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प्रताप पोद्दार भवन के मालिकाना हक को लेकर रिपोर्ट:तीन सदस्यीय समिति ने मालिकाना हक प्रमाण पत्र को बताया अवैधानिक


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कांवटटॉप न्यूज़राजस्थानराज्यसीकर

प्रताप पोद्दार भवन के मालिकाना हक को लेकर रिपोर्ट:तीन सदस्यीय समिति ने मालिकाना हक प्रमाण पत्र को बताया अवैधानिक

प्रताप पोद्दार भवन के मालिकाना हक को लेकर रिपोर्ट:तीन सदस्यीय समिति ने मालिकाना हक प्रमाण पत्र को बताया अवैधानिक

कांवट : कांवट ग्राम पंचायत में नीमकाथाना मार्ग पर स्थित प्रताप पोद्दार भवन के मालिकाना हक को लेकर चल रहे विवाद में सीकर जिला परिषद की तीन सदस्यीय समिति ने अपनी जांच रिपोर्ट जारी की है। जिसमें बताया कि ग्राम पंचायत द्वारा जारी किए गए मालिकाना हक प्रमाण पत्र न तो वैधानिक थे और न ही पंचायत के अधिकार क्षेत्र में आते थे। रिपोर्ट में तीन सरपंचों/प्रशासकों पर नियम विरुद्ध प्रमाण पत्र जारी करने के आरोपों की पुष्टि की गई है।

कांवट निवासी द्वारका प्रसाद पोद्दार की शिकायत पर 11 अगस्त 2025 को एक जांच समिति का गठन किया गया था। इस समिति ने पंचायत रिकॉर्ड, फाइलें, पुराने दस्तावेज और संबंधित पक्षों के बयान लेकर विस्तृत जांच की।

जांच में सामने आया कि निवर्तमान सरपंच और वर्तमान प्रशासक मीना सैनी ने वर्ष 2021 में प्रताप भवन का स्वामित्व प्रमाण पत्र तीन अलग-अलग लोगों के नाम जारी कर दिया था। हालांकि, सैनी द्वारा जारी किए गए इन स्वामित्व प्रमाण पत्रों से संबंधित कोई भी दस्तावेज ग्राम पंचायत कार्यालय के रिकॉर्ड में दर्ज नहीं मिला। यहां तक कि प्रमाण पत्र की कोई प्रति भी उपलब्ध नहीं थी।

समिति ने यह भी पाया कि 1 दिसंबर 2003 को बजरंग लाल पोद्दार, महावीर प्रसाद पोद्दार और द्वारका प्रसाद पोद्दार के नाम एक मालिकाना हक का प्रमाण पत्र जारी किया गया था। शिकायतकर्ता द्वारका प्रसाद पोद्दार ने स्वयं सरपंच रहते हुए इस भवन का खुद के अलावा दो अन्य लोगों के नाम अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) जारी कर दिया था। शिकायतकर्ता द्वारका प्रसाद पोद्दार ने दावा किया था कि उन्होंने वर्ष 1965 में अपने खर्चे पर इस भवन का निर्माण करवाया था। हालांकि, जांच समिति को उनके इस दावे के समर्थन में कोई भी प्रमाण नहीं मिला।

जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया कि ग्राम पंचायत द्वारा जारी किए गए सभी मालिकाना हक प्रमाण पत्र नियमों के विरुद्ध हैं। समिति के अनुसार 19 अप्रैल 2017 के शासन सचिव के आदेश के तहत पंचायतें किसी भी प्रकार का मालिकाना हक प्रमाण पत्र जारी नहीं कर सकती। समिति ने यह भी कहा कि प्रताप पोद्दार भवन के स्वामित्व को सिद्ध करने वाला कोई ठोस दस्तावेज उपलब्ध नहीं है। पंचायत रिकॉर्ड अधूरा पाया गया और जिन एनओसी व प्रमाण पत्रों का उल्लेख किया गया था, वे भी रिकॉर्ड में मौजूद नहीं मिले।

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