Swami Vivekananda Jayanti: मां के धार्मिक विचारों से काफी प्रभावित थे नरेंद्र, जानिए किसने दिया विवेकानंद नाम?
Swami Vivekananda Jayanti: मां के धार्मिक विचारों से काफी प्रभावित थे नरेंद्र, जानिए किसने दिया विवेकानंद नाम?

Swami Vivekananda Jayanti 2024 : 12 जनवरी भारतीय इतिहास के गौरवमयी दिनों में से एक है। ये दिन करोड़ों युवाओं के प्रेरणास्रोत आध्यात्मिक गुरु स्वामी विवेकानंद की जयंती और ‘राष्ट्रीय युवा दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। स्वामी विवेकानंद न सिर्फ भारत अपितु पूरी दुनिया में अपने विचारों के लिए याद किए जाते रहे हैं।
पौष माह की कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि (12 जनवरी 1863) को कोलकाता में स्वामी विवेकानंद का जन्म हुआ। उनके बचपन का नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था। पिता विश्वनाथ दत्त हाईकोर्ट में वकालत करते थे और माता का भुवनेश्वरी गृहणी थीं। नरेंद्र अपनी मां के धार्मिक विचारों से काफी प्रभावित थे।
स्वामी विवेकानंद की जयंती – फोटो : iStock
प्रारंभिक शिक्षा के बाद 1879 में नरेंद्र ने मैट्रिक परीक्षा पास की और प्रेसीडेंसी कॉलेज की प्रवेश परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। उस साल ऐसा करने वाले वे एकलौते विद्यार्थी थे। इसके बाद उन्होंने असेंबली इंस्टीट्यूट से पाश्चात्य दर्शन और इतिहास का अध्ययन किया। कलकत्ता से फाइन आर्ट्स में डिग्री पूरी की, इस दौरान बंगाली और संस्कृत में लिखे धार्मिक साहित्य का भी अध्ययन किया।
साल 1881 में पहली बार उनकी मुलाकात रामकृष्ण परमहंस से हुई। अपनी जिज्ञासाओं को लेकर वह रामकृष्ण परमहंस से मिलते रहे और उन्हें अपना आध्यात्मिक गुरु बना लिया। वह नरेंद्र को विवेकानंद नाम से संबोधित करते। साल 1886 में रामकृष्ण परमहंस मृत्यु हो गई, उन्होंने विवेकानंद को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर रखा था लेकिन विवेकानंद ने साधु बनने का निश्चय किया और एक मठ बनाकर रहने लगे।

1890 के दौरान विवेकानंद ने पूरे देश में भ्रमण कर भारतीय समाज और लोगों के रहन-सहन, संस्कृति को समझने की कोशिश की। लोगों के बीच आपसी भेद देखकर उन्हें समझ आया कि इन कुरीतियों को खत्म करने से ही नए भारत का निर्माण होगा। इसके लिए उन्होंने लोगों को शिक्षित करना, युवाओं को प्रेरित करना शुरू किया। उन्होंने नारा दिया- उठो, जागो और लक्ष्य की प्राप्ति तक रुको मत।

साल 1893 में अमेरिका के शिकागो में धर्म सम्मेलन के आयोजन में विवेकानंद ने भारत का प्रतिनिधित्व किया। यहां उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत जैसी ही ‘मेरे प्रिय अमेरिकी भाइयों और बहनो’ के साथ की, पूरी सभा तालियों से गूंज गई। भाषण के दौरान उन्होंने भारतीय संस्कृति, विचारों से लोगों को परिचित कराया, समाज में फैली बुराइयों पर जमकर कुठाराघात किया। वहां मौजूद सभी लोग युवा विवेकानंद से अभिभूत थे। 1894 में न्यूयॉर्क में इन्होंने वेदान्त सोसाइटी की स्थापना की।

स्वामी विवेकानंद के विचारों से प्रेरणा लेकर देश के सतत विकास में युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से हर साल उनके जन्मदिवस को देश में युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। ये सभी देशवासियों के लिए खास दिन है, युवाओं को स्वयं के महत्व को समझने और कौशल विकास के समसामयिक मुद्दों पर चर्चा करने का भी अवसर है।