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भाजपा प्रत्याशी बोले- अग्निवीर स्कीम की वजह से हारा:बदलाव की घोषणा वोटिंग से पहले हो जाती तो मैं जीत जाता; योजना से युवा हताश था


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भाजपा प्रत्याशी बोले- अग्निवीर स्कीम की वजह से हारा:बदलाव की घोषणा वोटिंग से पहले हो जाती तो मैं जीत जाता; योजना से युवा हताश था

भाजपा प्रत्याशी बोले- अग्निवीर स्कीम की वजह से हारा:बदलाव की घोषणा वोटिंग से पहले हो जाती तो मैं जीत जाता; योजना से युवा हताश था

झुंझुनूं : झुंझुनूं से बीजेपी के हारे हुए लोकसभा उम्मीदवार शुभकरण चौधरी ने हार के लिए अग्निवीर योजना को बड़ा कारण बताया है। शुभकरण ने कहा कि आज सरकार ने अग्निवीर में बदलाव की तैयारी की है, यह मेरी वोटिंग के एक दिन पहले कर दिया होता तो हम चुनाव जीत गए होते। अग्निवीर की वजह से युवा हताश था।

चौधरी ने कहा- सेना का वोट अलग से आता है। मेरे क्षेत्र में सैनिकों के 21 हजार वोट आए थे। सेना के वोट में 2 हजार माइनस रहा। इसका मतलब सेना में आक्रोश था। उनको अग्निवीर से दिक्कत थी। मैं सुबह चार बजे उठ जाता हूं, अग्निवीर स्कीम से पहले मैं सुबह जल्दी सड़कों पर दौड़ने वाले युवाओं का हुजूम देखता था। उसके बाद सड़कों पर दौड़ते युवा नहीं दिखते, क्योंकि उनमें निराशा आ गई।

उन्होंने कहा- जब फौज में पहले जैसी स्थायी भर्ती नहीं होगी तो 4 साल के लिए कौन जाएगा? अब इस योजना में बदलाव से वापस माहौल बनेगा। किसान परिवारों के बच्चे ही सबसे ज्यादा फौज में जाते हैं, अब ​हमें फायदा होगा।

झुंझुनूं सीट पर भाजपा उम्मीदवार शुभकरण चौधरी को कांग्रेस के बृजेंद्र ओला ने 18 हजार वोटों से हराया था।
झुंझुनूं सीट पर भाजपा उम्मीदवार शुभकरण चौधरी को कांग्रेस के बृजेंद्र ओला ने 18 हजार वोटों से हराया था।

लोग नहीं बीजेपी के नेता क​ह रहे थे झुंझुनूं सीट फंसी है
शुभकरण चौधरी ने कहा- लोग नहीं कह रहे थे कि झुंझुनू सीट फंसी है। बीजपी के नेता कह रहे थे कि सीट फंसी है। कांग्रेस के लोग कह रहे थे, यहां से शुभकरण जीतेगा। कांग्रेस के उम्मीदवार खुद कह रहे थे कि वे तो लड़ना ही नहीं चाहते। जितना माहौल खराब करना था, जितना वोट खराब करना था वो हमारे कई लोगों ने किया।

भाजपा नेता ने कहा- मैंने हमारे नेताओं के सामने कार्यालय में समीक्षा बैठक में बात रखी है। वो लोग ही अकेले नहीं हैं, जिन पर पार्टी ने भरोसा किया, बड़े पद दिए, परिवारवाद को नजरअंदाज किया, उन लोगों ने काम नहीं किया।

खेतड़ी में इतिहास में पहली बार बीजेपी चुनावों में पीछे रही
चौधरी ने कहा- इस चुनाव में जितनी मेहनत संतोष अहलावत ने की, अगर सभी कर लेते तो मैं 1 लाख से चुनाव जीतता। अहलावत खुद हारी थीं, लेकिन 45 हजार वोट वापस जोड़ा। फतेहपुर अकेला ही नहीं मंडावा में भी नुकसान हुआ।

उन्होंने कहा- नवलगढ़ और खेतड़ी में बड़ा नुकसान है। खेतड़ी और नवलगढ़ में तो हमारे विधायक हैं, लेकिन वहां से हारे। खेतड़ी ने तो इतिहास रच दिया। पिछले लंबे समय से चाहे किसी की सरकार रही हो, खेतड़ी से बीजेपी हमेशा लोकसभा में आगे रहती आई है, लेकिन इस बार हम पीछे रहे।

झुंझुनूं के जाटों का 75 फीसदी वोट मिला
शुभकरण ने कहा- कोई कुछ कहता रहेगा, लेकिन झुंझुनूं के जाटों ने 75 फीसदी वोट बीजेपी को दिया। वो भी तब जब कांग्रेस का बड़ा चेहरा चुनाव लड़ रहा था। अन्य जातियों ने भी वोट दिया। एससी एसटी को आरक्षण को खतरे में बताकर दुष्प्रचार किया गया, जिससे हमारा वोट कम हुआ। अन्य जातियों को दिक्कत रही होगी, लेकिन जनता ने जोरदार चुनाव लड़ा। नागौर, बाड़मेर, चूरू में दिग्गज लोग लड़ रहे थे, लेकिन बड़े अंतर से हारे, मेरे यहां केवल 18 हजार का ​मार्जिन रहा।

चौधरी ने भितरघात का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा- जितना माहौल खराब करना था, जितना वोट खराब करना था, वो हमारे कई लोगों ने किया।
चौधरी ने भितरघात का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा- जितना माहौल खराब करना था, जितना वोट खराब करना था, वो हमारे कई लोगों ने किया।

अग्निवीर में 50% परमानेंट हो सकते हैं, सेवाकाल बढ़ने की भी उम्मीद
दरअसल, अग्निवीर योजना के लागू होने के दो साल बाद अब इसमें बदलाव का एजेंडा बन रहा है। सैन्य मामलों के विभाग ने 24 महीने के अनुभव पर तीनों सेनाओं में सर्वे कराया है। इसके आधार पर बदलाव के प्रस्तावों पर विचार हो रहा है। सबसे अहम प्रस्ताव अग्निवीरों को स्थायी सेवा में लेने का कोटा बढ़ाने का है। फिलहाल 25% अग्निवीर 4 साल की सेवा के बाद फौज में शामिल हो सकते हैं। इसे बढ़ाकर 50% तक किया जा सकता है और टेक्निकल सेवाओं में ये 75% तक हो सकता है। प्रस्ताव यह भी है कि 25% अग्निवीरों को 7 साल के लिए वापस लिया जाए। इनमें तकनीकी रूप से दक्ष अग्निवीरों को प्राथमिकता दी जाए।

24 हफ्ते की ट्रेनिंग काफी नहीं, इसे बढ़ाने पर विचार
अग्निवीरों की ट्रेनिंग 24 सप्ताह की है। तीनों सेनाओं में हुए सर्वे में सामने आया कि प्रशिक्षण अवधि घटने से सैन्य कौशल प्रभावित हो रहा है, इसलिए इसे 4-6 सप्ताह बढ़ाने पर विचार हो सकता है। टेक्निकल मामलों में इसे और बढ़ा सकते हैं।

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