इतिहास के पन्नों में अपनी जगह बनाने वाला शौर्य की अद्भुत मिसाल बना करगिल युद्ध

करगिल युद्ध : करगिल युद्ध, जिसे ऑपरेशन विजय के नाम से भी जाना जाता है, भारत और पाकिस्तान के बीच मई और जुलाई 1999 के बीच कश्मीर के कारगिल जिले में हुए सशस्त्र संघर्ष का नाम है। करगिल पाकिस्तान और भारत के बीच विवादित कश्मीर क्षेत्र का एक इलाका है जो नियंत्रण रेखा के पास स्थित है तथा करमीर के पाकिस्तान और भारत प्रशासित भागों को सीमांकित करता है। यह क्षेत्र अक्सर दोनों देशों के बीच सीमा झड़पों का स्थल रहा है, और करगिल युद्ध इन झड़पों में सबसे बड़ा और सबसे घातक था। संघर्ष मई की शुरुआत में शुरू हुआ जब भारतीय सेना को पता चला कि पाकिस्तानी लड़ाकों ने भारतीय प्रशासित क्षेत्र में घुसपैठ की है। घुसपैठ का पता लगाने के बाद, भारत ने अपनी सेना और वायु सेना को घुसपैठियों को वापस खदेड़ने का आदेश दिया, जिसमें पाकिस्तानी सेना के नियमित सैनिक भी शामिल थे। यह भीषण लड़ाई समुद्र तल से 5,000 मीटर (16,400 फीट) ऊपर दुर्गम इलाके में हुई, जबकि अन्य जगहों पर गान कूटनीतिक गतिविधि चल रही थी। पाकिस्तानी बिदेश मंत्री सरताज अजीज 12 जून को नई दिल्ली आए थे, लेकिन भारतीय विदेश मंत्री के साथ उनको बातचीत विफल रही। इसके बाद दोनों देशों के सैन्य नेताओं की बैठके हुई और आने वाले हफ्तों में अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने पाकिस्तान को नियंत्रण रेखा पर वापस लौटने की आवश्यकता पर जोर दिया। नवाज शरीफ ने घोषणा की कि आतंकवादी वापस चले जाएँग, और भारत ने उन्हें ऐसा करने के लिए 16 जुलाई तक का समय दिया। हालांकि, समय-सीमा के बाद भी छिटपुट लड़ाई जारी रही। संघर्ष के दौरान दोनों पक्षों के कई सौ लड़ाके मारे गए।
करगिल युद्ध से उपजी पाकिस्तान में अस्थिस्ता
पाकिस्तान में इस युद्ध के कारण राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता बढ़ गई और नवाज शरीफ की सरकार को हटाकर परवेज मुशर्रफ़ राष्ट्रपति बन गए। दूसरी ओर भारत में इस युद्ध के दौरान देशप्रेम का उबाल देखने को मिला और भारत की अर्थव्यवस्था को काफी मजबूती मिली। भारतीय सरकार ने रक्षा बजट और बढ़ाया। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और सेना प्रमुख जहांगीर करामात के बीच 1998 के करीब, मतभेद बह गये थे। करामात की सेवानिवृत्ति के पश्चात किसे सेना प्रमुख बनाया जाय इस बात पर भी बहस चल रही थी। नवाज शरीफ द्वारा एक आमसभा में अपने ऊपर की गई टीका-टिप्पणी से गुस्सा होकर करामात ने सेना प्रमुख पद से इस्तीफा दे दिया। नवाज शरीफ ने जनरल परवेज मुशर्रफ को सेना प्रमुख के पद पर नियुक्त किया।
परमाणु बम निर्माण के बाद भारत और पाकिस्तान के मध्य हुआ प्रथम सशस्त्र संघर्ष – करगिल युद्ध
पाकिस्तान की सेना और कश्मीरी उग्रवादियों ने भारत और पाकिस्तान के बीच की नियंत्रण रेखा पार करके भारत को जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की। पाकिस्तान ने दावा किया कि लड़ने वाले सभी कश्मीरी आबादी हैं, लेकिन बुद्ध में बरामद हुए दस्तावेजों और पाकिस्तानी नेताओं के बयानों से साबित हुआ कि पाकिस्तान की सेना प्रत्यक्ष रूप में इस युद्ध में शामिल थी। लगभग 30,000 भारतीय सैनिक और करीब 5000 घुसपैठिए इस युद्ध में शामिल थे। भारतीय सेना और वायुसेना ने पाकिस्तान के कब्जे वाली जगहों पर हमला किया और धीरे-धीरे अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से पाकिस्तान को सीमा पार वापिस जाने को मजबूर किया। यह युद्ध ऊँचाई वाले इलाके पर हुआ और दोनों देशों की सेनाओं को लड़ने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। परमाणु बम बनाने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ यह पहला सशस्त्र संघर्ष था। भारत ने करगिल युद्ध जीता।
युद्ध में गई थी हजारों सैनिकों की जान
कारगिल की लड़ाई, जिसे ऑपरेशन विजय के नाम से भी जाना जाता है, भारत और पाकिस्तान के बीच मई और जुलाई 1999 के बीच कश्मीर के करगिल जिले में हुए सशस्त्र संघर्ष का नाम है। इस युद्ध के विजय के उपलक्ष्य में भारत 26 जुलाई को करगिल विजय दिवस मनाता है। पाकिस्तान की सेना और कश्मीरी लावादियों ने LOC पार फरके भारत की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की थी। हालांकि इंडियन आर्मी के बहादुर जवानी ने न सिर्फ पाकिस्तान को इस लड़ाई में धूल बटाई, बल्कि शौर्य की एक ऐसी मिसाल पेश की जो इतिहास के पत्रों में अपनी जगह बना गई। करीब दो महीने तक चला करगिल युद्ध भारतीय सेना के साहस और जाँबाजी का ऐसा उदाहरण है जिस पर हर भारतीय देशवासी को गर्व होना चाहिए। करीब 18 हजार फीट की ऊँचाई पर करगिल में लड़ी गई इस जंग में देश ने लगभग 527 से ज्यादा वीर योद्धाओं को खोया था वाहीं 1300 से ज्यादा घायल हुए थे। युद्ध में 2700 पाकिस्तानी सैनिक मारे मारे गए और 750 पाकिस्तानी सेनिक जंग छोड़ के भाग गए।
युद्ध का आरंभ
इस लड़ाई की शुरुआत 3 मई 1999 को ही हो गई थी जब पाकिस्तान ने करागल की ऊंची पहाड़ियों पर 5 हजार से भी ज्यादा सैनिकों के साथ घुसपैठ कर कब्जा जमा लिया था।
भारत सरकार को जब घुसपैठ की जानकारी मिली तब पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ने के लिए ऑपरेशन विजय चालाया गया।
करगिल युद्ध घटनाक्रम
3 मई 1999 : एक चरवाहे ने भारतीय सेना को करगिल में पाकिस्तान सेना के घुसपैठ कर कब्जा जमा लेने की सूचना दी।
5 मई : भारतीय सेना की पेट्रोलिंग टीम जानकारी लेने कारगिल पहुंची तो पाकिस्तानी सेना ने उन्हें पकड़ लिया और उनमें से 5 की हत्या कर दी
9 मई : पाकिस्तानियों की गोलाचारी से भारतीय सेना का कारगिल में मौजूद गोला बारूद का स्टोर नष्ट हो गया
10 मई : पहली बार लद्दाख का प्रवेश द्वार यानी द्रास, काकसार और मुश्कोह सेक्टर में पाकिस्तानी घुसपैठियों को देखा गया।
26 मई : भारतीय वायुसेना को कार्यवाही के लिए आदेश दिया गया
27 मई : कार्यवाही में भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के खिलाफ मिग-27 और मिग-29 का भी इस्तेमाल किया।
26 जुलाई : कारगिल युद्ध आधिकारिक तौर पर समाप्त हो गया। भारतीय सेना ने पाकिस्तानी घुसपैठियों के पूर्ण निष्कासन की घोषणा की।