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मानोता जाटान–लोयल सड़क निर्माण ग्रामीणों ने रोका: पुराने मार्ग पर बिना तोड़े डामरीकरण और सामग्री में कमी के खिलाफ ग्रामीणों ने किया विरोध प्रदर्शन


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मानोता जाटान–लोयल सड़क निर्माण ग्रामीणों ने रोका: पुराने मार्ग पर बिना तोड़े डामरीकरण और सामग्री में कमी के खिलाफ ग्रामीणों ने किया विरोध प्रदर्शन

मानोता जाटान–लोयल सड़क निर्माण ग्रामीणों ने रोका: पुराने मार्ग पर बिना तोड़े डामरीकरण और सामग्री में कमी के खिलाफ ग्रामीणों ने किया विरोध प्रदर्शन

जनमानस शेखावाटी सवंददाता : विजेन्द्र शर्मा

खेतड़ी : खेतड़ी उपखंड के जसरापुर क्षेत्र के मानोता जाटान से लोयल तक सड़क निर्माण कार्य को सोमवार को ग्रामीणों ने रोक दिया। मानोता जाटान में हुए इस विरोध प्रदर्शन के दौरान ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि सड़क निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया जा रहा है। उनका कहना है कि शहीद सुमेर सिंह स्मारक स्थल से लोयल की ओर बन रही सड़क में गिट्टी की पर्याप्त मात्रा नहीं डाली जा रही, जिससे गुणवत्ता प्रभावित होगी।

ग्रामीणों के अनुसार, यदि समय रहते इस गलत निर्माण को नहीं रोका गया, तो कुछ ही महीनों में सड़क फिर से खराब हो जाएगी। उन्होंने बताया कि लगभग 900 मीटर हिस्से में पुरानी डामरीकरण परत को हटाए बिना ही नई सड़क बनाई जा रही है। निर्माण मानकों के तहत पुरानी परत हटाए बिना नई सड़क बिछाने से उसकी मजबूती कम हो जाती है और बारिश के बाद वह उखड़ने लगती है। ग्रामीणों ने ठेकेदार पर खानापूर्ति करने और निर्माण कार्य में निगरानी की कमी का आरोप लगाया।

विनोद ताखर ने जानकारी दी कि मानोता जाटान मार्ग, विशेषकर ताखरों की ढाणी क्षेत्र में, बरसात के दौरान पानी भरने की गंभीर समस्या रहती है। ऐसे स्थानों पर डामर सड़कें लंबे समय तक टिक नहीं पातीं और लगातार टूटती रहती हैं। इसलिए, लंबे समय से यहां सीमेंटेड सड़क बनाने की मांग की जा रही थी, ताकि सड़क टिकाऊ बने और बार-बार बजट खर्च न हो। हालांकि, इस मांग को नजरअंदाज कर फिर से डामरीकरण किया जा रहा है, वह भी निम्न गुणवत्ता का।

प्रदर्शनकारी ग्रामीणों ने स्पष्ट किया कि सड़क निर्माण कार्य तभी दोबारा शुरू करने दिया जाएगा जब निर्माण सामग्री की सही मात्रा सुनिश्चित की जाए, पुरानी परत को पूरी तरह हटाया जाए और तकनीकी विशेषज्ञों की निगरानी में गुणवत्ता की जांच के बाद ही नया कार्य किया जाए।

इस विरोध प्रदर्शन में समाजसेवी विकास ढाका, मेजर मोहर सिंह, लीलूराम ढाका, सुरेश ताखर, भरत ताखर, रामस्वरूप झाझड़िया, विनोद ताखर, धर्मपाल ढाका, ओमप्रकाश ढाका, बृजलाल ढाका, चंदगीराम ढाका, सुमेर ताखर, देवकरण पायल, मूलचंद ढाका, संदीप ढाका, रामजस जांगिड़, महेंद्र ढाका सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे।

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