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Exclusive: दो दिन में बिल पास नहीं होने का हवाला देकर पेमेंट सिस्टम को सेंट्रलाइज किया, अब 6 महीने से अटके बिल


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Exclusive: दो दिन में बिल पास नहीं होने का हवाला देकर पेमेंट सिस्टम को सेंट्रलाइज किया, अब 6 महीने से अटके बिल

Rajasthan Finance Department: राज्य के 2 लाख करोड़ की भुगतान प्रणाली को कब्जे में लेने लिए वित्त विभाग के आला अधिकारियों के रचे षडयंत्र अब सामने आ रहे हैं। इसके लिए न सिर्फ सीएजी को गलत जानकारी दी गई बल्कि अपने ही अफसरों और कर्मचारियों की साख पर भी बट्टा लगाने का काम किया गया। पढ़ें ये रिपोर्ट...।

Rajasthan Finance Department: राजस्थान में सरकारी भुगतान की प्रक्रिया में गबन और फर्जीवाड़े के जो मामले सामने आ रहे हैं, इसकी चेतावनी सीएजी ने डेढ़ साल पहले ही सरकार को दे दी थी। वित्त विभाग ने सीएजी की चेतावनी और आपत्तियों को अनसुना कर महज एक सॉफ्टवेयर के जरिए राजस्थान की समस्त भुगतान प्रणाली को सेंट्रलाइज कर लिया।

संवैधानिक प्रावधान कहते हैं कि किसी नियम में संशोधन किया जाना है तो पहले एक्ट फिर नियम और अंत में प्रक्रिया में बदलाव होता है। वित्त विभाग के अफसरों ने भुगतान को केंद्रीकृत करने के लिए सीधे प्रक्रिया ही बदल डाली। इसके लिए ई- सीलिंग सॉफ्टवेयर बनाकर भुगतान करने शुरू कर दिए गए, जबकि ट्रेजरी के नियमों और प्रक्रिया में इसका उल्लेख कहीं भी नहीं है। ई-सीलिंग मॉड्यूल का इस तरह से उपयोग पूरी तरह अवैध है।

भुगतान प्रणाली को सेंट्रलाइज करने का कारण बताते हुए एजी को यह तक लिख दिया कि सरकार में ट्रेजरी ऑफिस बिना कारण के बिलों के भुगतान अटकाते हैं। इसके साथ ही बिना नियम संशोधन के यह प्रावधान कर दिया कि ट्रेजरी में 2 दिन बिल पेंडिंग रहता है तो तीसरे दिन यह ऑटो पेमेंट में चला जाएगा।

2 दिन की देरी का हवाला- अब 6 महीने से अटके भुगतान

सवाल 1: बड़ा प्रश्न है कि यदि यह बदलाव लोगों की सहूलियत के नाम पर किया गया तो मौजूदा समय में पेंशन, वर्क्स पेमेंट सहित तमाम बिल 6-6 महीने से वित्त विभाग में ईसीएस के लिए लंबित क्यों हैं? पिछली सरकार के कार्यकाल के लगभग 30 हजार करोड़ के बिल आज भी वित्त विभाग के पास पेंडिंग क्यों पड़े हैं?
सवाल 2: – जो भी बिल कोषालय में आएंगे यदि ट्रेजरी उसे किसी भी कारण से 2 दिन में क्लीयर नहीं कर पाती है वह ऑटो हो जाएंगे। ऐसे में इन बिलों को चेक करने लिए सरकार में जो चैक लिस्ट बनाई गई है उसका क्या हुआ ?
सवाल 3: जब बिल चेक नहीं होंगे तो फर्जी भुगतान कैसे रुक सकेगे? ऑटो पमेंट के नाम पर राजस्थान के सरकारी खजाने में बड़ी सेंधमारी की गई उसके जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई कब होगी?
  • (अ) सोशल सिक्यूरिटी पेंशन में करीब 10 लाख लोगों को फर्जी पेंशन मिली क्योंकि उनके दस्तावेज ट्रेजरी में वेरिफाई नहीं हुए। राज्य को 480 करोड़ का चूना लगा।
  • (ब) जिन कर्मचारियों की मृत्यु हो चुकी उनके नाम पर लंबे समय वेतन और पेंशन खातों में ट्रांसफर होते रहे।
  • (स) जिन पर गबन के आरोप थे उन्हें भी वेतन-पेंशन स्कीकृत कर दी गई।
  • (द) जो रिटायर नहीं हुए उन्हें रिटायरमेंट बेनीफिट जारी कर दिए।

Rajasthan Finance Department officials changed rules to capture payment process of 2 lakh crore
एजी को जवाब में भेजी जानकारी
सीएजी ने मना किया तो खुद ही बदल दी प्रक्रिया

वित्त विभाग ने क्या किया? इन्होंने सीएजी (महालेखाकार) को नियम बदलने लिए प्रस्ताव भेजा। लेकिन, सीएजी ने उन नियमों को परिवर्तन करने की स्वीकृति नहीं दी तो उन्होंने डीम्ड मान कर प्रक्रिया बदल दी, जबकि विभाग के पास ऐसा करने के अधिकार ही नहीं हैं।

  • इस प्रक्रिया को बदलकर इन्होंने ट्रेजरी के भुगतान के अधिकार सेंट्रलाइज कर लिए, जबकि नियम यह है कि पहले एक्ट फिर नियम और फिर प्रक्रिया बदली जाती है। इन्होंने सीधे प्रक्रिया को बदल डाला।
  • जिस ई- ट्रेजरी की डीएससी को काम में लेकर भुगतान किए जा रहे हैं उसकी स्थापना तो सिर्फ रिसीट कलेक्शन से की गई थी। बिना समक्ष स्तर पर नियमों में बदलाव किए इसे भुगतान प्रणाली में कैसे काम ले लिया गया यह बड़ा सवाल है?
  • ट्रेजरी नियमों में सिर्फ टीओ की डीएससी लग कर आरबीआई से भुगतान का प्रावधान है। वित्त विभाग ने ई-सिलिंग सॉफ्टवेयर के जरिए ट्रेजरी ऑफिसर को बॉयपास कर सिंगल सर्टिफिकेट लगाकर आरबीआई से भुगतान करवा लिया।

सीएजी की आपत्ति

  1. इस पर सीएजी ने आपत्ति दर्ज करवाई है। नियम बनाने का काम विधायिका का होता है और उसे लागू करने की जिम्मेदारी ब्यूरोक्रेसी की होती है।
  2. नियम 61-(2) के अनुसार कोषालय में आने वाले प्रत्येक बिल की चेक लिस्ट बनाई जाती है उसके अनुसार उनकी जांच की जाती है। उस  चेक लिस्ट के सही पाए जाने पर भी बिल भुगतान किया जाता है। उसकी स्वीकृति कोषालय से जारी की जाती है।
  3. नियम 144 (ए-1) के अनुसार बिल सही पाया गया है तो बिल भुगतान के लिए आगे भेजा जाता है। इनमें संबंधित ट्रेजरी अफसर के इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर (डीएससी) लगते हैं।  डीएससी लगाकर भुगतान के लिए आरबीआई में जाती है। जहां सरकार के कंसोलिडेटड फंड से भुगतान ईसीएस होता है। जिसका रिकंसिलेशन उस कोषालय के आरबीआई में खोले पीडी अकाउंट से होता है।  इसके लिए राज्य के लिए सभी कोषालयों के पीडी खाते आरबीआई में खाले गए हैं। सरकारी विभाग से ट्रेजरी ऑफिस में जाने तक की इस प्रक्रिया में करीब 67 हजार लोगों का चैकिंग सिस्टम है। लेकिन इस सारी प्रक्रिया को बायपास किया गया।
किसने क्या कहा?
राजस्थान लेखा सेवा परिषद के अध्यक्ष होशियार सिंह पूनिया ने कहा- हम तो नहीं मानते ट्रेजरी काम नहीं करती। ट्रेजरी की जरूरत है तभी तो ऑफिस खुले हुए हैं नहीं तो बंद क्यों नहीं कर दिए।

पेंशनर समाज अध्यक्ष किशन कुमार शर्मा ने कहा- जुलाई से ही पेंशन भुगतान नहीं हो रहे हैं। करीब 600 मामले तो अभी मेरी जानकारी में ही हैं। इसके अलावा हजारों मामले ऐसे और भी होंगे। वित्त विभाग के चक्कर लगाने पड़ते हैं। पहले ट्रेजरी ऑफिस के स्तर पर ही समाधान हो जाता था।

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