‘अमेरिका मुस्लिम को अपना रहा, हम दूर कर रहे’:जेएलएफ में राइटर राजीव भार्गव बोले- हिन्दू राष्ट्र बनाने में किसी को दूर कर रहे हैं तो ऐसा राष्ट्र नहीं चाहिए
'अमेरिका मुस्लिम को अपना रहा, हम दूर कर रहे':जेएलएफ में राइटर राजीव भार्गव बोले- हिन्दू राष्ट्र बनाने में किसी को दूर कर रहे हैं तो ऐसा राष्ट्र नहीं चाहिए
जयपुर : दरबार हॉल में सेशन के दौरान राइटर राजीव भार्गव ने अपनी बुक और देश में बदलते माहौल पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि मैंने इस बुक में उस बात का जिक्र किया है, जो हमारी नैतिकता से जुड़ी है। आज नैतिकता में बड़ा बदलाव आया है। हम लोग सही-गलत, अच्छा बुरा का अंतर भूल गए हैं। इस तरह की चीजें धीरे-धीरे हमारे दिमाग से निकल गई है।
अगर हमें पता भी है कि अच्छा-बुरा क्या है, तो उसे बोल भी नहीं पाते, यह चीज हमारे देश के लिख खतरनाक है। अगर हमें बोलने का हक है और हम कमिटेड देशवासी है और हम ही नहीं बोले तो जो गलतियां कर रहे हैं, तो उसे कैसे सुधारेंगे। सुधारे बिना देश आगे नहीं बढ़ सकता है। यह जरूरी है कि अपनी जो एथिकल राइट्स है, उन्हें भूलना नहीं होगा। एथिकल जजमेंट्स को देखते रहे कि वह सही सलामत रहे और देश की प्रगति के लिए हम जैसे सिटीजन आगे आते रहे।
हिंदू धर्म पर भी बोले
हिन्दू राष्ट्र बनने की विचारधारा पर उन्होंने कहा कि हिन्दू धर्म को संभालना और उसको आगे बढ़ाना एक बात है, लेकिन उसे बढ़ाने के लिए दूसरों पर अत्याचार करना या दूसरों से अलग कर देना और देश से उन्हें अलग कर देना सही नहीं है। मैं एक प्राउड हिन्दू हूं और हिन्दू के कल्चर व हिन्दू धर्म की अच्छी बातों को आगे बढ़ाने के लिए मैं खुद अग्रसर हूं। लेकिन मैं नहीं चाहता हूं कि इसको आगे बढ़ाने के लिए जो रास्ते है, वह दूसरों पर शोषण करने या उन्हें अलग करें, तो ऐसा हिन्दू राष्ट्र हमें क्यों चाहिए।
हमारे पास सभी के लिए जगह है, हिन्दुस्तानी राष्ट्र बेहतर है। सभी को उसी तरह आगे बढ़ाना चाहिए। पीछे क्यों जाना है, यूरोप में बहुत अच्छाईयां है, हम यूरोप की बुराईयों को क्यों अपना रहे हैं। ये सभी यूरोपियन आइडियाज है और इन सभी चीजों के कारण यूरोप बर्बाद हुआ है। उन्होंने जूस के साथ कितना बुरा किया। अब जूस को दूर नहीं रख रहे है। ऐसे में एक दिन ऐसा भी आएगा, जब वे मुस्लिम को भी अपनाएंगे। लेकिन हम लोग जिन्होंने इन्हें अपनाया हुआ था, उसे हम छोड़ रहे हैं। ये लाेग हमारे ही हिन्दुस्तान में जन्मे हैं।