सीकर में अनोखी मिसाल: बुजुर्ग ने जीते जी कर लिया था पिंडदान, अब देहदान से किया समाज सेवा का संकल्प पूरा
सीकर में अनोखी मिसाल: बुजुर्ग ने जीते जी कर लिया था पिंडदान, अब देहदान से किया समाज सेवा का संकल्प पूरा
सीकर : तारपुरा के पास भगतों की ढाणी निवासी चौधरी तुलसीराम भगत (80) ने समाज के सामने एक अनोखी मिसाल पेश की है। उन्होंने तीन साल पहले ही हरिद्वार जाकर अपना पिंडदान कर दिया था, और अब मृत्यु के बाद देहदान कर समाज सेवा का संकल्प पूरा किया।
जानकारी के अनुसार तुलसीराम भगत की गुरुवार-शुक्रवार की दरम्यानी रात सामान्य मृत्यु हो गई। इसके बाद परिवारजनों ने उनकी इच्छा के अनुसार शव को एस.के. मेडिकल कॉलेज, सीकर को सौंप दिया। कॉलेज स्टाफ और परिवार ने देह पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।
खुद किया था पिंडदान, की थी सवामणी
तुलसीराम भगत ने 4 जुलाई 2022 को पत्नी भगवानी देवी के साथ देहदान का संकल्प लिया था। उन्होंने हरिद्वार जाकर गंगा में दांत प्रवाहित करते हुए औपचारिक पिंडदान किया और इसके बाद सवामणी भी आयोजित की थी। इसी दौरान उन्होंने परिवार से कहा था, “मेरी बॉडी को राख मत करना, इसे मेडिकल कॉलेज को दान करना।”
परिवार ने निभाई पिता की इच्छा
तुलसीराम भगत के चार बेटे और एक बेटी हैं। सभी ने पिता के निर्णय को पूरी तरह समर्थन दिया। बड़े बेटे महेंद्र सिंह भगत ने बताया, “पिता कहते थे कि जीते जी भी सेवा करो और मरने के बाद भी लोगों के काम आओ।”
‘ह्यूमन बॉडी एक प्रैक्टिकल लैब’
एस.के. मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विश्वदीपक यादव ने बताया कि तुलसीराम भगत का देहदान एमबीबीएस छात्रों के लिए अत्यंत उपयोगी रहेगा।
“ह्यूमन बॉडी एक प्रैक्टिकल लैब है। इससे विद्यार्थियों को शरीर की संरचना और अंगों की कार्यप्रणाली समझने में मदद मिलेगी।”
डोनेशन मोटिवेटर बी.एल. मील ने बताया कि तुलसीराम भगत 80 वर्ष की उम्र में भी पूरी तरह स्वस्थ थे और समाज सेवा के कार्यों में सक्रिय रहते थे। उनका जीवन और देहदान दोनों आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा हैं।
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