Kashmir Files Controversy : एक बार फिर ‘द कश्मीर फाइल्स’ पर विवाद शुरू हो गया है। नौ महीने पहले सिनेमाघरों में दस्तक देने वाली विवेक अग्निहोत्री की फिल्म एक बार फिर चर्चाओं में आ गई है। दरअसल, हाल ही भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल के ज्यूरी हेड नदव लापिड ने कश्मीरी पंडितों के नरसंहार को सबके सामने उजाकर करने वाली फिल्म को भद्दी और प्रोपेगेंडा पर आधारित फिल्म बताकर एक नई बहस को जन्म दे दिया है। सोशल मीडिया पर फिल्म मेकस के पक्ष और विपक्ष में आवाज उठने लगी है। आइए जानते हैं अनुपम खेर से लेकर विवेक अग्निहोत्री तक किसने क्या कहा…
भारत के 53वें अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के जूरी बोर्ड ने इस्राइल फिल्म निर्माता नादव लापिड द्वारा ‘द कश्मीर फाइल्स’ पर की गई टिप्पणियों को “उनकी निजी राय” बताते हुए उनसे दूरी बना ली है। जूरी सुदीप्तो सेन ने बोर्ड की तरफ से बयान जारी करते हुए ट्वीट किया। उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा, “53वें IFFI के समापन समारोह के मंच से जूरी के अध्यक्ष नादव लापिड द्वारा फिल्म ‘कश्मीर फाइल्स’ के बारे में जो कुछ भी कहा गया है, वह पूरी तरह से उनकी निजी राय थी। जूरी बोर्ड ने आधिकारिक तौर पर कभी भी अपनी पसंद या नापसंद के बारे में कभी कुछ नहीं कहा है।”
अशोक पंडित ने भी इस्राइल के फिल्मकार के बयान पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, ‘इस्राइल फिल्मकार नादव लापिड ने ‘द कश्मीर फाइल्स’ को भद्दी फिल्म बताकर आतंकियों के खिलाफ भारत की लड़ाई का मजाक उड़ाया है। उन्होंने साल लाख कश्मीरी पंडितों का अपमान किया है। यह भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल (IFFI) की विश्वसनीयता के लिए बड़ा झटका है।
रणवीर शौरी ने लिखा, ‘एक फिल्म का वर्णन करने के लिए जूरी द्वारा इस्तेमाल की गई भाषा बेहद गलत थी। इसमें से राजनीति की गंध आ रही है। सिनेमा हमेशा से सच्चाई और बदलाव के मुद्दों पर बनाई गई फिल्मों के लिए जाना जाता है। न कि इसे दबाने के लिए। आईएफएफआई में राजनीतिक अवरसवाद का शर्मनाक प्रदर्शन।’
जहां सभी लोग नादव लापिड के दिए बायन का विरोध कर रहे हैं, वहीं शिव सेना के एमपी संजय राउत उनके पक्ष में बोलते दिखाई दिए हैं। राउत ने कहा कि विवेक अग्निहोत्री द्वारा निर्देशित फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ का राजनीतिकरण किया गया था और इसकी रिलीज के बाद ज्यादा कश्मीरी पंडितों को मार दिया गया। इतना ही नहीं उन्होंने आरोप लगाया कि फिल्म एक पार्टी द्वारा दूसरी के खिलाफ दुष्प्रचार किया गया है। राउत बोले, ‘फिल्म का राजनीतिकरण किया गया था और पार्टी और सरकार फिल्म के प्रचार में व्यस्त थी … लेकिन कश्मीर में सबसे ज्यादा हत्याएं इस फिल्म के बाद हुईं। कश्मीरी पंडित और सुरक्षाकर्मी मारे गए। फिल्म के बाद कश्मीरी पंडितों पर हमले बढ़ गए।’