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झुंझुनूं जंगल में पहली-बार कैमरे में दिखा लेपर्ड:दावा- इनके रूट को भी ट्रैक किया, जंगल में लगेंगे चेतावनी बोर्ड


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झुंझुनूं जंगल में पहली-बार कैमरे में दिखा लेपर्ड:दावा- इनके रूट को भी ट्रैक किया, जंगल में लगेंगे चेतावनी बोर्ड

झुंझुनूं जंगल में पहली-बार कैमरे में दिखा लेपर्ड:दावा- इनके रूट को भी ट्रैक किया, जंगल में लगेंगे चेतावनी बोर्ड

झुंझुनूं : झुंझुनूं के जंगल और उसके आसपास के क्षेत्रों में जानवरों की संख्या और उनकी हरकतों की सही वैज्ञानिक डेटा तैयार करने के लिए वन विभाग ने पहली बार कैमरा लगाकर गिनती का तरीका अपनाया है। ‘ट्रैप कैमरा सर्वे’ सिस्टम अब आखिरी चरण में पहुंच गई है। मनसा माता, बांसियाल, बागोर और शाकंभरी जैसे सुरक्षित जंगल क्षेत्रों में किए गए इस सर्वे के शुरुआती नतीजे बहुत अच्छे आए हैं।

कैमरे में कैद हुए महत्वपूर्ण मूवमेंट

वन विभाग की टीमों द्वारा लगाए गए कैमरों और डेटा डाउनलोडिंग में लेपर्ड (तेंदुआ) के कई जरूरी मूवमेंट कैद हुए हैं। अलग-अलग जगह रिकॉर्ड हुई लेपर्ड की हरकतों से विभाग को पता चला है कि वे कब, कहां और किस रास्ते से आते-जाते हैं। कैमरों की फुटेज में सिर्फ लेपर्ड ही नहीं, बल्कि जंगल के अन्य जानवर भी कैद हुए हैं।

मांसाहारी जीव:

तेंदुआ (लेर्ड), गीदड़, हायना, सियार, जंगली बिल्ली और जरख जैसे मांसाहारी जीवों की उपस्थिति दर्ज हुई है, जो जंगल के प्राकृतिक तंत्र के संतुलित होने का संकेत है। ये जीव अधिकतर रात के समय सक्रिय दिखाई दिए।

शाकाहारी जीव:

जंगली सुअर, सेई, नीलगाय, सांभर, चीतल, मोर, तीतर, और खरगोश जैसे शाकाहारी जीवों की स्पष्ट उपस्थिति दर्ज हुई है। फुटेज से पता चला है कि शाकाहारी जीवों की गतिविधियां मुख्य रूप से सुबह-सवेरे और शाम के समय अधिक रहती हैं।

झुंझुनूं डीएफओ ने बताया लेपर्ड और अन्य मांसाहारी जीवों का कैमरे में कैद होना बताता है कि जंगल का प्राकृतिक तंत्र संतुलित है और भोजन श्रृंखला सुचारु रूप से काम कर रही है। वहीं, शाकाहारी प्रजातियों की पर्याप्त उपस्थिति इस बात की पुष्टि करती है कि उनके लिए आवश्यक चारा, पानी और सुरक्षित आवास पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं।

वन विभाग उत्साहित, वन्यजीव गणना का अंतिम चरण, : मनसा माता, बांसियाल और शाकंभरी कंजर्वेशन एरिया में ट्रैप कैमरा सर्वे
वन विभाग उत्साहित, वन्यजीव गणना का अंतिम चरण, : मनसा माता, बांसियाल और शाकंभरी कंजर्वेशन एरिया में ट्रैप कैमरा सर्वे

तीन चरणों में हो रही है हुई गणना

वन विभाग का यह सर्वेक्षण तीन चरणों में पूरा किया गया है, जो पिछली पारंपरिक पद्धतियों की तुलना में अधिक सटीक और वैज्ञानिक माना जाता है।

  • पहला चरण: ग्राउंड सर्वे (भौतिक निरीक्षण)।
  • दूसरा चरण: पगमार्क, मल-मूत्र, पेड़ों पर निशान और जीवों की उपस्थिति के अन्य संकेतों को रिकॉर्ड करना।
  • तीसरा चरण: वर्तमान में चल रहा ट्रैप कैमरा सर्वे, जिसके जरिए जीवों की वास्तविक गतिविधियों को कैप्चर किया जा रहा है।

डेटा से तैयार होगी भविष्य की संरक्षण योजना

DFO बोले- वन विभाग इस विस्तृत डेटा को श्रेणीवार विभाजित कर एक व्यापक रिपोर्ट तैयार कर रहा है। प्रत्येक कैमरे से मिली तस्वीरों को कोडिंग देकर एक सेंट्रलाइज्ड मॉनिटरिंग सिस्टम में अपलोड किया जा रहा है।

  • लेपर्ड सुरक्षा: लेपर्ड की अधिक गतिविधियों वाले क्षेत्रों में गश्त बढ़ाई जाएगी, चेतावनी बोर्ड लगाए जाएंगे और ग्रामीणों तथा मवेशी चरवाहों के लिए विशेष निर्देश जारी किए जाएंगे।
  • आवास विकास: शाकाहारी जीवों की संख्या के आधार पर चारागाह विकास, जलस्रोतों का निर्माण और वन्यजीव कॉरिडोर को मजबूत करने की योजना बनाई जाएगी।
  • संघर्ष प्रबंधन: ट्रैप कैमरों से प्राप्त डेटा मानव-वन्यजीव संघर्ष की अधिक संभावना वाले क्षेत्रों की पहचान करेगा, जहां वन विभाग विशेष निगरानी रखेगा।

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