12वीं पास लुटेरी दुल्हनों का दलाल, खुद को पुलिसवाला बताता:होटल-ढाबों पर करता वसूली, पत्नी भी नहीं पहचान पाई, कान की बालियों से पकड़ा गया
12वीं पास लुटेरी दुल्हनों का दलाल, खुद को पुलिसवाला बताता:होटल-ढाबों पर करता वसूली, पत्नी भी नहीं पहचान पाई, कान की बालियों से पकड़ा गया

उदयपुर : उदयपुर की प्रतापनगर थाना पुलिस ने एक ऐसे शख्स को गिरफ्तार किया है जो खुद 10 महीने से प्रतापनगर थाने का सब इंस्पेक्टर बनकर घूम रहा था। गुरुवार 12 अक्टूबर को आरोपी को उदयपुर साउथ-1 कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जमानत मिल गई। लेकिन, पुलिस पूछताछ में उसने जो राज उगले, उन्हें सुनकर पुलिस भी हैरान रह गई।
प्रतापनगर थाना इंचार्ज हिमांशु सिंह राजावत ने बताया- 12वीं तक पढ़ा ये शातिर छोटा-मोटा मजदूरी का काम करता था। कुछ वक्त फाइनेंस का काम किया। वह इतने कॉन्फिडेंस से पुलिसवाला बनकर घूमता कि होटल-ढाबे वाले उससे डरकर वसूली दे देते और लोग कानून से जुड़ा काम कराने उसके पास फाइल लेकर आने लगे। आरोपी ने खाकी का झांसा देकर अनजान लोगों को ही नहीं ठगा, बल्कि अपनी पत्नी तक को धोखे में रखा।

उदयपुर शहर से 65 किलोमीटर दूर वल्लभनगर तहसील के कानोड़ इलाके के मूल निवासी और वर्तमान में उदयपुर में गोवर्धन विलास सेक्टर-14 में किराए के मकान में रहने वाले देवराज सिंह उर्फ देवेंद्र सांखला (31) ने पत्नी पूजा कंवर, पड़ोसियों और मकान मालिक को भी यही बता रखा था कि वह सब इंस्पेक्टर है।
रिश्तेदारी में 3-4 लोग कॉन्स्टेबल और इंस्पेक्टर पद पर हैं, इसलिए देवराज का दिमाग बचपन से खाकी के इर्द-गिर्द घूमता। उसने फर्जी पुलिसवाला बनकर ठगी का रास्ता पकड़ लिया।
वर्दी सिलाई, नेम प्लेट खरीदी
उसने लोगों को झांसा देने के लिए जयपुर से सब इंस्पेक्टर की वर्दी, नेमप्लेट बनवा ली। बाल छोटे कटवाए और मूंछें बढ़ा लीं। फर्जी डॉक्यूमेंट भी तैयार कर लिए। यहां तक कि दोस्त से उधार ली कार में सीटों पर सफेद कवर और पर्दे लगवाए, कार के आगे-पीछे पुलिस का स्टिकर चिपकाया और कार में ही हैंगर में वर्दी टांगकर चलता।
बुधवार 11 अक्टूबर को देवराज की पोल खुल गई। उदयपुर की प्रतापनगर थाना पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली कि एक आदमी फर्जी इंस्पेक्टर बनकर देबारी हाईवे के आस-पास घूम रहा है। उसने कानों में मुर्कियां (बालियां) पहन रखी हैं। पुलिस टीम सादा वर्दी में मौके पर पहुंची।
कार में बैठकर कर रहा था डील
11 अक्टूबर की दोपहर 2 बजे पुलिस को आरजे-27 सीएच 3568 नंबर की हुंडई आई-20 कार नजर आई। कार में दो लोग थे। एक देवराज और दूसरा एक फाइनेंस कंपनी से जुड़ा इंदौर निवासी अजय शर्मा। देवराज को पुलिसवाला समझकर अजय अटकी हुई रिकवरी निकलवाता था। देवराज ने अजय के कहने पर लोन की रकम क्लाइंट से निकलवाई तो अजय ने 3 बार में उसे 30 हजार रुपए दिए थे। दोनों के बीच डील चल रही थी।

इसी दौरान वहां सादा वर्दी में पहुंचे प्रतापनगर थाना पुलिस की टीम के कॉन्स्टेबल ने विंडो ग्लास खटखटाया।
कॉन्स्टेबल ने कहा- सर, जरा कार से बाहर आइये।
रौब दिखाते हुए देवराज बोला- दो मिनट वेट करो।
कॉन्स्टेबल ने दो मिनट बाद फिर कहा- सर, बात करनी है, बाहर आइए।
देवराज ने पुलिसिया अंदाज में कार के अंदर से पूछा- क्या काम है, बताओ।
कॉन्स्टेबल ने पूछा- सर, आप कौन से थाने में पोस्टेड हो ?
देवराज बोला- प्रतापनगर थाने में हूं, बताओ क्या काम है ?
कॉन्स्टेबल ने कहा- मैं भी प्रतापनगर थाने में पोस्टेड हूं, लेकिन आपको वहां कभी देखा नहीं।
इस पर देवराज हड़बड़ा गया। कॉन्स्टेबल का इशारा मिलते ही प्रतापनगर थाना पुलिस ने कार को घेर लिया। साथ बैठा फाइनेंस बिजनेसमैन भी घबरा गया। उसे हकीकत पता चली तो पैरों तले जमीन खिसक गई। उसने बताया कि खुद को सब इंस्पेक्टर बताकर वह रिकवरी कराने के नाम पर पैसे मांग रहा था।

चौंकाने वाले खुलासे, फर्जी फाइलें रखता था
प्रतापनगर थाना इंचार्ज हिमांशु सिंह राजावत ने बताया- आरोपी देवराज को गिरफ्तार कर गुरुवार 12 अक्टूबर को कोर्ट में पेश किया। पूछताछ में आरोपी ने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। इसने सिर्फ लोगों को ही बल्कि अपने परिवार की आंखों में भी धूल झोंकी है।
राजावत ने बताया- देवराज लोगों से कहता था कि जिला एसपी से उसकी अच्छी पहचान है। वह पुलिस के जरिए किसी के फेवर में भी कानूनी कार्रवाई करा सकता है। खुद को पुलिसवाला दिखाने के लिए उसने हुलिया और पहनावा भी पुलिस जैसा ही कर लिया। छोटे बाल, लंबी मूछें।
आरोपी की निशानदेही पर उसके कब्जे से फर्जी दस्तावेज और फाइलें बरामद हुई। जब्त दस्तावेज में किसी एसपी, डिप्टी के पद और जगह का हवाला था। दस्तावेज में अतिक्रमण हटाने, झगड़े-मारपीट के मामले, हथियार रखने आदि से जुड़े मामलों में एसपी से कार्रवाई कराने के आश्वासन वाले फेक दस्तावेज थे। फाइलें देखकर लगता है कि इन्हें दिखाकर लोगों को झांसे में लिया गया है, इनमें केस सॉल्व करने से लेकर कानूनी कार्रवाई करने तक का जिक्र है। यह सब फर्जी है।
देवराज पहले तो बातों से लोगों को अपने झांसे में लेता, जरूरी लगता तो फाइल और दस्तावेज का सहारा लेता। दावा करता कि किसी भी केस में वह एसपी स्तर पर त्वरित कार्रवाई करा सकता है। इसकी आड़ में पैसे वसूल करता। उसने होटल-ढाबे वालों, व्हीकल ड्राइवरों को रुतबा दिखाकर पैसे वसूलना शुरू कर दिया।

पुलिस ने बताया कि आरोपी ने फाइनेंस का काम करने वाले इंदौर निवासी अजय शर्मा से रिकवरी कराने की एवज में 30 हजार रुपए लिए थे। इसके अलावा होटल्स, ढाबे वालों, टू व फोर व्हीलर वाहन चालकों, फाइनेंस कम्पनी वालों और कानूनी पचड़ों में फंसे लोगों को कार्रवाई का आश्वासन देकर शिकार बनाया था। किसी से 2 हजार, किसी से 4-5 हजार रुपए वसूल किए थे। अब तक आरोपी ने कितनी राशि वसूल की, पुलिस इसका आकलन कर रही है।
एमपी से लड़की लाकर कराता था फर्जी शादियां
मजदूरी और फाइनेंस का काम करने वाले देशराज ने फर्जी इंस्पेक्टर बनकर रौब झाड़ने से पहले फर्जी शादियां कराने का काम भी किया। वह ऐसे लोगों की तलाश में रहता जिनकी शादी नहीं हो रही थी। उन्हें शादी कराने का झांसा देता। मध्य प्रदेश से लड़कियां लाकर ऐसे लोगों से सम्पर्क साधता। उन लोगों से मोटी रकम लेकर शादी करा देता। कभी लड़की वालों को झांसा देता तो कभी लड़के वालों को। इसी फर्जीवाड़े के चलते उसे जेल की हवा खानी पड़ी थी।
देशराज को जब जेल हुई तो पत्नी पूजा कंवर उसे छोड़कर चली गई। जेल से बाहर आने के बाद उसने सही राह पर चलने के बजाए बड़े फ्रॉड की प्लानिंग की। उसने खुद के सब इंस्पेक्टर बनने की हवा बनाई। इसके लिए वर्दी, पहनावा, रहन-सहन सब कुछ पुलिसवालों जैसा कर लिया। इसके बाद पत्नी को फोन कर कहा कि वह सब इंस्पेक्टर बन गया है।
पूजा को यकीन नहीं हुआ। देवराज ने कसमें खाईं, कहा- मैं सच में पुलिसवाला बन गया हूं, नेकी की राह पर चल रहा हूं, अब वापस आ जाओ, कभी कोई गलत काम नहीं करूंगा। पत्नी को यकीन दिलाने के लिए देवराज ने खुद के वर्दी पहने फोटो और फर्जी डॉक्यूमेंट दिखाए। पत्नी ने इसे सच मान लिया और वापस देवराज के पास गोवर्धन विलास सेक्टर-14 आ गई।

जयपुर से खरीदी थी वर्दी और नेम प्लेट
प्रतापनगर थाना इंचार्ज हिमांशु सिंह राजावत ने बताया- 10 महीने पहले देवराज ने खुद के लिए जयपुर से पुलिस की वर्दी सिलवाई। देवराज सिंह नाम की फर्जी नेम प्लेट भी बनवाई। अपने दोस्त लक्ष्मीलाल गुर्जर की हुंडई आई-20 कार में क्लाइंट से मिलता था। कार के आगे-पीछे पुलिस विभाग का लोगो लगवाया।
देशराज जब सिविल ड्रेस पहनकर कार चलाता तो पुलिस की ड्रेस और टोपी डैशबोर्ड के शीशे के पास लटकाकर रखता। ताकि लोग देखते ही समझ जाएं कि यह कोई पुलिसवाला है।
पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार आरोपी देवराज ने 9वीं तक पढ़ाई बोहेड़ा के सरकारी स्कूल से की। इसके बाद 10वीं से 12वीं कोटा ओपन यूनिवर्सिटी से की। 12वीं के बाद उसने पढ़ाई छोड़ दी और छोटा-मोटा मजदूरी का काम करने लगा। कुछ वक्त उसने फाइनेंस का काम भी किया। देशराज के 7 साल का बेटा है। पिता का 30 साल पहले निधन हो चुका है। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 170 और 171 में मुकदमा दर्ज किया था।