जयपुर : राजस्थान में 7 लाख से ज्यादा सरकारी कर्मचारियों के लिए रिटायरमेंट से पहले कम से कम 3 प्रमोशन का रास्ता खुल गया है। गहलोत कैबिनेट ने कर्मचारियों के प्रमोशन की 31 साल पुरानी पुरानी व्यवस्था लागू कर दी है। इसके व्यवस्था के तहत कर्मचारियों को 9, 18 और 27 साल के पे-स्केल के अनुसार प्रमोशन मिलेगा ही।
बुधवार को आए इस निर्णय के बाद कर्मचारियों के मन में कई सवाल हैं। वर्तमान कर्मचारियों को इससे क्या फायदा होगा? क्या 2006 के बाद भर्ती हुए कर्मचारियों को बैक डेट से इस व्यवस्था का लाभ मिलेगा? कौन से कर्मचारी दायरे में आएंगे? यह व्यवस्था कब लागू होगी?
इस स्पेशल रिपोर्ट में हम ऐसे ही सवालों के जवाब जानेंगे…
पहले जान लेते हैं क्या है पुरानी वाली सलेक्शन स्केल व्यवस्था
दरअसल, सरकारी कर्मचारियों के प्रमोशन के लिए आज से 31 साल पहले अलग व्यवस्था थी। 25 जनवरी 1992 को 9,18 और 27 साल की सर्विस पर प्रमोशनल पोस्ट के साथ पे स्केल दिए जाने का प्रावधान लागू किया गया था। यह व्यवस्था खास तौर पर क्लर्क ग्रेड के कर्मचारियों के लिए लागू की गई थी।
इसके तहत अगर कर्मचारी का 9 साल के भीतर प्रमोशन नहीं हुआ तो उसे इस व्यवस्था के तहत 9 साल में कम से कम पहला निश्चित प्रमोशन मिल ही जाता था। इसके तहत कर्मचारी को अपनी एक सर्विस में कम से कम 3 प्रमोशन मिल जाते थे। उसी के तहत उच्च पदों पर पदोन्नति के साथ-साथ कर्मचारियों की तनख्वाह यानी ग्रेड पे भी बढ़ जाता था।
2006 में लागू हुई थी नई एसीपी व्यवस्था
2006 से छठे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करते समय सलेक्शन स्केल व्यवस्था बंद कर दी गई थी। इसकी जगह एसीपी व्यवस्था लागू की गई। एसीपी यानी अशयोर्ड करियर प्रोग्रेशन। केंद्र सरकार ने छठे वेतन आयोग की सिफारिश के आधार पर 10, 20 और 30 साल की सर्विस होने पर एक हायर पे स्केल देने का प्रावधान किया था। इससे कर्मचारियों को हर 10 साल में हायर पे स्केल का लाभ तो मिल जाता था, लेकिन उसका काडर नहीं बदलता था।
क्या फर्क है दोनों व्यवस्थाओं में
वरिष्ठ कर्मचारी नेता और पदोन्नति मामलों के जानकार रवींद्र पारीक बताते हैं कि दोनों व्यवस्थाओं का अंतर इस तरह समझा जा सकता है कि नई व्यवस्था (एसीपी) से बिना प्रमोशन हुए केवल अगले वेतनमान का लाभ मिलता है। यानी जो क्लर्क है उसकी पोस्ट क्लर्क ही रहेगी, बस तनख्वाह बढ़ेगी, लेकिन पुरानी व्यवस्था (सलेक्शन स्केल) में प्रमोशन के साथ-साथ नए वेतनमान का भी लाभ मिलता था। ऐसे में वर्तमान एसीपी व्यवस्था में कर्मचारी को सिर्फ फाइनेंशियल बेनिफिट होता है। अब जब सलेक्शन स्केल यानी 9, 18 और 27 वाली व्यवस्था लागू होगी तो कर्मचारियों को फाइनेंशियल बेनिफिट के साथ-साथ पोस्ट में प्रमोशन का भी फायदा होगा।
क्यों एसीपी से बेहतर है सलेक्शन स्केल व्यवस्था?
पहला तो एसीपी में स्टेट सर्विसेज के लिए 10, 20 और 30 साल में प्रमोशन की व्यवस्था थी जबकि सलेक्शन स्केल में 9,18 और 27 साल में प्रमोशन की व्यवस्था है। ऐसे में तीन साल का फायदा तो इसमें सीधे तौर पर कर्मचारियों को मिलता है।
दूसरा सलेक्शन एसपी में अगली पे स्केल पर प्रमोशन मिलता है ना कि पद पर। इसे उदाहरण से समझा जा सकता है। अगर कोई व्यक्ति एलडीसी है और 9 साल तक उसका प्रमोशन नहीं होता है तो सलेक्शन स्केल की व्यवस्था में 9 साल पूरे होने पर वह खुद ब खुद यूडीसी हो जाएगा। यानी उसे यूडीसी का वेतनमान-सैलरी मिलेगी। इसी तरह 18 साल होने पर वह ऑफिस असिस्टेंट यानी कार्यालय सहायक हो जाएगा। वहीं 27 साल होने पर वह वह ऑफिस सुपरिंटेंडेंट हो जाएगा। यानी उसे ऑफिस सुपरिंटेंडेंट की सैलरी मिलेगी। इसी तरह सचिवालय की भाषा में देखें तो एएसओ अगर कोई है तो 9 साल बाद वह एसओ हो जाएगा।
जबकि वर्तमान एसीपी व्यवस्था में ऐसा नहीं है। वहां अगर 10 साल में प्रमोशन होता है तो जरूरी नहीं कि एलडीसी पद कार्यरत व्यक्ति 10 साल बाद यूडीसी हो जाए जबकि इसमें 10 साल बाद अगले पे स्केल पर प्रमोशन हो जाएगा। जानकार बताते हैं कि वर्तमान व्यवस्था में एलडीसी और यूडीसी के बीच में एक स्केल और है।
नई व्यवस्था से प्रमोशन में पिछड़ रहे थे लाखों कर्मचारी
एसीपी व्यवस्था में कर्मचारियों को मिलने वाले बैनिफिट काफी कम हो रहे थे। इस व्यवस्था में कार्मिक अपनी पूरी सर्विस में भी अपने दूसरे या तीसरे प्रमोशन के बराबर तक नहीं पहुंच पा रहे थे। यानी एलडीसी पद का व्यक्ति इस व्यवस्था में ऑफिस असिस्टेंट या ऑफिस सुपरिंटेंडेट पद पर अपनी पूरी सर्विस में भी नहीं पहुंच पा रहा था। हालांकि उसकी तनख्वाह में बढ़ाेतरी हो रही थी। मगर सलेक्शन स्केल में यह संभव हो पाएगा।
सवाल जिनके जवाब जानना है जरूरी
क्या इसमें केंद्र का कोई दखल होगा?
इस मसले में दोनों के बीच कोई टकराव नहीं होगा। यानी राज्य सरकार के फैसले को केन्द्र सरकार नहीं बदल सकेगी। ओपीएस की तरह ही यह व्यवस्था भी राज्य सरकार ने लागू की है। 2006 में जब केंद्र ने एसीपी लागू किया था तब इसी व्यवस्था को राज्य सरकार ने अपना जरूर लिया था। राज्य सर्विस के कर्मचारियों पर अब नई व्यवस्था ही लागू होगी। अपने कर्मचारियों के वेलफेयर के लिए राज्य सरकार कानून बनाने के लिए सक्षम है जिसमें केंद्र का कोई दखल नहीं है।
यह व्यवस्था कब लागू होगी?
जैसे ही वित्त विभाग इसका नोटिफिकेशन जारी करेगा, उसी दिन से यह लागू हो जाएगा। अक्टूबर में किसी भी वक्त राजस्थान में आचार संहिता लग जाएगी। ऐसे में उससे पहले ही यह व्यवस्था लागू हो सकती है।
क्या 2006 से नियुक्ति पाने वाले कर्मचारियों पर लागू होगा?
इसपर अभी चर्चाएं हैं, मगर इसके पीछे से प्रमोशन की यह व्यवस्था लागू लागू होने की संभावनाएं ना के बराबर है। इतना जरूर है कि आने वाले समय में कर्मचारियों को इसका लाभ मिलेगा। जिन्हें एक बार का लाभ वर्तमान व्यवस्था में मिल चुका है उन्हें पुरानी व्यवस्था लागू होने पर दोबारा लाभ नहीं मिलेगा।
वर्तमान कर्मचारियों को इससे क्या फायदा होगा?
लागू होने के बाद जिन्हें अपनी नौकरी के अनुसार 9 साल का पीरियड हो जाएगा, उन्हें लाभ मिल जाएगा। इसपर ज्यादा स्पष्टता अधिसूचना जारी होने पर होगी।
व्यवस्थाओं में कोई ऑप्शन मिलेगा?
नहीं इसमें कोई विकल्प की स्थिति नहीं होगी। सरकार ने जो व्यवस्था लागू कर दी, नोटिफिकेशन लागू होने के बाद उसे ही अपनाना होगा।
कौनसे कर्मचारी दायरे में आएंगे?
सभी विभाग, बोर्ड या कॉर्पोरेशन, जो राज्य सरकार के निर्देशन में आते हैं, वो इसके दायरे में आएंगे। विभाग के क्लेरिकल स्टाफ के लिए यह होगा। कई बार बोर्ड-कॉर्पोरेशन ऑर्डर लेट निकालते हैं। मगर उनमें भी अधिसूचना जारी होते ही यह व्यवस्था लागू हो जाएगी।
आईएएस, आरएएस, शिक्षक, प्रोफेसर, इंजीनियर वगैरह की अपनी प्रमोशनल व्यवस्था हैा। मगर विभागों के क्लेरिकल स्टाफ के लिए यह व्यवस्था होगी।
लाखों कर्मचारियों को होगा सोशल फायदा
राजस्थान में करीब 7 लाख से ज्यादा कर्मचारी हैं। जानकार बताते हैं कि पुरानी व्यवस्था में प्रमोशनल फायदे के साथ-साथ एक सोशल फायदा भी जुड़ा था। वर्तमान व्यवस्था में तो कर्मचारियों को पैसे से तनख्वाह से फायदा होता है। मगर पुरानी यानी सलेक्शन स्केल व्यवस्था में काडर भी बढ़ता था। ऐसे में कर्मचारियों के लिए यह सम्मान की बात होती थी। इसी को ध्यान में रखते हुए भी कर्मचारी इस व्यवस्था की मांग कर रहे थे।
सीएम ने बजट में की थी घोषणा
सिलेक्शन ग्रेड से एसीपी में बदलाव से कर्मचारियों के लाभ में कमी आ गई थी। कई कर्मचारी संगठन इसे लागू करने की मांग कर रहे थे। ऐसे में सीएम ने ACP में दोबारा संशोधन करते हुए स्टेट सर्विस सहित सभी कर्मचारियों को 1992 में मंजूर की गई सिलेक्शन ग्रेड की तर्ज पर 9, 18, 27 साल की सेवा पूरी करने पर पहली, दूसरी और तीसरी पदोन्नति वाले पे स्केल दिए जाने की घोषणा बजट में की थी। जिसे बुधवार को कैबिनेट में मंजूरी दी गई।
कोरोना में अनाथ हुए बच्चों के लिए भी बड़ी घोषणा
कोरोना में अनाथ हुए हुए बच्चों को 18 साल की उम्र पूरी होने पर सरकारी नौकरी देने के लिए नियमों में संशोधन के प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। 31 मार्च 2023 से पहले कोरोना के कारण जिनके माता-पिता की डेथ हो गई है। उन बच्चों को बालिग होने पर सरकारी नौकरी देने के लिए नियमों में संशोधन किया गया है।
ऐसे अनाथ बालक-बालिकाएं जिनके माता-पिता में से किसी एक की मृत्यु पहले हो चुकी और दूसरे की मृत्यु कोरोना के कारण 31 मार्च 2023 या इससे पहले हुई। अनाथ होने के समय उनकी उम्र 18 साल से ज्यादा नहीं हो। उनको सरकारी नौकरी दी जाएगी।