Story Behind Christmas : क्या है सेंटा क्लॉज, क्रिसमस ट्री का इतिहास; जानिए कैसे हुई इस त्योहार की शुरुआत
Story Behind Christmas : ईसा मसीह के जन्म की खुशी में मनाया जाने वाला त्योहार क्रिसमस अब ज्यादा दूर नहीं बचा है। इस रिपोर्ट में पढ़िए कि इसकी शुरुआत कब हुई, क्रिसमस ट्री का इतिहास क्या है और इस पर्व से जुड़े कई और सवालों के जवाब...
Story Behind Christmas : ईसा मसीह के जन्म का जश्न मनाने के लिए आयोजित होने वाला त्योहार क्रिसमस अब कुछ ही दिन दूर है। इसे मनाने वाले लोग अपने घरों को सजाने और अपने करीबियों के लिए उपहार लेने के काम में जुटे हुए हैं। इस दिन लोग चर्च जाते हैं, कैरल गाते हैं एक-दूसरे को उपहार देते हैं और अपने घरों में क्रिसमस ट्री को शानदार तरीके से सजाते हैं।
बात क्रिसमस की हो और सेंटा क्लॉज का जिक्र न हो ऐसा कैसे हो सकता है। यह नाम सुनते ही हमारे मन में लाल रंग का सूट पहने, सफेद दाढ़ी-मूछों वाले एक शख्स का अक्स उभरता है जिसकी पीठ पर उपहारों से भरी पोटली होती है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं क्रिसमस त्योहार का इतिहास क्या है, क्रिसमस ट्री कब अस्तित्व में आया और सेंटा क्लॉज के पीछे का राज क्या है…
कैसे हुई क्रिसमस की शुरुआत
ईसाई धर्म के अस्तित्व में आने से पहले लोग सर्दियों के सबसे अंधेरे दिनों को जानवरों की बलि देकर मनाते थे। मॉडर्न क्रिसमस की शुरुआत चौथी शताब्दी में हुई मानी जाती है लेकिन इसकी तारीख 25 दिसंबर ईसा मसीह की जन्मतिथि के आधार पर नहीं चुनी गई थी।
कहा जाता है कि पोप जूलियस 1 ने इसे तब चल रहे सर्दी के मौसम में मनाए जाने वाले त्योहारों को देखते हुए रणनीतिक रूप से यह तारीख दी थी ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग यह पर्व मनाने लगें। यह भी कहा जाता है कि इसकी शुरुआत रोमन व अन्य यूरोपीय त्योहारों से हुई थी।
क्रिसमस ट्री का इतिहास क्या है
घर के अंदर क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा शुरुआत में जर्मनी में थी। 1700 के दशक में बाकी जगहों पर भी इसे अपनाया जाने लगा था। प्रोटेस्टेंट रिफॉर्मेशन के एक नेता मार्टन लूथर ने घर के अंदर सितारों भरा आसमान जैसा माहौल देने के लिए पेड़ पर जलती मोमबत्तियां लगाई थीं।
इंग्लैंड में क्रिमसम ट्री की परंपरा 1840 में शुरू हुई थी। इसका श्रेय महारानी विक्योरिया के पति प्रिंस अल्बर्ट को जाता है। 19वीं शताब्दी के मध्य तक मोमबत्तियों, घर में बनी डेकोरेशंस, टॉफी-चॉकलेट्स और उपहारों से लदे क्रिसमस ट्री मध्यम वर्ग के घरों में काफी लोकप्रिय हो चुके थे।
सेंटा क्लॉज को कौन लेकर आया
सेंटा क्लॉज की शुरुआत को अक्सर मशहूर सॉफ्टड्रिंक ब्रांड कोका-कोला से जोड़ा जाता है। इसी कंपनी ने 1931 में इलस्ट्रेटर हैडन संडब्लॉम को यह काम दिया था जिसके बाद फूले गाल, सफेद दाढ़ी और लाल सूट पहने एक शख्स की आइकॉनिक तस्वीर अस्तित्व में आई थी।
लेकिन सेंटा क्लॉज की प्रेरणा कहां से आई इसका इतिहास सदियों पहले (280 एडी) एक दयालु संत निकोलस तक जाता है। डच अभी भी छह दिसंबर को सेंट निकोलस को ‘सिंटरक्लास’ (Sinterklass) के रूप में याद करते हैं और पांच दिसंबर को मिठाइयों और उपहारों की उम्मीद में जूते बाहर रखते हैं।
कैंडल जलाने की परंपरा कब आई
क्रिसमस के मौके पर फूलों के बीच मोमबत्तियां जलाने की शुरुआत सबसे पहले 1833 में जर्मनी में हुई थी। जब एक लूथरन पादरी ने क्रिसमस की कहानी बताते हुए मोमबत्ती जलाई थी। इसके बाद एक धार्मिक परंपरा से आगे बढ़ते हुए परिवारों ने छोटी-छोटी मोमबत्तियां बनानी शुरू की थीं।
इसे ‘लाइट ऑफ द वर्ल्ड’ यानी एक प्रकाशमान दुनिया का प्रतीक माना जाता है। 19वीं शताब्दी के अंत तक यह और सजावट भरा हो गया था। मोमबत्तियों की जगह आभूषणों, बेरी, पाइनकोन आदि ने ले ली थी। साथ ही लोग अपने घर के मुख्य दरवाजे पर वेलकम रिंग भी लगाने लगे थे।
कार्ड भेजने की शुरुआत कब हुई
सबसे पहला क्रिसमस कार्ड जर्मनी के एक फिजिशियन माइकल मेयर ने किंग जेम्स 1 और प्रिंस ऑफ वेल्स को 1611 में भेजा था। इसमें उन्होंने इस त्योहार की शुभकामना दी थी। हालांकि, बड़े स्तर पर क्रिसमस की शुभकामना वाले कार्ड भेजने की शुरुआत 1843 के बाद हुई थी।
1843 में एक सिविल सर्वेंट सर हेनरी कोल ने जॉन कैलकट होर्सली को क्रिसमस से जुड़ा एक कार्ड तैयार करने का काम दिया था। वहीं, 1870 के दशक में सस्ते कार्ड सामने आए जो खासे लोकप्रिय होने लगे थे। इसके बाद क्रिसमस के मौके पर बधाई संदेश देन के लिए कार्ड का इस्तेमाल एक परंपरा बन गया जो आज भी जारी है।