डाक्टर नहीं अब मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल और अधीक्षक बनेंगे प्रशासक
डाक्टर नहीं अब मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल और अधीक्षक बनेंगे प्रशासक
सीकर : चिकित्सा शिक्षा विभाग ने प्रदेश के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों के लिए नए प्रिंसिपल और अधीक्षक की नियुक्ति एवं चयन को लेकर नई गाइडलाइन जारी की है। अब इन दोनों पदों पर बैठे अधिकारी किसी भी प्रकार की क्लिनिकल प्रेक्टिस नहीं कर सकेंगे और उन्हें नॉन प्रेक्टिस एलाउंस (एनपीए) का लाभ भी नहीं मिलेगा। विभाग के नए आदेश के अनुसार, 57 वर्ष से अधिक आयु के अधिकारी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल नहीं बन सकेंगे। इसके अलावा चयन में प्रशासनिक अनुभव, शिक्षण कार्य में दक्षता और नेतृत्व क्षमता को प्राथमिकता दी जाएगी। इन संशोधनों का असर प्रदेश के कई मेडिकल कॉलेजों पर पड़ने वाला है, जिनमें सीकर मेडिकल कॉलेज भी शामिल है।
जानकारी के अनुसार, कॉलेज के वर्तमान प्रिंसिपल और अधीक्षक नई पात्रता शर्तों के दायरे में नहीं आते। ऐसे में जल्द ही यहां नए नामों पर विचार शुरू हो सकता है। विभागीय सूत्रों के अनुसार, यह फैसला शिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता और प्रशासनिक अनुशासन को मजबूत करने के उद्देश्य से लिया गया है। अब प्रिंसिपल और अधीक्षक सिर्फ अकादमिक और प्रबंधन कार्यों पर फोकस करेंगे, जिससे कॉलेजों में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी।
ये जारी किए निर्देश
चिकित्सा शिक्षा परिषद के अनुसार पैनल के जरिए साक्षात्कार के बाद ही पांच साल तक रहे सीनियर प्रोफेसर को ही अस्पताल का अधीक्षक बनाने में प्राथमिकता दी जाएगी। जिसकी नियुक्ति अधिकतम तीन साल के लिए ही रहेगी। प्रदेश सरकार की अनुमति के बाद ही दो साल के लिए सर्विस में एक्सटेंशन दिया जा सकेगा।
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