हनुमानगढ़ : भटनेर दुर्ग में टूरिस्ट को प्रवेश नहीं:17 अक्टूबर को हुए हादसे के बाद बंद, सर्वेक्षण कार्य जारी
हनुमानगढ़ न्यूज़ डेस्क, हनुमानगढ़ जिला भारत के राजस्थान राज्य का एक जिला है। हनुमानगढ़ शहर जिला मुख्यालय और इसका सबसे बड़ा शहर है।
हनुमानगढ़ शहर में ऐतिहासिक भटनेर का किला
जिला राजस्थान के चरम उत्तर में स्थित है। इसका क्षेत्रफल 12,645 किमी 2 है, जनसंख्या 1,774,692 (2011 की जनगणना) और जनसंख्या घनत्व 184 व्यक्ति / किमी 2 है। यह उत्तर में पंजाब राज्य, पूर्व में हरियाणा राज्य, पूर्व और दक्षिण में चुरू जिले और बीकानेर जिले और पश्चिम में गंगानगर जिले से घिरा है। जिले की प्रमुख आजीविका खेती है; प्रमुख फसलों में चावल, बाजरा, कपास, सोनामुखी (सेन्ना), गेहूं और सब्जियां शामिल हैं। इसे श्रीगंगानगर के साथ-साथ राजस्थान की खाने की टोकरी भी कहा जाता है। यह राजस्थान का 31वां जिला है। इसे 12 जुलाई 1994 को गंगानगर जिले से जिला बनाया गया था। पहले यह श्रीगंगानगर जिले की एक तहसील थी।
जिले में कालीबंगा (सिंधु घाटी सभ्यता) और पल्लू के पुरातात्विक स्थल शामिल हैं। कुछ लोग अनौपचारिक रूप से इसे राजस्थान का पंजाब कहते हैं क्योंकि जिले में बड़ी संख्या में पंजाबी भाषी लोग राजस्थान के बाकी हिस्सों की तुलना में हैं, हालांकि पंजाबी बोलने वाले अभी भी अल्पसंख्यक हैं। अधिकांश लोग राजस्थानी (बागरी और अन्य करीबी बोलियों), पंजाबी और हिंदी को समझने में सक्षम हैं।
जितना इतिहास शानदार, उतनी ही हालत जर्जर
देश के सबसे पुराने किलों में शामिल हनुमानगढ़ का भटनेर किला अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। 1726 साल पहले स्थापित हनुमानगढ़ का भटनेर किला देश के सबसेपुराने किलों में शामिल है। किवदंतियों के अनुसार इस किले का निर्माण श्रीराम के भाई भरत ने करवाया था मगर ज्ञात इतिहास के अनुसार इस किले की स्थापना 291 ईस्वी में बताई जाती है। मंगलवार को जीतने के कारण इस किले का नाम भटनेर के बदलकर हनुमानगढ़ कर दिया गया था मगर सबसे पुराने और मजबूत किलों में शामिल भटनेर आज अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। हिन्दुस्तान पर जितने भी विदेशी आक्रांताओं ने हमले किये वो सबसे पहले इसी किले ने झेले थे।
यह किला हिन्दुस्तान का प्रवेश द्वार कहा जाता था। विलुप्त सरस्वती नदी और वर्तमान की घग्घर नदी के मुहाने पर करीब 1726 साल पूर्व स्थापित यह किला सबसे पुराना किला तो है ही साथ ही यह सबसे मजबूत किलों में भी शामिल रहा है। वैसे तो कहा जाता है कि श्रीराम के भाई भरत ने इस किले की स्थापना की थी मगर ज्ञात इतिहास के अनुसार गजनी से लाहौर होते हुए भटनेर आए भूपत भाटी ने इस किले की स्थापना की थी और इसी भाटी परिवार ने बाद में जैसलमेर में सोनार किले की नींव रखी थी। तैमूर लंग ने भी अपनी किताब में लिखा है कि उसने इससे मजबूत किला पूरे हिन्दूस्तान में नहीं देखा है।
सार-संभाल के अभाव में हो रही दुर्गति
इसका वर्णन उसने अपनी किताब में भी किया है। 52 बीघों में फैले 52 बुर्जांे के इस किले का इतिहास जितना शानदार है आज इसकी हालत उतनी ही जर्जर है। किले के आसपास आबादी बस चुकी है और इसके बुर्ज जर्जर होकर कभी भी गिरने की स्थिति में है और पुरातत्व विभाग भी इस किले के रख-रखाव पर करोड़ों का बजट खर्च कर चुका है जो कहीं दिखाई नहीं देता। जैसलमेर के राजा भूपत सिंह की ओर से स्थापित इस किले के साथ उन्होंने पंजाब के भटिण्डा और हरियाणा के सिरसा में भी किले स्थापित किए थे और इसी कारण भाटी राजा होने के कारण ही इस किले का नाम भटनेर और भाटी होने के कारण ही पंजाब के किले का नाम भटिण्डा पड़ा।
भटनेर ने झेले सबसे पहले विदेशी आक्रमण
इस किले से पंजाब के भटिण्डा और हरियाणा के सिरसा तक एक बहुत बड़ी भूमिगत सुरंग थी और हिन्दूस्तान पर हुए प्रत्येक विदेशी आक्रमण को सबसे पहले इसी किले ने झेला था।
बल्लियों का सहारा
वर्तमान में इस किले में देखने को कुछ भी नहीं बचा है और बल्लियों के सहारे किले की दीवारों और छतों को सहारा दिया गया है। ऐसे में अगर कोई विदेशी या देशी पर्यटक भूला-भटका यहां आ भी जाता है तो उसको निराशा ही हाथ लगती है। इसी किले के साथ ही हनुमानगढ़ शहर का इतिहास भी जुड़ा हुआ है।
पर्यटन के नक्शे पर भी अनदेखी
अब इसे विडम्बना ही कहेंगे कि देश के सबसे पुराने किलों में शुमार होने के बावजूद यह किला आज तक पर्यटन के नक्शे पर उभरकर नहीं आ सका और ना ही इसकी सार-संभाल के प्रति भी कोई सरकार या पुरातत्व विभाग सजग है। ऐसे में दिन-प्रतिदिन जर्जर होती जा रही इस प्राचीन धरोहर के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
भटनेर दुर्ग में टूरिस्ट को प्रवेश नहीं
टाउन के भटनेर दुर्ग की जर्जर दीवार 17 अक्टूबर को गिरने से हुए हादसे के बाद से किले में टूरिस्ट का प्रवेश बंद है। इसके साथ ही भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण संगठन की ओर से सर्वेक्षण का कार्य करवाया जा रहा है। इसके साथ ही किले के बाहर मुख्य द्वार के पास चेतावनी भरे साइन बोर्ड लगवाए गए हैं।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण संगठन की ओर से बुधवार को भटनेर किले के बाहर मुख्य द्वार के पास साइन बोर्ड लगवा दिए गए। इन बोर्डों पर लिखा गया है कि किले की दीवारें क्षतिग्रस्त हैं, कृपया इनसे दूर रहें। यहां जाने पर आपके खिलाफ दण्डात्मक कार्रवाई की जा सकती है। किले तथा किले के आसपास चींटियों को चुग्गा न डालें। किले की दीवारें पुरानी और कमजोर होने की वजह से इन पर न चढ़ें। इससे आपको क्षति पहुंच सकती है। अपने जान-माल की जिम्मेदारी आपकी स्वयं की होगी।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण संगठन के कनिष्ठ संरक्षण सहायक देवव्रत ने बताया कि किले की दीवार क्षतिग्रस्त है। सर्वेक्षण का कार्य चल रहा है। इसलिए किले में प्रवेश बंद किया गया है। यहां आने वाले टूरिस्ट को ध्यान रहे, इसके लिए किले के मुख्य द्वार के पास बोर्ड लगाए गए हैं। चिंटियों को चुग्गा न डालने की हिदायत दी गई है। इसके अलावा सर्वेक्षण कार्य जारी रहने तक किले में नहीं आने को कहा गया है।
गौरतलब है कि टाउन स्थित भटनेर दुर्ग में चल रहे निर्माण कार्य के दौरान 17 अक्टूबर को सुबह एक दीवार अचानक भरभराकर गिर गई। मलबे के नीचे दबने से एक मजदूर की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि पांच मजदूर घायल हो गए।