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हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड की राष्ट्रीय कार्यशाला:धातु खदानों में कामकाज के लिए रॉक मास वर्गीकरण और सपोर्ट डिजाइन पर चर्चा की


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हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड की राष्ट्रीय कार्यशाला:धातु खदानों में कामकाज के लिए रॉक मास वर्गीकरण और सपोर्ट डिजाइन पर चर्चा की

हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड की राष्ट्रीय कार्यशाला:धातु खदानों में कामकाज के लिए रॉक मास वर्गीकरण और सपोर्ट डिजाइन पर चर्चा की

खेतड़ी नगर : हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड (HCL) के सौजन्य से आईआईटी खड़गपुर और खान सुरक्षा महानिदेशालय (DGMS) धनबाद ने शुक्रवार को एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य धातु खदानों में कामकाज की स्थिरता में सुधार के लिए रॉक मास वर्गीकरण और सपोर्ट डिजाइन पर चर्चा करना था। इसमें देशभर से माइनिंग सेक्टर के वैज्ञानिक, विशेषज्ञ, तकनीकी जानकार और वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।

कार्यशाला के मुख्य अतिथि डीजीएमएस के महानिदेशक उज्ज्वल ताह थे। विशिष्ट अतिथियों में डीजीएमएस उदयपुर के उपमहानिदेशक आर. टी. मांडेकर, एचसीएल के सह-प्रबंध निदेशक संजय कुमार सिंह, निदेशक (ऑपरेशन) डॉ. संजीव कुमार, आईआईटी खड़गपुर के डॉ. आशीष देव और खान सुरक्षा निदेशक अजमेर-1 डॉ. आई. सत्यनारायण शामिल थे। अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

यह कार्यशाला दो चरणों में संपन्न हुई। इसमें भूमिगत खदानों की स्थिरता, ग्राउंड सपोर्ट सिस्टम, ओपनकास्ट खदानों की स्लोप स्टेबिलिटी और उन्नत माइनिंग सेफ्टी जैसे विषयों पर विशेष सत्र आयोजित किए गए। विशेषज्ञों ने रॉक मैकेनिक्स, सपोर्ट सिस्टम, चट्टानी संरचनाओं और आधुनिक तकनीकों के उपयोग पर विस्तृत प्रस्तुति दी।

मुख्य अतिथि उज्ज्वल ताह ने अपने संबोधन में कहा कि देश में अब तक मुख्य रूप से कोयला खदानों के लिए विकसित रॉक मास रेटिंग प्रणाली का उपयोग किया जाता रहा है। हालांकि, मेटल माइंस की चुनौतियां और भू-परिस्थितियां कोयला खदानों से पूरी तरह भिन्न हैं। उन्होंने जोर दिया कि भारतीय परिस्थितियों के अनुरूप एक नई, उन्नत और वैज्ञानिक वर्गीकरण प्रणाली विकसित करना समय की मांग है। यह प्रणाली गहरी खदानों में सुरक्षा को मजबूत करेगी और दुर्घटनाओं को कम करने में सहायक होगी।

एचसीएल के सीएमडी संजय कुमार सिंह ने भी इस बात पर सहमति जताई। उन्होंने कहा कि मेटल माइंस में सपोर्ट डिज़ाइन के लिए मौजूदा पद्धतियों की समीक्षा करना आवश्यक है, ताकि भारतीय भू-वैज्ञानिक परिस्थितियों के अनुरूप अधिक सटीक और सुरक्षित मानक विकसित किए जा सकें और आधुनिक तकनीकों को अपनाने से खदानों की सुरक्षा, उत्पादकता और दक्षता में महत्वपूर्ण सुधार लाया जा सकता है। कार्यक्रम के अंत में, केसीसी के कार्यपालक निदेशक जी. डी. गुप्ता ने सभी अतिथियों को प्रतीक चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।

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