सूरजगढ़ : वोट के लिए पूर्व सांसद संतोष अहलावत ने मंच से कर्मचारियों-अधिकारियों को खुली चुनौती दे दी। कहा कि मोदी को वोट नहीं देने वाले को सूरजगढ़ विधानसभा क्षेत्र में नौकरी करने का अधिकार नहीं है। वे अपना बिस्तर बांध लें, 5 साल सूरजगढ़ में घुसने नहीं दूंगी।
पूर्व सांसद शनिवार 30 मार्च को झुंझुनूं के सूरजगढ़ में भाजपा के लोकसभा प्रत्याशी शुभकरण चौधरी के समर्थन में सूरजगढ़ के अटल जनसंपर्क कार्यालय में बूथ कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित कर रही थीं। वीडियो सामने आने के बाद उन्होंने अपनी सफाई में कहा कि यह वीडियो फर्जी है। इसे शरारती तत्वों ने एडिट किया है।
पूर्व सांसद संतोष अहलावत ने कहा- मेरे कार्यकर्ता को, मेरे वोटर को या मेरे शुभचिंतक को कोई माई का लाल किसी दफ्तर में बैठकर सता नहीं पाएगा। मेरा कमिटमेंट है आपसे। या तो सीख लो या फिर बिस्तर को रस्सी से बांध लो। मैं पांच साल सूरजगढ़ में घुसने नहीं दूंगी चाहे कोई कुछ कहे, फिर बोल रही हूं, मोदी को वोट न देने वाले आदमी को कोई अधिकार नहीं कि सूरजगढ़ विधानसभा के किसी दफ्तर में बैठकर नौकरी करे।
सफाई दी- लोग किसी भी बात को उठा लेते हैं
पूर्व सांसद संतोष अहलावत ने बयान के बाद सोमवार को सफाई दी। उन्होंने कहा- कुछ भी मामला नहीं है। लोग यूं ही हर किसी बात को उठा लेते हैं। लोग झूठ फैला रहे हैं। मोदीजी गरीब को गणेश मानकर काम कर रहे हैं। देश का वोटर मोदीजी के साथ है। मैंने किसी के बयान के खिलाफ में यह सब कहा था। देश की उन्नति और प्रतिष्ठा में पिछले 10 साल में बढ़ोतरी हुई है।
उन्होंने कहा- इससे प्रेरित होकर लोग मोदी को वोट देंगे। लोगों का पूरा मानस है। मोदी की गारंटी में लोगों को विश्वास है। मोदी को सब वोट देंगे। देश की उन्नति, देश की तरक्की सब चाहते हैं। जब मोदी खुद गरीब के लिए काम कर रहे हैं तो अधिकारियों को भी करना होगा। सबको मोदी की तरह काम करना होगा। जो अधिकारी गरीबों की नहीं सुनेंगे, उनका काम नहीं करेंगे तो उनका विरोध तो होगा।
कौन हैं संतोष अहलावत
संतोष अहलावत भाजपा की सीनियर नेता हैं। वे झुंझुनू लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से 16वीं लोकसभा में भाजपा सांसद रहीं थीं। वे इससे पहले सूरजगढ़ विधानसभा क्षेत्र से 2013 में विधायक थीं। साल 2000 में बुहाना से प्रधान चुनी गई थीं और 2005 में जिला परिषद् सदस्य चुनी गईं थीं। साल 2004 के चुनाव में उन्होंने झुंझुनू से ही लोकसभा का चुनाव लड़ा था। लेकिन वे जीत नहीं पाईं थीं।