श्योलपुरा को ढाणी बाढ़ान में जोड़ने का विरोध: ग्रामीण बोले- देवता पंचायत में नहीं रखा तो करेंगे चुनाव बहिष्कार
स्थानीय विधायक पर जातिगत राजनीति का ग्रामीणों ने लगाया आरोप, बोले– वोट बैंक तोड़ने की साज़िश
जनमानस शेखावाटी सवंददाता : विजेन्द्र शर्मा
खेतड़ी : राज्य सरकार की ओर से नई ग्राम पंचायतों के गठन के बाद कई क्षेत्रों में विरोध प्रदर्शन सामने आ रहे हैं। इसी क्रम में जसरापुर क्षेत्र के ग्राम पंचायत देवता के राजस्व गांव श्योलपुरा को नवगठित ग्राम पंचायत ढाणी बाढ़ान में शामिल किए जाने के खिलाफ ग्रामीणों ने मंगलवार को विरोध प्रदर्शन किया। ग्रामीणों ने मांग की कि श्योलपुरा को देवता ग्राम पंचायत में ही यथावत रखा जाए।
ग्रामीणों ने बताया कि श्योलपुरा ग्राम पंचायत देवता से मात्र एक किलोमीटर दूर है, जिससे सभी दैनिक जरूरतें और प्रशासनिक कार्य आसानी से पूरे हो जाते हैं। इसके विपरीत ढाणी बाढ़ान की दूरी छह किलोमीटर है। इतनी दूरी तय करने में बुजुर्गों, महिलाओं और किसानों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
ग्रामीणों का कहना है कि कृषि कार्य, नरेगा रिकॉर्ड और मकान अभिलेख पहले से ही देवता पंचायत में मौजूद हैं। ऐसे में श्योलपुरा को देवता पंचायत से अलग करने का निर्णय ग्रामीणों के हित में नहीं है और इससे उनके कार्यों में बाधा आएगी।
पूर्व सरपंच हुक्मीचंद मेहरड़ा ने बताया कि जब नई ग्राम पंचायत के गठन को लेकर आपत्तियां मांगी गई थीं, तब भी उन्होंने श्योलपुरा को देवता पंचायत से अलग करने पर लिखित आपत्ति दर्ज कराई थी। हालांकि, उनकी आपत्ति पर कोई सुनवाई नहीं हुई। उन्होंने आरोप लगाया कि यह निर्णय राजनीतिक दबाव और जातिगत समीकरणों के कारण लिया गया, जिसमें ग्रामीणों के हितों की अनदेखी की गई।
ग्रामीण मांगुराम तंवर ने आरोप लगाया कि स्थानीय विधायक ने जातिगत राजनीति के चलते श्योलपुरा को देवता पंचायत से अलग करवाया है। उनका तर्क है कि देवता पंचायत में अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या अधिक है और इस वोट बैंक को कमजोर करने के उद्देश्य से श्योलपुरा को ढाणी बाढ़ान में शामिल किया गया है। ग्रामीणों ने विधायक के खिलाफ नारेबाजी कर अपना विरोध दर्ज कराया।
विरोध प्रदर्शन में शामिल महिलाओं ने बताया कि नरेगा कार्यों के लिए देवता तक आसानी से पहुंचा जा सकता है, लेकिन छह किलोमीटर दूर ढाणी बाढ़ान तक रोजाना जाना संभव नहीं होगा। इससे रोजगार के अवसरों के साथ-साथ दैनिक जरूरतों और सरकारी कार्यों में भी भारी समस्या उत्पन्न होगी। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि श्योलपुरा को वापस देवता पंचायत में शामिल नहीं किया गया, तो वे आगामी चुनावों में मतदान का बहिष्कार करेंगे।
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