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झुंझुनूं : ध्रुव चरित्र की कथा सुन भावि-विभोर हुए भक्त


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झुंझुनूं : ध्रुव चरित्र की कथा सुन भावि-विभोर हुए भक्त

ध्रुव चरित्र की कथा सुन भावि-विभोर हुए भक्त

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : अंसार मुज़्तर

झुंझुनूं : चुना का चौक रानी सती रोड भीखा वाला कुआं के पास स्थित लक्ष्मी निवास पर भरत कुमार तुलस्यान परिवार द्वारा श्रीमद् भागवत कथा में व्यास पीठ से कथावाचक श्री हरि शरण जी महाराज ने अपनी सुमधुर चिर परिचित शैली में कथा का रसपान श्रोता भक्तों को करवाते हुए तीसरे दिवस पर ध्रुव के चरित्र के बारे में बताते हुए कहा कि भगवान को प्राप्त करने की कोई उम्र नहीं होती है ध्रुव ने अपने मन में दृढ़ संकल्प कर लिया था कि मुझे भगवान को प्राप्त करना है और उसी संकल्प को ध्यान में रखते हुए वनवास में तपस्या करते हुए भगवान को प्राप्त किया। उन्होंने ध्रुव कथा प्रसंग में बताया कि सौतेली मां से अपमानित होकर बालक ध्रुव कठोर तपस्या के लिए जंगल को चल पड़े। बारिश, आंधी-तूफान के बावजूद तपस्या से न डिगने पर भगवान प्रगट हुए और उन्हें अटल पद प्रदान किया।
अपनी मधुर वाणी से भक्त ध्रुव चरित्र का वर्णन करते हुए बताया कि एक बार उत्तानपाद सिंहाशन पर बैठे हुए थे। ध्रुव भी खेलते हुए राजमहल में पहुंच गए। उस समय उनकी अवस्था पांच वर्ष की थी। उत्तम राजा उत्तनपाद की गोदी में बैठा हुआ था। ध्रुव जी भी राजा की गोदी में चढ़ने का प्रयास करने लगे। सुरुचि को अपने सौभाग्य का इतना अभिमान था कि उसने ध्रुव को डांटा- च्वाइस गोद में चढ़ने का तेरा अधिकार नहीं है। अगर इस गोद में चढ़ना है तो पहले भगवान का भजन करके इस शरीर का त्याग कर और फिर मेरे गर्भ से जन्म लेकर मेरा पुत्र बन।” तब तू इस गोद में बैठने का अधिकारी होगा का ज्ञान कथावाचक महाराज श्री ने प्रदान करके श्रद्धालुओं को निहाल किया।।

कथा के मध्य महाराज श्री के कर्णप्रिय भजनों पर श्रोता भक्त मंत्र मुग्ध हुए बिना नही रह सके। कथा के समापन के पूर्व नारायण भगवान एवं ध्रुव की सजीव झांकी विशेष आकर्षण का केंद्र रही।

इस अवसर पर आयोजक तुलस्यान परिवार के रामचंद्र, भरत कुमार, रामगोपाल, पवन कुमार, संत कुमार, छाजूराम, श्यामसुंदर, अशोक कुमार, सुनील कुमार, आशीष, मनन, शुभम, मोनू, विकास एवं उमंग तुलस्यान सहित अन्य परिवार जन, नवल किशोर खण्डेलिया, डॉ.डी.एन.तुलस्यान, विनोद सिंघानिया, रुपेश तुलस्यान, परमेश्वर हलवाई, सीए पवन केडिया, विजयकुमार तुलस्यान, कैलाशचन्द्र सिंघानिया, अनिल केजडीवाल, सीताराम केडिया, चन्द्र प्रकाश टीबडा, मधुसूदन तुलस्यान, पुरुषोत्तम खंडेलिया, केसरदेव तुलस्यान, शरतचन्द शर्मा सहित अन्यजन बडी संख्या मे अन्यजन उपस्थित थे।

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