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बढ़ रहीं दूरियां:जयपुर मेट्रो की फैमिली कोर्ट; 67 फीसदी पति व 33 फीसदी पत्नियों ने मांगा तलाक


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बढ़ रहीं दूरियां:जयपुर मेट्रो की फैमिली कोर्ट; 67 फीसदी पति व 33 फीसदी पत्नियों ने मांगा तलाक

बढ़ रहीं दूरियां:जयपुर मेट्रो की फैमिली कोर्ट; 67 फीसदी पति व 33 फीसदी पत्नियों ने मांगा तलाक

जयपुर : पुरुषों की दलील: परिजनों के साथ नहीं रहना चाहती पत्नी, गांव जाने से मना करती है, विवाहेत्तर संबंध हैं व क्रूरता करती हैं।

पत्नियों की दलील: पति दहेज के लिए प्रताड़ित करते हैं, दूसरी औरत के साथ रहते हैं, मारपीट करते हैं और धोखाधड़ी करते हैं।

जयपुर मेट्रो की पांच फैमिली कोर्ट में पति व पत्नी के बीच तलाक व भरण पोषण केसों में बढ़ोतरी हो रही है और पेंडेंसी का आंकड़ा 8500 तक पहुंच गया। हालात ये हैं कि शहर की फैमिली कोर्ट में दायर होने वाले केसों में से 67% पति व 33% पत्नियां एक दूसरे के साथ नहीं रहने के लिए कोर्ट से तलाक मांग रहे हैं। यानी कोर्ट में हर महीने दायर होने वाले तलाक के 300 केसों में से 200 केस पुरुष व 100 केस महिलाओं की ओर से दायर किए हैं। तलाक मांगने वालों में ना केवल नए जोड़े रहे हैं, बल्कि 8 से 10 साल पुरानी शादियां भी टूट रही हैं। तलाक लेने के पीछे पुरुष पत्नियों की ओर से उनके माता-पिता के साथ नहीं रहने, क्रूरता करने व विवाहेत्तर संबंधों का आरोप लगा रहे हैं। पत्नियों की भी तलाक लेने के पीछे दलील है कि उन्हें दहेज के लिए प्रताड़ना देते हैं और पीटते हैं। इसके अलावा तलाक लेने वालों में 60 फीसदी मामले नए जोड़ों के हैं, जो पारस्परिक सहमति से तलाक ले रहे हैं।

केस 1: टूर व ट्रेवल्स का काम करने वाले पति ने कोर्ट में तलाक की अर्जी दायर कर पत्नी से इस आधार पर तलाक मांगा था कि उसके माता-पिता के साथ नहीं रहना चाहती। कोर्ट ने सुनवाई कर पति को पत्नी को अंतरिम भत्ता देने का निर्देश दिया, लेकिन भत्ता नहीं दिया और ना ही कोर्ट में पेश हुआ। इस पर पति की अर्जी खारिज कर दी।

केस 2: एक अन्य मामले में 2016 में हुई शादी को तोड़ने के लिए फौजी पति ने पत्नी पर विवाहेत्तर संबंधों का आरोप लगाते हुए तलाक मांगा है। पति का आरोप है कि उसकी पत्नी गांव में उसकी मां के साथ नहीं रहना चाहती और उसके किसी अन्य के साथ अवैध संबंध हैं। यह मामला सुनवाई में चल रहा है।

केस 3 : एक मामले में पति ने शादी के 4 साल बाद तलाक लेने के लिए दायर अर्जी में पत्नी पर अवैध संबंधों का आरोप लगाकर कोर्ट से तलाक मांगा है। पति का आरोप है कि पत्नी उससे शारीरिक संबंध बनाने नहीं देती है और उनके संतान नहीं है। पत्नी अधिकतर समय पीहर में ही रहती है और उसके वहां पर किसी अन्य व्यक्ति से अवैध संबंध हैं। इसलिए उसे पत्नी से तलाक दिलवाया जाए।

केस 4 : एक अन्य मामले में शादी के पांच साल बाद पति ने यह कहते हुए तलाक मांगा है कि उसकी पत्नी उसे माता-पिता के साथ नहीं रहने देना चाहती और अलग रहने के लिए दबाब डालती है। इसके अलावा उससे अलग मकान दिलवाने और अपने पीहर वालों को रुपए की मदद करने के लिए भी कहती है। पत्नी दो साल से पीहर रह रही है। इसलिए उसे मानसिक क्रूरता के आधार पर तलाक दिलवाया जाए।

केस 5 : एक अन्य मामले में पत्नी ने 12 साल पुरानी शादी को तोड़ने के लिए यह कहते हुए मेडिकल का काम करने वाले पति से तलाक मांगा था कि पति ने उसके बैंक खाते से कई क्रेडिट कार्ड बनवाकर रुपयों की धोखाधड़ी की है। इस मामले में कोर्ट ने पत्नी के पक्ष में फैसला देते हुए एक तरफा तलाक दे दिया है।

केस 6 : 7 साल पुरानी शादी को तोड़ने के लिए पत्नी ने यह कहते हुए तलाक मांगा था कि उसका पति बिना शादी किए ही किसी दूसरी औरत के साथ नाजायज तरीके से रहता है। इसलिए उसे अडल्टरी के आधार पर पति से तलाक दिलवाया जाए। कोर्ट ने पत्नी के पक्ष में फैसला देते हुए तलाक की अर्जी मंजूर कर ली।

केस 7: एक अन्य मामले में 2005 में हुई शादी को तोड़ने के लिए पति ने कोर्ट से यह कहते हुए तलाक मांगा है कि उसकी पत्नी मानसिक क्रूरता करती है और साथ नहीं रहती। वह 2014 से ही उससे अलग रह रही है। इसलिए उसे तलाक दिया जाए। इस मामले की सुनवाई जारी है।

9 साल में 3 गुना केस

जयपुर मेट्रो की फैमिली कोर्ट में तलाक व भरण पोषण सहित हिन्दू विवाह अधिनियम के तहत लंबित केस नौ साल पहले 2014 में 2700 थे जो 2023 के अंत तक बढ़कर 8500 तक पहुंच गए हैं।

एक्सपर्ट व्यू: पति-पत्नी के बीच बढ़ती महत्वाकांक्षा व काउंसलिंग की कमी से टूट रहे हैं परिवार: पारिवारिक न्यायालय बार एसोसिएशन जयपुर के अध्यक्ष डीएस शेखावत का कहना है कि मेट्रो कल्चर में पति-पत्नी के बीच में महत्वाकांक्षाएं भी बढ़ी हैं और संयुक्त परिवार भी नहीं हैं। ऐसे में नए व पुरानी शादियों में परिवारजनों का नियंत्रण कम हुआ है। वहीं पिछले एक साल से पारिवारिक न्यायालय में काउंसलर के पद पर नियुक्तियां नहीं हुई हैं और पक्षकारों की काउंसलिंग नहीं हो पा रही है। इस कारण से भी तलाक के मुकदमों में बढ़ोतरी हो रही है।

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