क्या राजस्थान विधानसभा में MLA का गला दबाया गया:स्पीकर बोले- दुर्व्यवहार तो महिला पुलिसकर्मी के साथ हुआ; कांग्रेसी भाकर को बचाते रहे, सदन नियम से चलेगा
क्या राजस्थान विधानसभा में MLA का गला दबाया गया:स्पीकर बोले- दुर्व्यवहार तो महिला पुलिसकर्मी के साथ हुआ; कांग्रेसी भाकर को बचाते रहे, सदन नियम से चलेगा
जयपुर : विधानसभा स्पीकर वासुदेव देवनानी ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष ने पहले मुझे धृतराष्ट कहा, फिर वरिष्ठ कांग्रेस नेता शांति धारीवाल ने आसन को न केवल गाली दी बल्कि धमकाया और अब सदस्य मुकेश भाकर ने धमकाने की एक और कोशिश की। कांग्रेस सदस्य का यह व्यवहार शर्मनाक, निंदलीय एवं चिंतनीय है।
विपक्ष का आरोप है कि आप विपक्ष को बोलने नहीं देते हैं?
लोकतंत्र की दुआई देने वाली कांग्रेस का सदन में व्यवहार बेहद खराब है। वह पहले गलतियां करती हैं और फिर माफी मांगती हैं। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने आसन को धृतराष्ट कर दिया। फिर शांति धारीवाल ने आसन को धमकाया। यहां तक कि गाली तक दी। एक बार फिर आज वैसा ही व्यवहार कांग्रेस सदस्यों की और से किया गया।
ऐसा कौन सा गलत इशारा किया कि आप नाराज हो गए?
सदस्य मुकेश भाकर के हाथ-पैरों की भाव-भंगिमाएं आसन को धमकाने वाली थी। उनका बर्ताव सदन की गरिमा के अनुकूल नहीं था। वे ऐसा वर्ताव कर रहे थे जैसे कोई छात्रनेता यूनिवर्सिटी में कुलपति के सामने खड़े हों। छात्र राजनीति एवं सदन की राजनीति में बड़ा फर्क है। लेकिन वे पुराने ढर्रे पर चल रहे हैं। इससे बर्दास्त नहीं किया जा सकता है।
विधायक भाकर को आपने निलंबित क्यों किया?
सदस्य का व्यवहार बेहद खराब था। जब उनको बाहर जाने के लिए कह दिया गया था तो चले जाना चाहिए था। वे नहीं गए, इसलिए, मार्शल को बुलाना पड़ा। आखिर सदन को ऑर्डर में रखना आसन का काम है। निलंबन का प्रस्ताव सचेतक की तरफ से लाया गया था और नियमों के तहत ही कार्रवाई की गई।
विपक्ष का आरोप है कि महिला विधायक की चूड़ियां तोड़ दी गई, सदस्य का गला दबाया गया?
ऐसा वे सब अपने बचाव में कह रहे हैं। उल्टा महिला पुलिसकर्मी के साथ दुर्व्यवहार किया गया। मैं फिर कह रहा हूं कि कांग्रेस के सदस्य भाकर का व्यवहार गरिमा के अनुकूल नहीं था और कांग्रेस के सदस्य उनका बचाव करते रहे। सदन का चलाना पक्ष-विपक्ष दोनों का काम है।
वकीलों की नियुक्तियां नए कानून के तहत क्यों नहीं की गई?
नेता प्रतिपक्ष जो मामला पॉइंट ऑफ ऑर्डर के तहत मामला उठाना चाह रहे थे वह नियमों के अनुसार नहीं था। जो नियुक्तियां राज्य सरकार ने की, वे पुराने कानूनों के तहत जनवरी में की गई। नए कानून जुलाई में लागू हुए। नियमों में साफ लिखा है कि पुरानी नियुक्तियां मान्य रहेगी। दूसरा, मामला न्यायालय में विचाराधीन है जिस पर सदन में चर्चा हो नहीं सकती।
सदन में कितने सदस्य थे और एक सदस्य को बाहर निकालने के लिए 100 मार्शल भेज गए गए?
यह मेरी जानकारी में नहीं है कि सदन में कितने सदस्य थे और कितने मार्शल भेज गए। लेकिन, विपक्ष सिर्फ हंगामा करना चाहता था। वर्ष 1952 से पहली बार ऐसा हुआ कि नेता प्रतिपक्ष भरी वेल में आए गए। यह आसन का अपमान है।
नवाचार पर चर्चा होनी थी, लेकिन हो कुछ और ही गया?
मेरी पहल पर कार्य सलाहकार समिति ने तय किया था कि नवाचार पर चर्चा होना चाहिए। क्योंकि, बहुत से विधायकों ने अपने क्षेत्रों में कई नवाचार किए हुए हैं । हम चाहते थे कि उनके अनुभवों एवं नवाचारों का फायदा हर विधानसभा क्षेत्र में मिले । लेकिन, जिस तरह का व्यवहार सदन में विपक्षी सदस्यों ने किया, उससे नए विधायक क्या सीखेंगे?