तो छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के लोगों ने भी मांग की और वहां भी आदिवासी दिवस का अवकाश हुआ।

आदिवासी परिवार संस्था की ओर से कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
आदिवासी परिवार संस्था की ओर से कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

1995 के बाद आई सरकारों की जिम्मेदारी थी

सांसद रोत ने कहा- 1995 से जो भी सरकारें रहीं। उनकी जिम्मेदारी थी कि आदिवासी दिवस मनाएं। आदिवासियों को उनके संवैधानिक अधिकारों के बारे में बताएं। उन्हें आदिवासी आरक्षण का महत्व बताएं। आदिवासियों की योजनाओं, केंद्र से मिलने वाला पैसा, राज्य से मिलने वाला पैसा, इन सबकी जानकारी दें, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।

आज राजस्थान में भाजपा सरकार है। टीएडी मंत्री भी हैं। एक विधायक की डेथ हुई है, इसकी तकलीफ है। सरकार को, मंत्रियों को आदिवासियों के बीच आना चाहिए था। आदिवासियों की समस्याओं के बारे में जानना चाहिए था। कितने आदिवासी विस्थापित हो गए हैं। संविधान में आरक्षण की क्या व्यवस्था है। कितना आरक्षण मिलना चाहिए। ये बताते। लेकिन एक भी मंत्री कहीं भी आदिवासी दिवस नहीं मना रहा है।

कार्यक्रम में शामिल लोग। महिलाएं भी बड़ी तादाद में उपस्थित हुईं।
कार्यक्रम में शामिल लोग। महिलाएं भी बड़ी तादाद में उपस्थित हुईं।

कहते हैं इस इलाके में माहौल बिगड़ गया है

रोत ने तंज कसते हुए कहा- कुछ लोग कहते हैं कि इस इलाके में माहौल बिगड़ गया है। माहौल नहीं बदला, तुम्हारा लूटने का तरीका बिगड़ गया है। आपकी सोच के हिसाब से माहौल बिगड़ा है। आप जुमले फेंकते थे। अब समाज जाग गया है। अपने हकों के लिए लड़ने को तैयार है। तो आपको लगता है कि माहौल खराब हो गया है।

कुछ लोग आदिवासी का सर्टिफिकेट लगाकर बड़े अफसर, नेता, मंत्री बन गए हैं। वे कहते हैं कि आपने हमें कार्यक्रम के लिए निमंत्रण नहीं दिया। हमने कहा कि यहां शादी का कार्यक्रम नहीं है। यह दिवस यूएनओ ने घोषित किया है। यह किसी एक व्यक्ति का कार्यक्रम नहीं। इसे सफल बनना हमारी सबकी जिम्मेदारी है। लोग विवेक से आएं और धूमधाम से आदिवासी दिवस मनाएं।

हम संघर्ष नहीं करते तो आज आप बॉस की डांट खा रहे होते

सांसद रोत ने कहा- आज राजकीय अवकाश है। हमारे कई भाई जो कर्मचारी हैं। वे घर जाकर सो रहे हैं। अगर हमारे पुरखों ने काम नहीं किया होता तो आदिवासी दिवस की छुट्‌टी न हुई होती। हमने 2015 से 2018 तक संघर्ष न किया होता तो आज आप कोई फाइल निपटा रहे होते। बॉस की डांट खा रहे होते।

अगर आज की छुट्‌टी मिली है तो अपने घरवालों को बताएं कि यह दिवस क्यों घोषित हुआ। आदिवासियों के लिए संविधान में क्या प्रावधान हैं। जल जंगल जमीन के लिए कौन लड़ रहा है। कई लोग घर पर बैठे हैं। वे डरते ही रह जाएंगे।

यह किसी अकेले की लड़ाई नहीं है। मानव मात्र की लड़ाई है। हर धर्म समुदाय की है। हम कुदरत बचाने लड़ रहे हैं। ये बचा तो सबको फायदा होगा। सब जिंदा रहेंगे। ऑक्सीजन ही नहीं मिलेगी तो क्या कोई जिंदा रहेगा।

आदिवासी दिवस कार्यक्रम में जुटे लोग। पंडाल से बाहर भी बड़ी तादाद में लोग थे।
आदिवासी दिवस कार्यक्रम में जुटे लोग। पंडाल से बाहर भी बड़ी तादाद में लोग थे।

प्रोजेक्टों के कारण आदिवासियों का विस्थापन हो रहा है

सांसद राजकुमार रोत ने कहा- आदिवासी भाई बहन किसी के बहकावे में मत आना। हमें विवेक से लड़ाई लड़नी है। कई प्रोजेक्ट के कारण आदिवासियों का विस्थापन हो रहा है। पूरे देश में पावर प्लांट, सोने की खदान, टाइगर प्रोजेक्ट के जरिए 5 साल में साढे 4 लाख आदिवासियों को विस्थापित होना पड़ा।

यह सरकारी आंकड़ा है। इसके खिलाफ हमें संवैधानिक तरीके से लड़ना है। कोई बड़ा प्रोजेक्ट आने पर उसके 100 किमी के एरिया से विस्थापन होता चला जाता है। हमने अंग्रेजों के खिलाफ भी लड़ाई लड़ी। अब भील प्रदेश की लड़ाई बुलंद करनी है।

गोविंद गुरु महाराज के आंदोलन में ताकत है। हम उनके विचारों को आगे बढ़ाएंगे। एक दिन भील प्रदेश जरूर बनेगा। जब नंदलाल मीणा टीएडी मंत्री थे तो कहा था कि भील प्रदेश बनेगा। अब पर्ची मंत्री बने हुए हैं। हमें उनसे नहीं उनके विचारों से लड़ता है।

युवा साथी नशे से दूर रहें

राजकुमार रोत ने युवाओं से अपील की कि वे नशे से दूर रहें। उन्होंने कहा- युवा साथी नशे पते से दूर रहें। सुरक्षित रहना हमारा लक्ष्य है। खा-पी के मजबूत रहना है। शरीर मजबूत रहेगा तो दिमाग मजबूत रहेगा। इस तरह हम हमारे हक के लिए लड़ने को तैयार रहेंगे। युवाओं को हम पढ़ा-लिखाकर आईएएस, आईपीएस बनाएंगे। शिक्षा और खेल के क्षेत्र में क्रांति करेंगे।

आज बारिश के कारण जो अव्यवस्था हुई, उसी से हम आगे बढ़ेंगे। हमें एसी-कूलर की आदत नहीं है। हम तकलीफ सहेंगे,संघर्ष करेंगे तो निश्चित आगे बढ़ेंगे। आप सभी को विश्व आदिवासी दिवस की शुभकामनाएं।

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